Meaning and Definition of Business Environment Notes
व्यावसायिक पर्यावरण का अर्थ एवं परिभाषा
किसी व्यवसाय का जीवन तथा अस्तित्व इस बात पर निर्भर करता है कि व्यवसाय अपने भौतिक साधनों, वित्तीय साधनों तथा अन्य क्षमताओं का उद्यम के अनुरूप किस प्रकार समायोजन करता है। किसी व्यावसायिक संस्था को प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप में प्रभावित करने वाले वातावरण को व्यावसायिक पर्यावरण के रूप में जाना जाता है। व्यावसायिक पर्यावरण को प्रमुख विद्वानों ने निम्नलिखित रूप में परिभाषित किया है विलियम ग्लूक व जॉक के शब्दों में, “पर्यावरण में फर्म के बाहर के घटक शामिल – होते हैं जो फर्म के लिए अवसर एवं खतरे उत्पन्न करते हैं।’ व्हीलर के शब्दों में, “व्यावसायिक पर्यावरण व्यावसायिक फर्मों तथा उद्योगों के बाहर । की उन सभी बातों का योग है जो उनके संगठन एवं संचालन को प्रभावित करती हैं।” व्यावसायिक पर्यावरण का व्यवसाय पर आंशिक अथवा विस्तृत रूप में प्रभाव पड़ता है। . बाह्य कारकों को अपने अनुकूल करना सम्भव नहीं होता है, अत: उन कारकों के अनुगामी होकर हमें अपने कार्यों को दिशा देनी पड़ती है और उनके अनुकूल समायोजन करना पड़ता है। ऐसा न कर पाने की दशा में व्यवसाय में ह्रास का होना अवश्यम्भावी हो जाता है। ..
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व्यावसायिक पर्यावरण के विभिन्न घटक (Various Components of Business Environment)
व्यावसायिक पर्यावरण कई घटकों का योग है। इसकी मूल विशेषता यह है कि इसमें प्रतिपल परिवर्तन होता है। व्यावसायिक पर्यावरण के निम्नलिखित प्रमुख घटक हैं .
राजनीतिक एवं प्रशासकीय घटक (Political and Administrative Components)
व्यावसायिक पर्यावरण पर विभिन्न प्रकार की राजनीतिक विचारधाराओं का स्पष्ट प्रभाव परिलक्षित होता है, इसीलिए इन्हें एक घटक के रूप में देखा जाता है। प्रजातान्त्रिक व्यवस्था में शासन तन्त्र सार्वजनिक कल्याण के हित में कार्य करता है। इस परिवेश में लोग स्वेच्छा से आर्थिक विकास के कार्यों में भाग लेते हैं। इसके विपरीत, साम्यवादी एवं तानाशाही देशों में लोगों पर दबाव डाला जाता है, उन्हें बाध्य किया जाता है। बाध्यता की स्थिति में इन देशों में श्रम करने के प्रति वह रुचि नहीं रहती, जो प्रजातान्त्रिक देशों में रहती है। जब लोगों को यह जानकारी रहती है कि प्रशासन उनके हित में ही काम करेगा, तब ऐसे प्रशासन को लोगों का स्वमेव सहयोग मिलने लगता है। ऐसी क्रियाओं का उद्योग व व्यवसाय के क्षेत्र में
– सकारात्मक प्रभाव पड़ता है तथा उद्योग क्षेत्र उन्नति की ओर अग्रसर होता है। इसके वि स्थिति होने पर व्यावसायिक क्रियाएँ कुण्ठित हो जाती हैं, अतः यह एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
आर्थिक घटक (Economic Components)
