Meaning of Incorporation of Company
कम्पनी के समामेलन का अर्थ
भारतीय कम्पनी अधिनियम के अनुसार, कम्पनी के समामेलन हेतु उस राज्य के रजिस्ट्रार (जहाँ पर कम्पनी का रजिस्टर्ड कार्यालय होगा) के पास (i) पार्षद सीमानियम, (ii) पार्षद अन्तर्नियम, (iii) संचालकों की संचालक बनाने की लिखित सहमति, (iv) संचालकों की योग्यता अंश लेने की लिखित सहमति, (v) कम्पनी के रजिस्टर्ड कार्यालय की सूचना, (vi) | वैधानिक घोषणा, तथा (vii) निश्चित शुल्क सहित सभी उपर्युक्त प्रपत्र जमा करने होते हैं। रजिस्ट्रार अपनी सन्तुष्टि के बाद उस कम्पनी का नाम अपने रजिस्टर में लिख लेता है और कम्पनी को इस आशय का एक प्रमाण-पत्र दे देता है कि कम्पनी का रजिस्ट्रेशन कर लिया गया है। इस प्रकार से कम्पनी का समामेलन हो जाता है।
समामेलन के प्रभाव
(Consequences fo Incorporation)
(1) कम्पनी समामेलित संस्था बन जाती है।
(2) कम्पनी और सदस्यों के मध्य एक अनुबन्ध हो जाता है ।
(3) समामेलन के बाद कम्पनी दूसरे पक्षों पर और दूसरे पक्ष कम्पनी पर वाद प्रस्तुत कर सकते हैं।
(4) कम्पनी का स्थायी अस्तित्व होता है।
(5) कम्पनी का पृथक् अस्तित्व हो जाता है।
(6) सदस्यों द्वारा देय धन कम्पनी के ऋण की भाँति समझी जाती है।
(7) समामेलन के बाद कम्पनी एक वैधानिक व्यक्ति बन जाती है।
(8) समामेलन से पूर्व की अनियमितताएँ समामेलन को व्यर्थ नहीं करती।
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समामलन का प्रमाण-पत्र
(Certificate of Incorporation)
कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 9 के अनुसार “कम्पनी के रजिस्ट्रेशन के बाद रजिस्ट्रार अपने हस्ताक्षरों तथा कार्यालय की मोहर के अन्तर्गत एक प्रमाण-पत्र देता है, जिसे ‘समामेलन का प्रमाण-पत्र’ कहा जाता है । इसमें यह लिखा रहता है कि कम्पनी समामेलित हो गई है।
इस प्रमाण-पत्र में निम्नलिखित बातों का उल्लेख होता है (i) कम्पनी का पूरा नाम (ii) कम्पनी के सदस्यों का दायित्व (iii) कम्पनी के समामेलन का प्रमाण-पत्र जारी किये जाने की तारीख । (iv) मुद्रांक (स्टाम्प) की राशि। ‘ (v) रजिस्ट्रार के कार्यालय की मोहर (सील)। (vi) रजिस्ट्रार की सील के साथ उसके हस्ताक्षर।
समामेलन के प्रमाण-पत्र का नमूना
(Specimen Certificate of Incorporation)
संख्या …………. दिनांक ……………
मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि ………… कम्पनी लिमिटेड आज के दिन कम्पनी अधिनियम 2013 के अन्तर्गत समामेलित हो गयी है और यह सीमित दायित्व वाली कम्पनी है। ……… (तिथि व माह) को मेरे हाथ से यह प्रमाण-पत्र निर्गमित हुआ। कम्पनी रजिस्ट्रार की सोल हस्ताक्षर,
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समामेलन का प्रमाण-पत्र -एक निश्चयात्मक प्रमाण होना
(Certificate of Incorporation : A Conclusive Evidence)
कम्पनी अधिनियम के अनुसार, समामेलन का प्रमाण-पत्र इस बात का निश्चयात्मक प्रमाण होता है कि कम्पनी की समामेलन सम्बन्धी सभी वैधानिक कार्यवाही पूरी हो चुकी हैं और रजिस्ट्रार के यहाँ कम्पनी का पंजीयन हो गया है।
समामेलन का प्रमाण पत्र निम्नलिखित बातों के सम्बन्ध में निश्चयात्मक प्रमाण होता है –
पार्षद सीमानियम व अन्तर्नियम कम्पनी अधिनियम की व्यवस्थाओं के अन्तर्गत बनाये गये हैं।
पार्षद सीमा नियम के प्रत्येक हस्ताक्षरकर्ता ने अपने नाम के आगे अंकित अंश ले लिये
कम्पनी का समामेलन उचित ढंग से हुआ है।
कम्पनी एक निजी या सार्वजनिक कम्पनी है और इसके सदस्यों का दायित्व सीमित है। कम्पनी की रजिस्ट्री तथा इससे सम्बन्धित विषयों के सम्बन्ध में कम्पनी अधिनियम की सभी औपचारिकतायें पूरी कर दी गई हैं। यदि बाद में यह पता चलता है कि किसी प्रकार का कपटपूर्ण व्यवहार किया गया है तो भी समामेलन का प्रमाण-पत्र समामेलन का निश्चयात्मक प्रमाण होगा।
उपर्युक्त के अतिरिक्त यदि निम्नलिखित त्रुटियाँ पायी जाये तो भी समामेलन का प्रमाण-पत्र निश्चयात्मकता का प्रमाण ही माना जाता है-
(i) पार्षद सीमानियम में सदस्यों के हस्ताक्षर होने के बाद तथा रजिस्ट्रेशन से पहले परिवर्तन कर दिये गये हों।
(ii) सभी हस्ताक्षरकर्ता अव्यस्क हों।
(iii) पार्षद सीमानियम पर किये गये सभी हस्ताक्षर कपटपूर्ण हों।
(iv) कम्पनी का उद्देश्य अवैध हो। निष्कर्ष-उपर्युक्त विवेचना से स्पष्ट है कि कम्पनी का समामेलन हो जाने के बाद से यह निश्चयात्मक प्रमाण समझा जाता है कि कम्पनी का समामेलन ठीक प्रकार से किया गया है, भले ही कोई अनियमितता रह गई हो। समामेलन का प्रमाण-पत्र जारी होने के पश्चात् कम्पनी के अस्तित्व को चुनौती नहीं दी जा सकती। इस प्रकार कम्पनी का समामेलन का प्रमाण-पत्र कम्पनी को निर्गमित करने का कम्पनी अधिनियम/26 के अस्तित्व का तो प्रमाण है, परन्तु समामेलन से पूर्व की अनियमितताओं को निर्गमित , प्रमाण नहीं है।
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