Meaning of Self-development pdf Notes in hindi

Meaning of Self-development pdf Notes in hindi स्व-विकास का अर्थ स्व-विकास का अर्थ है – व्यक्ति द्वारा अपना विकास करना। स्वविकास व्यक्तिनिष्ठ एवं सापेक्षिक है जिसका अध्ययन मानव व्यवहार की पूर्णता को जानने के लिए किया जाता है। भिन्न-भिन्न लोगों के लिए इसके भिन्न-भिन्न अर्थ होते हैं। उदाहरणार्थ- आध्यात्मिक व्यक्ति के लिए चेतना के उच्च स्तरों की खोज, वैज्ञानिक के लिए उसकी खोजों में सफलता और वृद्धि तथा एक खिलाड़ी के लिए पुराने कीर्तिमानों को तोड़ना एवं नये कीर्तिमानों को बनाना आदि आत्मविकास ( स्व – विकास) हो सकता है। प्रत्येक व्यक्ति अपने अस्तित्व एवं व्यक्तित्व के अनुसार इसको परिभाषित करता है और इसका विस्तार करता है। स्व-विकास दो शब्दों ‘स्व’ तथा ‘विकास’ से मिलकर बना है। यहाँ ‘स्व’ शब्द का आशय व्यक्ति के गुणों की समग्रता से है जो उसके निजी गुणों एवं लक्षणों से सम्बन्धित है। विकास का आशय व्यक्ति में नई-नई विशेषताओं एवं क्षमताओं का विकसित होना है जो प्रारम्भिक जीवन से शुरू होकर परिपक्वावस्था तक चलता है । स्व-विकास शरीर के गुणात्मक परिवर्तनों का नाम है जिसके कारण व्यक्ति की कार्यक्षमता एवं व्यवहार में प्रगति या अवनति होती है। दूसरे शब्दों में आत्मविकास (स्व-विकास) से आशय एक व्यक्ति में शारीरिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक, भौतिकवाद आदि गुणों के सन्तुलित शैली में विकास से है । संक्षेप में, ‘स्व-विकास’ एक व्यक्ति में शारीरिक, बौद्धिक, भौतिक व आध्यात्मिक गुणों के विकास की एक प्रक्रिया है। स्व-विकास के अन्तर्गत व्यक्ति निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर स्वयं से चाहता है – उपर्युक्त प्रश्नों का सही हल खोज लेना ही व्यक्ति का आत्मविकास है। इन प्रश्नों का हल वह स्वयं ही खोजता है, किन्तु कभी-कभी दूसरों की आलोचना या प्रशंसा से भी इनके जवाब मिल जाते हैं और व्यक्ति का आत्मविकास होने लगता है । वस्तुत: आत्मविकास शरीर के गुणात्मक परिवर्तनों का नाम है जिसके कारण व्यक्ति की कार्यक्षमता, कार्यकुशलता और व्यवहार में प्रगतिशील परिवर्तन होता है। स्व-विकास व संचार की पारस्परिक निर्भरता  (Inter-dependence of Self-development and Communication) स्व-विकास व सम्प्रेषण की पारस्परिक निर्भरता को निम्नलिखित प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है – स्व विकास तथा संचार प्रक्रिया परस्पर एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं। स्व-विकास जहाँ एक तरफ संचार को अधिक गतिशील एवं प्रभावी बनाता है वहीं दूसरी तरफ प्रभावी संचार, स्व-विकास में स्थायी वृद्धि करता है। इस प्रकार स्व-विकास के द्वारा संचार को प्रभावशाली बनाने में सहायता मिलती है तथा प्रभावपूर्ण संचार के माध्यम से स्व-विकास सम्भव हो पाता है। अतः स्व-विकास और सम्प्रेषण एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जहाँ स्व-विकास सम्प्रेषण को अधिक गतिशील व प्रभावी बनाता है वहीं सम्प्रेषण स्व-विकास का मार्गदर्शन करता है। स्व-विकास से व्यक्ति के लिखने में विद्वत्ता, बोलने में वाकपटुता, शारीरिक हाव-भाव में आकर्षण और सुनने में दृढ़ता आती है जिसका सकारात्मक असर सम्प्रेषण क्रिया में पर पड़ता है अर्थात् संचार में तेजी और औचित्यता आती है। बिना सम्प्रेषण के स्व-विकास नहीं किया जा सकता और बिना स्व-विकास के प्रभावी सम्प्रेषण नहीं हो सकता। अतः सम्प्रेषण एवं स्व-विकास दोनों एक-दूसरे के परस्पर पूरक हैं। स्व-विकास द्वारा संचार में सुधार (Improvement in Communication through Self-development) स्व-विकास, संचार कुशलता में सुधार करके उसे अधिक प्रभावशाली बनाने में सहायक होता है। स्व विकास द्वारा संचार में सुधार को अग्रलिखित बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है- 1. … Read more

Meaning of Self-development

Meaning of Self-development आत्मविकास का आशय आत्मविकास से आशय एक व्यक्ति में गुणों की समग्रता अर्थात् शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक विकास तथा भौतिकवादिता व आध्यात्मिकता के मिलन से है। वास्तव में, उपर्युक्त गुणों के सन्तुलित शैली में सम्यक् विकास का नाम ही आत्मविकास है। एक समाज में व्यक्तियों के बीच वार्तालाप केवल सम्प्रेषण के द्वारा ही सम्भव है। आत्मविकास व सम्प्रेषण एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं। अधिक स्पष्ट शब्दों में ‘आत्म’ शब्द से आशय एक व्यक्ति की समग्रता से है, जो उसके निजी गुणों व लक्षणों से सम्बन्धित होती है। गुणों की समग्रता से आशय शारीरिक शक्ति, बौद्धिक प्रतिमान, भौतिकवादिता, आध्यात्मिकता आदि गुणों से है। आत्मविकास बहुआयामी भी हो सकता है। आधुनिकीकरण के साथ ही विकास की परिभाषा भी बदलती जा रही है। आत्मविकास अब बहुआयामी के साथ ही साथ तीव्रगामी भी होता जा रहा है। आत्मविकास के द्वारा सम्प्रेषण की विधा पर भी प्रभाव पड़ता है तथा हुई परिस्थिति में सम्प्रेषण के प्रकारों में भी तीव्र परिवर्तन परिलक्षित होता है। आत्मविकास सम्प्रेषण के स्रोतों को परिमार्जित भी करता है।  Meaning of self-development development refers to the totality of qualities in a person i.e. physical, mental, intellectual development and union of materialism and spirituality. In fact, the name of right development in a balanced style of the above qualities is … Read more