Meaning of Public Company
सार्वजनिक कम्पनी से आशय
कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 2 (71) के अनुसार “सार्वजनिक कम्पनी वह कम्पनी है जो निजी कम्पनी नहीं है।” यद्यपि यह परिभाषा निजी कम्पनी की प्रकृति को स्पष्ट नहीं करती तथापि इससे यह जरूर समझ में आ जाता है कि सार्वजनिक कम्पनी पर लगने वाले प्रतिबन्ध निजी कम्पनी पर लागू नहीं होते। इस प्रकार सार्वजनिक कम्पनी के अन्तर्नियमों में निम्नलिखित प्रावधान होते हैं
(1) न्यूनतम सदस्य संख्या 7 तथा अधिकतम सदस्य संख्य पर कोई रोक नहीं।
(2) शेयरों का सरलता से हस्तांतरण ।
(3) शेयरों तथा ऋणपत्रों को जन साधारण को जारी करने की स्वीकृति ।
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(I) निजी कम्पनी का सार्वजनिक कम्पनी में परिवर्तन
(Conversion of a Private Company into a Public Company)
एक निजी कम्पनी निम्नलिखित तीन दशाओं में सार्वजनिक कम्पनी
में बदल सकती है।
(1) चूक द्वारा परिवर्तन
(2) कानूनी प्रक्रिया द्वारा परिवर्तन
(3) अपनी इच्छा से परिवर्तन हम यहाँ पर “अपनी इच्छा से परिवर्तन” विधि का अध्ययन करेंगे।
Note-चूक द्वारा परिवर्तन व कानूनी प्रक्रिया द्वारा परिवर्तन विधियों का अध्ययन “निजी कम्पनी को सार्वजनिक कम्पनी माना जाना” शीर्षक के अन्तर्गत करेंगे।
ऐच्छिक परिवर्तन
(Conversion by Choice)
यदि कोई निजी कम्पनी अपने को सार्वजनिक कम्पनी में परिवर्तित करना चाहे तो उसे कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 243 के अन्तर्गत निम्न विधि अपनानी होगी
(1) अन्तर्नियमों में परिवर्तन करना (To Change the Articles of Association)-यदि एक निजी कम्पनी अपने पार्षद अन्तर्नियमों में परिवर्तन करने हेतु उन प्रतिबन्धों को हटाती है जो अंश हस्तान्तरण सदस्यों की संख्या तथा अंश अभिदान से सम्बन्धित होते है. तो ऐसी निजी कम्पनी को इस सम्बन्ध में प्रस्ताव पारित करने की तिथि से सार्वजनिक कम्पनी माना जाएगा।
(2) रजिस्ट्रार को प्रविवरण या स्थानापन्न प्रविवरण भेजना (To File the Prospectus or Statement in Lieu of Prospectus with the Registrar)-यदि कोई निजी कम्पनी सार्वजनिक कम्पनी में बदलने के लिए प्रस्ताव पारित करती है तो ऐसी निजी कम्पनी को अपने पार्षद अन्तर्नियमों में किए गए परिवर्तन के 30 दिन के अन्दर रजिस्ट्रार के पास या तो प्रविवरण या स्थानापन्न प्रविवरण फाइल करना चाहिए। इस प्रविवरण में वह सब विषय लिखना चाहिए जो द्वितीय अनुसूची के प्रथम भाग में दिया हुआ है अथवा उसके स्थानापन्न विवरण में चतुर्थ अनुसूची के भाग में दी हुई सूचनाएँ लिखी जानी चाहिए।
(3) नाम एवं पंजी वाक्य में परिवर्तन करना (To change the Name and Capital Clause)- इस उद्देश्य के लिए अंशधारियों को 21 दिन के नोटिस पर एक सभा बुलाई जाएगी। नाम वाक्य में परिवर्तन अर्थात ‘प्राइवेट’ शब्द को हटाकर तथा इसके स्थान पर लिमिटेड शब्द को जोड़ने के लिए उपस्थित अंशधारियों के 3/4 बहुमत के द्वारा एक विशेष प्रस्ताव पारित करना होगा। पंजी वाक्य में परिवर्तन अर्थात कल पूँजी की मात्रा और उसके विभिन्न प्रकार के अंशों में विभाजन एवं इनके स्वतन्त्र हस्तान्तरण हेतु एक साधारण प्रस्ताव पारित किया जाएगा।
(4) सदस्यों एवं संचालकों की संख्या में परिवर्तन (To Change the number of Members & Directors)- एक निजी कम्पनी का सार्वजनिक कम्पनी में परिवर्तन करने के लिए आवश्यक है कि कम्पनी में कम से कम 7 सदस्य और 3 संचालक हो ।
(5) दण्ड की व्यवस्था (Provision of Penalty)- वैधानिक व्यवस्था एवं प्रक्रिया का पालन न करने पर कम्पनी तथा कम्पनी के प्रत्येक दोषी अधिकारी पर जो यह गलती करता है,500 रुपये प्रतिदिन की दर से दण्ड लगाया जा सकता है। .
