लोक प्रशासन का अन्य सामाजिक विज्ञानों के साथ सम्बन्ध- (Relationship of Public Administration with other Social Sciences)
लोक प्रशासन का अन्य सामाजिक विज्ञानों से सम्बन्ध का विवरण निम्नवत् है-
1. लोक प्रशासन एवं अर्थशास्त्र
वर्तमान युग में लोक प्रशासन एवं अर्थशास्त्र में घनिष्ठ सम्बन्ध है क्योंकि लोक प्रशासन के माध्यम से ही राज्य की अर्थ सम्बन्धी नीतियों व उद्देश्यों को पूरा किया जाता है। वर्तमान में सरकार व प्रशासन लोगों के आर्थिक जीवन में बहुत तीव्र गति से प्रवेश कर रहे हैं अतः लोक प्रशासन व अर्थशास्त्र के बीच घनिष्ठता स्वाभाविक है।
2. लोक प्रशासन एवं कानून
कानून और लोक प्रशासन का परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध है। कानून ही प्रशासकीय क्रियाओं की सीमाएँ निर्धारित करता है। राष्ट्र के कानून की लक्ष्मण रेखा में ही लोक प्रशासन के कार्यकर्ता कार्य करते हैं। कानून जिस बात की आज्ञा देता है, प्रशासन उसी के अनुसार सेवक के रूप में कार्य करता है। यद्यपि कानून के प्रारूप व स्वरूप का निर्माण प्राय: प्रशासन द्वारा एकत्रित आँकड़ों व तथ्यों के आधार पर ही होता है।
3. लोक प्रशासन और राजनीतिशास्त्र
राजनीति का प्रमुख कार्य नीति निर्धारण से है, वहीं लोक प्रशासन का प्रमुख कार्य इस निर्धारित नीति को साकार रूप प्रदान करना है। अत: इन दोनों विषयों को एक-दूसरे से अलग रखना मूर्खता ही होगी। नीति निर्धारण के समय राजनेताओं को आवश्यक रूप से आँकड़ों व तथ्यों को एकत्रित करने के लिए प्रशासन की सहायता लेनी ही पड़ती है। प्रशासन की सलाह से ही मोंटे रूप से नीति-निर्माण का कार्य सफलतापूर्वक सम्पन्न होता है।
4. लोक प्रशासन एवं समाजशास्त्र
समाज के मूल स्वरूप व अवशेषों का अध्ययन ही समाजशास्त्र है, परन्तु लोक प्रशासन सामाजिक कार्य व उद्देश्य पूर्ति की कुंजी है, इसीलिए दोनों का अटूट सम्बन्ध है। कई प्रमुख प्रशासकीय कार्यों व नीतियों का आधार सामाजिक अध्ययन पर ही निर्भर करता है। सत्ता, उद्यम, कुटुम्ब, जाति, मान-मर्यादा और अन्य सामाजिक प्रभावों का अध्ययन लोक प्रशासन के लिए आवश्यक है।
5. लोक प्रशासन और इतिहास
मनुष्य के अतीत की घटनाओं का क्रमबद्ध ज्ञान ही इतिहास है। इतिहास मनुष्य के अतीत के अनुभवों का लेखा-जोखा है। राज्य व उसकी प्रशासकीय इकाइयाँ एक निश्चित समय पर निर्मित न होकर विकास का नतीजा होती हैं और इन्हें समझाने के लिए इतिहास के पृष्ठों का सहारा लेना नितान्त आवश्यक है। लोक प्रशासन में जिन समस्याओं के निराकरण के लिए अध्ययन किया जाता है उनका भी अपना इतिहास तो होता ही है और बिना इतिहास से परिचित हुए न तो इन समस्याओं को भली-भाँति समझा जा सकता है और न ही उनका कोई उचित एवं सही हल निकाला जा सकता है।
राज्य व प्रशासन की वर्तमान समस्याओं का हल इतिहास के घटनाक्रम को समझाकर आसानी से किया जा सकता है। इस तरह इतिहास लोक प्रशासन का पथ-प्रदर्शक है और दोनों का पारस्परिक घनिष्ठ सम्बन्ध है।