Body Language in Communication pdf Notes

Body Language in Communication pdf Notes शारीरिक भाषा शारीरिक भाषा से आशय शरीर के विभिन्न हिस्सों की गतिशीलता के द्वारा अपनी भावनाओं/संवेदनाओं के माध्यम से सन्देश / सूचना के सम्प्रेषण से है । शारीरिक भाषा के अन्तर्गत आँखों को घुमाना / चलाना, होंठों को चबाना / चलाना, ताली बजाना इत्यादि सम्मिलित हैं। इसे ‘KINESICS’ भी कहा जाता है। इससे व्यक्ति अपने सन्देश को अन्तर्वैयक्तिक क्रियाकलापों/ गतिविधियों द्वारा अन्य व्यक्तियों या समूहों तक पहुँचाता है। यद्यपि शारीरिक भाषा भाषिक / शाब्दिक सम्प्रेषण की पूरक कहलाती है क्योंकि जब यह शाब्दिक भाषा के पूरक का कार्य करती है, तब ही सम्प्रेषक के सन्देश का अर्थ स्पष्ट होता है और वह शाब्दिक भाषा के साथ जुड़ जाती है। जे० फास्ट के शब्दों में – “अविश्वास के लिए हमारे द्वारा अपनी भौंहों को ऊपर चढ़ाना, घबराहट, परेशानी के लिए नाक को रगड़ना / मलना, स्वयं को संरक्षित करने के लिए अपने हाथों को बाँधना, स्वयं को पृथक् बताने के लिए कन्धों को उचकाना, घनिष्ठता बताने के लिए आँख मारना/ पलक झपकाना, घबराहट के लिए उँगलियों को थपथपाना, विस्मरण के लिए स्वयं के माथे को थप्पड़/चाँटा मारना इत्यादि क्रियाएँ शारीरिक भाषा के अन्तर्गत आती हैं।” शारीरिक भाषा – एक प्राकृतिक प्रक्रिया (Body Language: A Natural Phenomenon ) शारीरिक भाषा सम्प्रेषण की सम्पूर्ण प्रक्रिया है जिसका स्वरूप प्राकृतिक है। इसमें भाषा के स्थान पर शारीरिक अंगों के हाव-भाव से विचारों का उचित सम्प्रेषण किया जाता है। इसका किसी प्रकार का औपचारिक प्रशिक्षण नहीं होता है, लेकिन सतत अभ्यास के द्वारा इसको विकसित किया जा सकता है। वास्तव में शाब्दिक सम्प्रेषण के सापेक्ष शारीरिक भाषा के प्राकृतिक संवेग अधिक प्रभावशाली होते हैं। जितना सम्प्रेषणकर्त्ता शारीरिक भाषा में दक्ष होगा सम्प्रेषण की क्रिया उतनी ही सुगठित अवस्था को प्राप्त होगी। इसके कुछ उपादानों का विवरण निम्नलिखित है— 1. आँखों का सम्पर्क (Eyes Contact ) — आँखों द्वारा किसी विचार का सम्प्रेषण शारीरिक भाषा का सबसे मुखर बिन्दु है। चेहरे को दिल का आइना कहा गया है और चेहरे का आइना आँखें होती हैं। इनके द्वारा प्रेषित सन्देश, ग्राही व्यक्ति द्वारा सहजरूपेण ही ग्रहण कर लिए जाते हैं। 2. स्पर्शानुभूति द्वारा सम्प्रेषण ( Communication by Sense of Touch)— शारीरिक स्पर्श मानवीय संवेदी ऊतकों को गहराई तक झंकृत करने की सामर्थ्य रखते हैं। स्पर्श द्वारा दो प्रकार के संवेगी सम्प्रेषण- अच्छे तथा बुरे को दूसरे व्यक्ति तक अशाब्दिक सम्प्रेषण के रूप में सहज ही पहुँचाया जा सकता है। स्पर्श का संकेत विभिन्न स्थितियों तथा एक व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति से सम्बन्धों की अभिव्यक्ति भी करता है। 3. … Read more