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Language Barriers in Business Communication pdf

Language Barriers in Business Communication pdf

भाषागत अवरोध

इस प्रकार की बाधाएँ एवं रुकावटें उन कारणों से उत्पन्न होती हैं जिनका सम्बन्ध भाषा से होता है। संचार में प्रयुक्त शब्दों, चिह्नों तथा आँकड़ों की प्राप्तकर्ता द्वारा अपने अनुभव के आधार पर व्याख्या की जाती है, जिससे शंका की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। विभिन्न शब्दों और चिह्नों के विभिन्न अर्थ निकालने, खराब शब्दावली एवं व्याकरण के अधूरे ज्ञान के कारण इसप्रकार की बाधाएँ उत्पन्न होती हैं। भाषा सम्बन्धी प्रमुख बाधाएँ निम्नलिखित है-

1. अनेकार्थी शब्दों का प्रयोग (Use of different context words ) – जब संचार में ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है जिनके अनेक अर्थ हो सकते हैं तो यह हो सकता है कि प्रेषक ने जिस अर्थ में शब्द का प्रयोग किया है, प्राप्तकर्त्ता उसको उसी रूप में न समझकर कोई अन्य अर्थ में समझ ले । ऐसी स्थिति में संचार पूर्ण और सफल नहीं हो सकेगा। ‘मर्फी’ के अनुसार अंग्रेजी शब्द RUN के 110 अर्थ निकाले जा सकते हैं। अतः अनेकार्थी शब्दों के प्रयोग के कारण संचार के मार्ग में बाधा उत्पन्न हो जाती है।

2. तकनीकी भाषा का प्रयोग (Use of Technical Language) –कुछ तकनीकी व विशिष्ट समूह वर्ग के व्यक्ति; जैसे— डॉक्टर, इंजीनियर अपनी विशिष्ट भाषा-शैली का प्रयोग करते हैं। इस विशिष्ट भाषा का संचार इस शैली से अपरिचित सम्प्रेषणग्राही के लिए कई प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न करता है क्योंकि इनका प्रसारण / संचारण व समझ प्रत्येक व्यक्ति के लिए आसान नहीं होता। अत: तकनीकी भाषा/ विशिष्ट भाषा-शैली, सम्प्रेषण में बाधा उत्पन्न करती है ।

3. अस्पष्ट मान्यताएँ (Unclarified Assumptions) – प्रायः सम्प्रेषण इस मान्यता के आधार पर किया जाता है कि सम्प्रेषणग्राही सम्प्रेषण की आधारभूत पृष्ठभूमि से पूर्णत: परिचित है, परन्तु अधिकांश स्थितियों में यह मान्यता गलत सिद्ध हो जाती है। इसलिए सम्प्रेषणग्राही को सन्देश की विषय-वस्तु क्षेत्र के सम्बन्ध में जानकारी का पूर्वानुमान अत्यन्त आवश्यक है अर्थात् सम्प्रेषण क्रिया में सन्देश में निहित मान्यताओं की स्पष्टता सम्प्रेषणग्राही हेतु अत्यन्त अनिवार्य है।

4. अस्पष्ट पूर्व धारणाएँ (Uncleared Preconcepts) – प्रत्येक सन्देश प्राय: अस्पष्ट पूर्व धारणाओं से परिपूर्ण होता है जो कि सम्प्रेषण में बाधाएँ उत्पन्न करता है क्योंकि सम्प्रेषक सन्देश में समाहित समस्त बातों की विस्तृत जानकारी प्रेषकग्राही को नहीं देता बल्कि वह यह मानकर चलता है कि सन्देशग्राही इन बातों को स्वयं समझ पाने में सक्षम है। 

5. त्रुटिपूर्ण शब्द में अभिव्यक्त सन्देश (Wrongly Expressed Message)अर्थहीन, निर्बल शब्दों में अभिव्यक्त सन्देश सदैव सम्प्रेषण का अर्थ बदल देता है। अतः ऐसी दशा में सदैव सन्देश की गलत व्याख्या की प्रबल सम्भावना रहती है। यह स्थिति तब अधिक जटिल हो जाती है, जब शब्दों के गलत चयन के अतिरिक्त संदेश में अशिष्ट शब्दों का प्रयोग, वाक्यों का गलत क्रम व उनकी पुनरावृत्ति होती है। 

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