व्यावसायिक पर्यावरण विभिन्न घटकों का प्रभाव पड़ता है जिनमें आर्थिक घटक अति महत्त्वपूर्ण है। इसके अला विभिन्न आर्थिक घटनाएँ तथा तत्सम्बन्धी क्रियाएँ आती हैं। इसमें आर्थिक नीतियाँ, विनियोग औद्योगिक प्रवृत्तियाँ, आर्थिक दबाव, आयात-निर्यात, मौद्रिक नीति आदि सम्मिलित होते हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय परिवेश (International Components)
उद्योग में उदार व खुली नीति का प्रभाव होने के कारण अन्तर्राष्ट्रीय परिवेश का कारक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हो गया है। एक देश के दूसरे देश के साथ व्यापारिक, वाणिज्यिक एवं तकनीकी सम्बन्ध होते हैं। यदि अन्तर्राष्ट्रीय स्थिति अनुकूल रहती है तो देश की घरेलू आर्थिक स्थिति के लिए व्यावसायिक वातावरण सहयोगपूर्ण होगा। आज पूरा विश्व एक वृहत्तर व्यापारिक मण्डी में बदल चुका है। भूमण्डलीकरण के दौर में निश्चय ही इस घटक का महत्त्व बढ़ गया है। ‘
सामाजिक एवं सांस्कृतिक घटक (Social and Cultural Components)
व्यावसायिक पर्यावरण में विभिन्न सामाजिक एवं सांस्कृतिक घटकों का भी प्रभाव परिलक्षित होता है। सामाजिक घटक के प्रभाव को उदाहरणस्वरूप यूरोप के प्रोटेस्टैण्ट धर्म में देखा जा सकता है, जिसने यूरोपीय महाद्वीप में उन्नति के द्वार खोल दिए थे। इसी सांस्कृतिक घटक के कारण इंग्लैण्ड ने चतुर्दिक उन्नति की थी। समाज के सांस्कृतिक मूल्यों का प्रभाव देश के व्यावसायिक पर्यावरण पर पड़ता है। ऐसे मूल्यों का प्रभाव श्रमिकों के श्रम करने की इच्छा तथा क्षमता पर भी पड़ता है, जिससे अन्तत: व्यावसायिक पर्यावरण प्रभावित होता है। संस्कृति का क्षेत्र काफी विशाल है। इसके अन्तर्गत कला, साहित्य, जीवन-शैली, मानवीय आकांक्षा, ज्ञान, विश्वास, परम्परा, रीति-रिवाज, आदर्श, सामाजिक प्राथमिकताएँ आदि शामिल हैं।
भौगोलिक घटक (Geographical Components)
इसके अन्तर्गत प्राकृतिक संसाधनों जैसे खनिज, पर्यावरण, जलवायु, भूमि की संरचना, जंगल, पहाड़ आदि की विवेचना की जाती है।
वैधानिक घटक (Legal Components)-
इस वर्ग के अन्तर्गत वैधानिक प्रवृत्ति के घटकों को शामिल किया जाता है। सम्पूर्ण वैधानिक प्रक्रिया, सम्पत्ति अधिकार कानून, विभिन्न श्रम कानून, फैक्ट्री कानून आदि इसमें समाहित हैं। यदि उपर्युक्त समस्त कारक व्यवसाय के अनुगामी होते हैं तो व्यवसाय के लिए विकासकारी होते हैं।
निम्नलिखित घटक भी व्यावसायिक पर्यावरण कप्रभावित करते हैं—
- अनार्थिक पर्यावरण,
II. आर्थिक पर्यावरण।
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अनार्थिक पर्यावरण
(Non–economic Environment)
अनार्थिक कारक एक ऐसा तत्त्व है जिसका व्यावसायिक पर्यावरण के बाह्य पक्ष पर विशिष्ट प्रभाव पड़ता है। अनार्थिक पर्यावरण की विवेचना में निम्नलिखित तथ्य सम्मिलित होते हैं
- सामाजिक पर्यावरण (Social Environment)-
व्यवसाय एक सामाजिक संस्था है, अत: इस पर सामाजिक पर्यावरण जैसे जनसंख्या, परिवार, जनता का दायित्व-बोध, कार्य के प्रति धारणा, प्रबन्धकीय दृष्टिकोण, समाज के लोगों की परम्परा के प्रति धारणा, सामाजिक मूल्यों आदि का प्रभाव पड़ता है।
2. वैधानिक पर्यावरण (Legal Environment)-
