New Five Yearly policy (2015&2020)
नवीन पंचवर्षीय विदेश व्यापार नीति
सरकार ने 1 अप्रैल, 2015 को विदेश व्यापार नीति (2015-20) की घोषणा की। नई विदेश व्यापार नीति में निर्यातकों को मिलने वाले इन्सेंटिव में कई परिवर्तन किए गए हैं। वहीं ‘मेक इन इण्डिया’ कार्यक्रम को प्रोत्साहित करने के लिए एक्सपोर्ट प्रमोशन कैपिटल गुड्स स्कीम (ईपीसीजी) के अन्तर्गत शुल्क में छूट पाने के लिए निर्यातकों को निर्यात की शर्त में राहत दी गई है। ई-कॉमर्स के माध्यम से ₹ 25,000 तक के मूल्य वाले हैंडलूम उत्पाद, लेदर फुटवियर, खिलौना व फैशन गारमेन्ट का निर्यात करने वाले निर्यातकों को अन्य निर्यातकों की तरह विभिन्न प्रकार के लाभ मिलेंगे। नई नीति के अन्तर्गत कालीकट एयरपोर्ट, केरल व अराकोनम के कन्टेनर डिपो से आयात-निर्यात किया जा सकेगा। विशाखापट्टनम व भीमावरम को टाउन ऑफ एक्सपोर्ट एक्सलेंस घोषित किया गया है। नई नीति के अन्तर्गत किए गए उपायों की सहायता से सरकार ने वर्ष 2020 तक देश के निर्यात को 900 अरब डॉलर वार्षिक तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा है। इस नीति में निर्यातकों और विशेष निर्यात जोन (एसईजेड) के लिए कई प्रोत्साहनो को घोषणा की गई है। प्रावधानों की निरन्तरता बनाए रखने और निर्यातकों व भायातको को लम्बी अवधि की रणनीति बनाने में सहायता करने के लिए नीति की अवधि पाँच वर्ष तय की गई है।
New Five Yearly policy 2015-2020 Notes
नई नीति में निर्यात प्रोत्साहन के लिए पहले से चल रही पाँच विभिन्न प्रकार की योजनामो-फोकस प्रोडक्ट योजना, मार्केट लिंक्ड फोकस प्रोडक्ट योजना, फोकस मार्केट योजना, एयो इंफ्रास्ट्रक्चर इन्सेटिव स्क्रिप्स व वीकेजीयूवाई के स्थान पर अब मचेंडाइज एक्सपोर्ट फ्रॉम इण्डिया योजना (एमईआईएस) की शुरुआत की गई। सेवा निर्यात के लिए सविस एक्सपोर्ट फॉम इण्डिया स्कीम (एसईआईएस) लायी गई है। इन दोनों योजनाओं के अन्तर्गत निर्यातकों को वस्तु और बाजार के आधार पर स्क्रिप्स के रूप में इन्सेटिव दिए जाएंगे। वस्तुओ के निर्यातकों को 2 से 5 प्रतिशत तक इन्सेंटिव दिए जाएँगे तो सेवा निर्यातकों को 3 से 5 प्रतिशत तक इन्सेटिव मिलेंगे। इन्सेटिव की दर निर्यात की जाने वाली वस्तु व बाजार के आधार पर तय होगी। रोजगारपरक क्षेत्र की वस्तु, कृषि व ग्रामीण उद्योग, पर्यावरण अनुकूलन के साथ अधिक मुल्य वाली वस्तुओं के निर्यात पर सबसे अधिक इन्सेंटिव दिए जाएंगे। ऐसे में कई ऐसी भी वस्तुएँ होंगी जिनके निर्यात पर कोई इन्सेंटिव नहीं मिलेगा। इन्सेंटिव के रूप में प्राप्त करने वाले स्क्रिप्स से निर्यातक किसी भी प्रकार के कर जैसे उत्पाद कर, सीमा शुल्क व सेवा कर को चुका सकते हैं। स्क्रिप्स को ट्रांसफर भी किया जा सकेगा।
बाजारों का वर्गीकरण (Classification of Markets)-
निर्यात बाजार को भी तीन श्रेणी में बाँटा गया है-ए श्रेणी में अमेरिका, यूरोपीय संघ के देश व कनाडा को मिलाकर 30 देश हैं। बी श्रेणी में अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, सीआईएस देश, आसियान देशों को मिलाकर 139 देशों को शामिल किया गया है। अन्य 70 देशों को सी श्रेणी के देश माना गया है
विदेश व्यापार (Foreign Trade)
कृषि उत्पादों के निर्यात पर जोर देते हुए इन उत्पादों को ज्यादा छूट देने का प्रावधान किया है। साथ ही सरकार ने नीति को ‘मेक इन इण्डिया’ और ‘डिजीटल इण्डिया’ से जोड़ने का प्रयास किया है। देश से होने वाला वस्तु व सेवाओं का निर्यात अगले पाँच वर्ष में बढ़ाकर 900 अरब डॉलर तक पहुँच जाएगा। इससे विदेश व्यापार में भारत की हिस्सेदारी वर्तमान दो से बढ़कर 3.5 प्रतिशत हो जाएगी।
एसईजेड को प्रोत्साहन (Promotion for Special Economic Zone SEZ)
सरकार ने विशेष आर्थिक क्षेत्रों अर्थात् एसईजेड की भूमिका और बढ़ाने के लिए नीति में एमईआईएस और एसईआईएस के अन्तर्गत निर्यात दायित्व में 25 प्रतिशत की कमी कर दी है। ऐसा होने के बाद निवेशकों की दृष्टि से एसईजेड और आकर्षक बनेंगे। साथ ही इससे घरेलू पूँजीगत समान उद्योग को भी प्रोत्साहन मिलेगा। इसके अतिरिक्त एसईजेड की इकाइयों को भी अब विदेश व्यापार नीति के चैप्टर तीन के अन्तर्गत मिलने वाली छूट भी मिलेगी। वर्ष 2012 में एसईजेड पर न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) लागू होने के बाद से निवेशक इससे दूर हो रहे थे।
राज्यों के साथ सहयोग (Cooperation with States)-
केन्द्र निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए राज्यों का भी सक्रिय सहयोग लेगा। इसके लिए नीति में एक संगठनात्मक ढाँचे का प्रस्ताव भी किया गया है। राज्य सरकारों की भागीदारी के लिए एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन के गठन का प्रस्ताव किया गया है।
सरकार के अभियानों को सहायता (Helpful for Government Plans)
मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र और रोजगार सृजन में छोटे व मझौले उद्यमों को महत्त्व दिया गया। सूक्ष्म, लग एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के 108 समूहों की पहचान की गई हैं। इसी तरह ‘स्कल इण्डिया’ के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए ‘निर्यात बन्धु’ योजना को मजबूत बनाया जा रहा है। नई विदेशी व्यापार नीति (एफटीपी) ई-कॉमर्स को भी बढ़ावा देगी। विशेष रूप से उन क्षेत्रों को नीति में ज्यादा प्रोत्साहन देने की व्यवस्था की गई है, जो ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा करते हैं। एफटीपी के अन्तर्गत ऐसी ई-कॉमर्स कम्पनियों को प्रोत्साहन मिलेगा, जो ऐसे क्षेत्रों के उत्पाद निर्यात करेंगी जिन पर सरकार रोजगार सृजन के लिए ध्यान दे रही है। इनमें चमड़ा और हस्तशिल्प क्षेत्र प्रमुख हैं।
New Five Yearly policy 2015-2020 Notes
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