(6)विधि (Procedure)- जब किसी निजी कम्पनी को सार्वजनिक कम्पनी में बदलना होता है तो संचालक ऐसा करने के लिए एक प्रस्ताव रखते हैं और असाधारण सभा (Extra-ordinary Meeting) इस प्रस्ताव को पारित करने के लिए बुलाते हैं। जिस दिन यह प्रस्ताव विशेष प्रस्ताव की तरह पारित हो जाता है उसी दिन से निजी कम्पनी सार्वजनिक कम्पनी में परिवर्तित हो जाती है। इसकी सूचना रजिस्ट्रार को भेजनी पड़ती हैं । ऐसा परिवर्तन कम्पनी के वैधानिक अस्तित्व को प्रभावित नहीं करता।
(II) सार्वजनिक कम्पनी को निजी कम्पनी में परिवर्तित करना
(Conversion of Public Company into a Private Company)
कम्पनी अधिनियम की धारा 2(68) के अनुसार किसी भी सार्वजनिक कम्पनी को निजी कम्पनी में बदलने के लिये निम्न विधि अपनाई जानी चाहिये
(1) अन्तर्नियमों में परिवर्तन-किसी भी सार्वजनिक कम्पनी में विशेष प्रस्ताव केद्वारा अन्तर्नियमों में परिवर्तन करके एक निजी कम्पनी में बदला जा सकता है।
(2) केन्द्रीय सरकार की स्वीकृति प्राप्त करना-अन्तर्नियमों में किये गये परिवर्तनों पर जब तक केन्द्रीय सरकार की स्वीकृति प्राप्त नहीं होती तब तक कोई भी कम्पनी सार्वजनिक कम्पनी से निजी कम्पनी नहीं बन सकती।
(3) परिवर्तित अन्तर्नियमों की प्रतिलिपि रजिस्टार के पास प्रस्तुत करना-जब कम्पनी को अन्तर्नियमों में परिवर्तन के पश्चात् सरकार की अनुमति प्राप्त हो जाती है तो इस अनुमति के मिलने के पश्चात् 30 दिन के भीतर परिवर्तित अन्तर्नियमों की प्रतिलिपि को कम्पनी रजिस्ट्रार के पास भेजना आवश्यक है, ताकि वह अपने रजिस्टर में उस कम्पनी को सार्वजनिक कम्पनी के बदले निजी कम्पनी लिख. सके।कोई भी सार्वजनिक कम्पनी यदि उपर्युक्त शर्ते पूरी कर देती है तो निश्चय ही वह निजी कम्पनी के रूप में परिवर्तित हो जाएगी। इसके पश्चात् उसे तुरन्त अपने सदस्यों की संख्या को निजी कम्पनी के लिए निर्धारित सीमा तक कम करना तथा अपने नाम के पश्चात् ‘प्राइवेट शब्द लिखना अनिवार्य होगा।
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