देश में व्यावसायिक पर्यावरण के विकास के लिए वैधानिक पर्यावरण का स्वच्छ होना अति आवश्यक है। व्यवसाय से सम्बन्धित व्यक्तियों को सम्पत्ति अर्जित करने तथा रखने का वैधानिक अधिकार होना चाहिए। इसी तरह श्रमिकों के अधिकार की रक्षा के लिए भी कानून होना चाहिए। निजी सम्पत्ति का वैधानिक अधिकार होना आवश्यक है। विवाद के निपटारे के लिए निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र न्याय व्यवस्था भी आवश्यक है।
3. राजनीतिक पर्यावरण (Political Environment)-
इसके अन्तर्गत सरकार की राजनीतिक धारणा, राजनीतिक स्थिरता, विदेश नीति, शासन-व्यवस्था आदि की विवेचना जैसे कारकों का समावेश होता है।
4. भौतिक पर्यावरण (Physical Environment)-
यह व्यवस्था के संचालन का प्रमुख आधार है। वस्तुत: व्यवसाय और प्रकृति के मध्य गहरा सम्बन्ध है। इसमें निम्नलिखित तत्त्व सम्मिलित हैं
(i) प्राकृतिक संरचना; जैसे-विद्युत, सड़क मार्ग, रेल मार्ग, अन्य यातायात आदि।
(ii) प्राकृतिक साधन; जैसे- भूमि, खनिज, जल आदि।
(iii) जलवायु अर्थात् तापमान, वर्षा, ठण्डक, नमी आदि।
5. अन्य (Others)-
अनार्थिक पर्यावरण का रूप इस प्रकार का होना चाहिए कि वह आर्थिक पर्यावरण का परिपोषक हो सके। इसके लिए तकनीकी विकास इस प्रकार हो जो प्रौद्योगिक पर्यावरण को गति प्रदान कर सके। इसके अन्तर्गत उचित शैक्षिक वातावरण तथा वैज्ञानिक मानसिकता के सृजन की आवश्यकता है। इनके लिए आवश्यक है कि सामाजिक, सांस्कृतिक तथा नैतिक मूल्य, व्यवसाय की प्रगति के अनुकूल हों।
II. आर्थिक पर्यावरण (Economic Environment)
आर्थिक पर्यावरण में बैंकिंग तथा वित्तीय संस्थाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। उत्पादन के निमित्त खेत, कारखाने, प्राकृतिक उपादान खनन क्षेत्र आदि का होना आवश्यक है। . इसी प्रकार इनके विनिमय हेतु सेल्समैन, वितरक, दुकानें, भण्डारगृह आदि होते हैं। अन्य अनेक संस्थाएँ (यथा-काश्तकार, श्रमिक, पूँजीपति, उपभोक्ता तथा विभिन्न कार्मिक) भी सहयोगी होती हैं। इन सबको समवेत रूप से आर्थिक संस्थाएँ कहा गया है, इनका सम्मिलित स्वरूप ही ‘आर्थिक पर्यावरण’ कहलाता है। आर्थिक पर्यावरण को प्रभावित करने वाले अनेक घटक हैं, जिनमें से प्रमुख तीन घटक निम्नलिखित हैं
- आर्थिक विकास की अवस्था (State of Economic Development)
इसके द्वारा ही घरेलू बाजार के आकार का स्वरूप निर्धारित होता है। आर्थिक विकास की यह अवस्था व्यवसाय को निश्चित रूप से प्रभावित करती है। यह व्यवसाय के विस्तार तथा उसकी प्रकृति को भी प्रभावित करती है।
- आर्थिक नीतियाँ (Economic Policies)—
इसके द्वारा राष्ट्र की सम्पूर्ण व्यावसायिक गतिविधियों का नियन्त्रण व नियमन किया जाता है। आर्थिक नीति का निर्धारण प्रायः सरकार की मशीनरी द्वारा किया जाता है। आर्थिक नीति एक विस्तृत शब्दावली है जिसके अन्तर्गत अनेक क्षेत्र समाविष्ट हैं; यथा-व्यापारिक, मौद्रिक, राजकोषीय, साख, कीमत, श्रम आदि क्षेत्र।
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