What do you mean by Revison ?

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What do you mean by Revision ?

पुनरीक्षण से क्या अभिप्राय है?

उत्तर प्रथम प्रारूप तैयार करने के बाद उसे दुबारा पढ़कर उसमें संशोधन किए जाते हैं अर्थात् अनावश्यक सूचना को काट दिया जाता है तथा जो तथ्य प्रथम प्रारूप में लिखने से गए हैं, उन्हें यथास्थान जोड़ा जाता है। सन्देश के उद्देश्य, विषय-वस्तु तथा लेखन शब्दों की समीक्षा की जाती है। व्याकरण, विराम चिह्नों तथा वाक्यों की बनावट पर भी ध्यान दिया जाता है। संशोधन की यह प्रक्रिया पुनर्लेखन भी कहलाती है।

अत: प्रथम प्रारूप को लिखने के पश्चात् यह आवश्यक है कि उसकी समीक्षा की जाए तथा उसमें वांछित सुधार किया जाए। कुछ लेखकों के अनुसार प्रथम प्रारूप में संशोधन के लिए उसे तीन बार निम्नांकित प्रकार से पढ़ने की योजना बनानी चाहिए –

प्रथम संशोधन (First Revision ) – पहला संशोधन करते समय विषय-वस्तु अर्थात् पत्र लिखने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए

(i) क्या पत्र संस्था तथा प्राप्त करने वाले की सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है, (ii) क्या पत्र में आवश्यक सभी जानकारी दी गई हैं तथा दी गई जानकारी सत्य हैं, (iii) क्या सन्देश की भाषा स्पष्ट है,

(iv) क्या पत्र में दी गई सूचना के समर्थन में पर्याप्त आँकड़े तथा तथ्य उपलब्ध है। 

दूसरा संशोधन (Second Revision)-दूसरे संशोधन में यह देखना चाहिए कि पत्र का खाका (Layout) सही है तथा पत्र ठीक ढंग से व्यवस्थित है। अतः निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए

(i) क्या पत्र का खाका वांछित उद्देश्यों को पूरा करने के साथ पाठक की स्थिति के अनुरूप है,

(ii) पत्र में दिए गए विचारों में कोई बाधा तो नहीं है। विभिन्न पैराग्राफों के बीच भाषा का प्रवाह सही है,

(ii) क्या सन्देश मैत्रीपूर्ण है तथा पक्षपातपूर्ण भाषा से मुक्त है, (iii) क्या पत्र, पढ़ने वाले को बताता है कि उसे क्या करना है ।

(iii) पत्र का खाका पढ़ने वाले को दी जाने वाली सभी सूचनाओं को उपलब्ध करा रहा है,

(iv) पत्र के प्रारम्भिक एवं अन्तिम पैराग्राफ सही तथा प्रभावशाली हैं। 

तीसरा संशोधन (Third Revision ) – इस अन्तिम संशोधन में पत्र की शैली एवं अभिव्यक्ति की जाँच करनी चाहिए। अतः निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए(i) क्या पत्र की भाषा एवं शैली स्पष्ट और आसान है,

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