Bcom 1st year business environment notes Hindi

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Bcom 1st year business environment notes in Hindi

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Environment notes pdf in hindi

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Inflation Meaning in Hindi Notes

Inflation Meaning in Hindi Notes प्रश्न 14- मुद्रा स्फीति से आपका क्या अभिप्राय है? इसके प्रभाव की चर्चा कीजिए। इसे कैसे नियन्त्रित किया जा सकता है? What do you mean by Inflation ? Discuss its effects. How can it be controlled ? मुद्रा स्फीति (Inflation) जब कोई देश अपने देश की मुद्रा के बदले दूसरे … Read more

Organization and Management of the IMF

Organization and Management of the IMF मुद्रा कोष का संगठन तथा प्रबन्ध अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का प्रबन्ध एवं संगठन निम्न प्रकार है- 1.प्रशासक मण्डल  2.कार्यकारी संचालक  3.प्रबन्ध संचालक 1. प्रशासक मण्डल – कोष के सभी सदस्य देश अपना-अपना एक प्रतिनिधि मुद्रा कोश के प्रशासक मण्डल में नियुक्त करते हैं। प्रशासक मण्डल में एक गवर्नर तथा एक स्थानापन्न गवर्नर होता है। प्रत्येक प्रशासक का कार्यकाल 5 वर्ष होता है, इसकी पुनर्नियुक्ति भी की जा सकती है। प्रशासक मण्डल की एक वार्षिक सभा सितम्बर या अक्टूबर में होती है जिसमें कोष का 30 अप्रैल तक स्थिति विवरण और ब्योरा प्रस्तुत किया जाता है। वार्षिक सभा के अतिरिक्त मुद्रा कोष के कोई 5 सदस्य अथवा जिन सदस्यों को कुल मताधिकार का 25% प्राप्त है, प्रशासक मण्डल की सभा बुला सकते हैं। प्रशासक मण्डल मुद्रा कोष की सर्वोच्च संस्था है और कोष की सम्पूर्ण शक्तियाँ इसी मण्डल के अधीन हैं। 2. कार्यकारी संचालक मण्डल—इस मण्डल का प्रमुख कार्य सामान्य प्रशासन तथा दिन-प्रतिदिन का कार्य करना है । मुद्रा कोष के प्रबन्धक मण्डल में इस समय 22 सदस्य हैं। इनमें से 6 स्थायी सदस्य सबसे अधिक कोटा वाले देशों द्वारा, 5 सदस्य सुदूरपूर्व और प्रशान्त महासागर के देशों द्वारा, 5 सदस्य मध्यपूर्व के देशों द्वारा एवं शेष सदस्य क्रमशः अफ्रीका, लैटिन अमेरिकी और यूरोपीय देशों द्वारा मनोनीत किए जाते हैं। प्रबन्धक मण्डल का प्रत्येक मनोनीत या चुना हुआ सदस्य एक स्थानापन्न सदस्य की नियुक्ति कर सकता है। ये सदस्य कोष के नियमित कार्य संचालन के लिए उत्तरदायी होते हैं। प्रबन्धक मण्डल के सदस्यों को मुद्रा कोष से वेतन मिलता है। ★ 3. प्रबन्ध संचालक – मुद्रा कोष के दैनिक कार्य संचालन के लिए एक प्रबन्ध संचालक की नियुक्ति कार्यकारी संचालक मण्डल द्वारा की जाती है। प्रबन्ध संचालक प्रबन्ध मण्डल की सभाओं की अध्यक्षता करता है, किन्तु वह अपना मत केवल निर्णायक मत के रूप में ही दे सकता है। मताधिकार – मुद्रा कोष के सामान्य निर्णय बहुमत के आधार पर होते हैं। बहुमत सदस्य संख्या द्वारा न होकर कुल मताधिकार द्वारा निर्धारित होता है | मताधिकार के अन्तर्गत प्रत्येक सदस्य को 250 + 1 मत प्रति लाख SDRs ( अभ्यंश) का अधिकार प्राप्त होता है। भारत का मताधिकार उसके 30,555 लाख SDR अभ्यंश के अनुसार 250 + 30,555 = 30,805 (मत) था। 

Meaning of Privatization

निजीकरण से आशय (Meaning of Privatization) निजीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत सार्वजनिक उपक्रमों के स्वामित्व तथा प्रबन्ध में निजी क्षेत्र को सहभागिता प्रदान की जाती है अथवा स्वामित्व एवं प्रबन्ध का निजी क्षेत्र को हस्तान्तरण किया जाता है तथा आर्थिक क्रियाकलापों पर सरकारी नियन्त्रण को घटाकर देश में आर्थिक प्रजातन्त्र स्थापित किया जाता है । संकुचित अर्थ में निजीकरण का आशय उस नीति से है जिसके अन्तर्गत सार्वजनिक उपक्रम का निजी क्षेत्र को हस्तान्तरण कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया को ‘विराष्ट्रीयकरण’ (Denationalization) भी कहा जाता है। निजीकरण की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं- जिबान के० मुखोपाध्याय के अनुसार, “निजीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें किसी राष्ट्र। के आर्थिक कार्यकलापों में सरकारी प्रभुत्व को कम किया जाता है । “ वीरेन जे० शाह के अनुसार, “निजीकरण का अर्थ प्रजातन्त्र है। “ अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के अर्थशास्त्री सुसान के० जोन्स (Susan K. Jones) के शब्दों में, “निजीकरण शब्द से तात्पर्य किसी भी कार्यकलाप को सार्वजनिक क्षेत्र से निजी क्षेत्र को हस्तान्तरित करना है। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के कार्यकलापों में केवल पूँजी अथवा प्रबन्ध विशेषज्ञों का प्रवेश ही हो सकता है, किन्तु अधिकांश मामलों में, इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजी क्षेत्र में हस्तान्तरण होता है।” उक्त परिभाषाओं के आधार पर निजीकरण की निम्नलिखित विशेषताएँ स्पष्ट होती हैं— (1) यह विचारधारा विश्व स्तर पर लागू की जा रही है। (2) यह, एक नई विचारधारा तथा नई व्यूह रचना (Strategy) है।  (3) यह व्यापक विचारधारा है। इसका उद्देश्य सरकारी प्रभुत्व को कम करके निजी क्षेत्र को बढ़ावा देना है। (4) यह विचारधारा आर्थिक प्रजातन्त्र (Economic Democracy) की स्थापना करती है। (5) यह सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन (Socio-Economic Changes) का उपकरण अथवा यन्त्र (Tool) है। (6)इसका विस्तृत क्षेत्र (Wide Scope) है। इसमें विराष्ट्रीयकरण (Denationalization), विनियन्त्रण (Decontrol), अविनियमन (Deregulation), आर्थिक उदारीकरण ( Economic Liberalization) आदि क्रियाएँ शामिल की जाती हैं।  (7) निजी क्षेत्र सार्वजनिक क्षेत्र की तुलना में प्रबन्ध एवं नियन्त्रण की दृष्टि से अधिक कुशल होता है ।