Outline of Business Letter : Introduction -Bcom pdf Notes
व्यावसायिक पत्र का खाका – परिचय
किसी पत्र को लिखने से पहले एक प्रभावी योजना बनाना आवश्यक है। पत्र की प्रभावपूर्ण संरचना के लिए योजना में उद्देश्य की पहचान, श्रोताओं का विश्लेषण, मुख्य विचार को परिभाषित करना एवं विचारों के समर्थन में आँकड़े एकत्र करने चाहिए।
जिस प्रकार भवन का निर्माण कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व एक नक्शा तैयार किया जाता है जो भवन के विभिन्न भागों के बारे में जानकारी देता है, उसी प्रकार व्यावसायिक पत्रों को लिखने से पहले इनका एक खाका तैयार किया जाता है जो इन पत्रों में दी जाने वाली विभिन्न सूचनाओं को विधिवत् रूप से व्यवस्थित करने में सहायक होता है। सामान्यत: खाके का आशय होता है कि ‘कहाँ क्या है?’
व्यावसायिक पत्र के विभिन्न भाग होते हैं; जैसे— भेजने वाले का नाम व पता, विषय, शीर्षक, विभिन्न वाक्य-खण्ड इत्यादि । व्यावसायिक पत्र के खाके में पत्र के इन सभी भागों को सम्मिलित किया जाता है तथा जब इन भागों को विधिवत् रूप से व्यवस्थित कर दिया जाता है तो यह एक आदर्श व्यावसायिक पत्र बन जाता है। व्यावसायिक पत्र, विक्रय प्रतिनिधि के कार्य को पूरा करता है अत: एक विक्रय प्रतिनिधि की भाँति व्यावसायिक पत्र को भी पाठक के मन पर सुप्रभाव डालना चाहिए। यदि कोई विक्रय प्रतिनिधि स्वयं को ठीक प्रकार से उपस्थित नहीं कर पाता है या फर्म के बारे में उसे पूर्ण जानकारी नहीं है तो उसका ग्राहक पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ेगा। यही स्थिति पत्र की होती है। यदि पत्र की भाषा प्रभावी नहीं है या पत्र की विषय-सामग्री को ठीक प्रकार से व्यवस्थित नहीं किया गया है या उसमें गलतियाँ हैं, तो पाठक उससे बिल्कुल प्रभावित नहीं होता।
पत्र के ढाँचे को निर्धारित करते समय पूर्ण ध्यान रखना चाहिए कि उसमें कोई कमी न रह जाए, उसका कोई भाग छूट न जाए। पत्र का कोई भाग छूट जाने से पत्र की भी वही स्थिति होगी जो एक अपंग व्यक्ति की होती है।
पत्र के प्रमुख भाग
(Important parts of a Letter)
पत्र के प्रमुख भाग निम्न प्रकार हैं–
1. पत्र का शीर्षक (Letter-head) किसी भी पत्र का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग उसका शीर्षक होता है, जिसमें पत्र भेजने वाली फर्म या संस्था का नाम, व्यवसाय की प्रकृति, व्यावसायिक कार्यालय का पता, दूरभाष सं० तार का पता आदि का विवरण होता है। अधिकतर यह शीर्षक छपा हुआ ही होता है। एक आकर्षक व सुन्दर शीर्षक पत्र प्राप्तकर्ता को पत्र पढ़ने के लिए प्रेरित करता है। सामान्यतः शीर्षक में निम्नलिखित सूचनाएँ होती हैं-
(अ) फर्म का नाम व पता (Name and Address of the Firm) – सामान्यतः प्रत्येक व्यावसायिक गृह द्वारा पत्र व्यवहार में लैटर हैड का प्रयोग किया जाता है। यह एक समुचित आकार का कागज होता है, जिस पर फर्म का नाम, व्यवसाय की प्रकृति व इसका पता छपा होता है। इसके अतिरिक्त, इस पर फर्म की दूरभाष संख्या, तार का पता एवं टेलेक्स संख्या इत्यादि भी छपे होते हैं। यह लैटर हैड सुन्दर व आकर्षक होना चाहिए क्योंकि यह विज्ञापन के माध्यम के रूप में कार्य करता है; जैसे- –
यूनिवर्सल बुक डिपो
61, हुमायूँ रोड, कानपुर।
तार – ‘बुक’
फोन नं० – 2234537, 3415466
(ब) तिथि (Date) — तिथि या दिनांक किसी पत्र का अत्यावश्यक अंग है। प्राय: दिनांक लिखने का स्थान व्यापारिक कार्यालय के पते के नीचे दाहिनी ओर दिया होता है। इसकी सहायता से पत्र को फाइल करने में सुविधा रहती है एवं पत्र भविष्य में सन्दर्भ हेतु सहायक सिद्ध होता है। तिथि में दिन, माह व वर्ष को सम्मिलित किया जाता है। आजकल पत्र में तिथि लिखने की दो विधियाँ प्रचलित हैं- (i) अंग्रेजी विधि – 28 जनवरी, 2004 (ii) अमेरिकन विधि – जनवरी 28, 2004 जब फर्म का पता एवं तिथि दोनों एक-दूसरे से मिलते हों तो पहले ढंग से लिखे पते को दूसरे ढंग से लिखना चाहिए; जैसे
पहला ढंग (x) – 20, रामबाग, गढ़ रोड मेरठ। 20 जनवरी, 2017
दूसरा ढंग (v) – 20, रामबाग, गढ़ रोड मेरठ। | जनवरी 20, 2017
(स) सन्दर्भ (Reference) — सन्दर्भ संख्या का प्रयोग प्राप्त पत्रों या भेजे गए पत्रों का हवाला देने के लिए किया जाता है। सन्दर्भ देने से यह लाभ होता है कि उन पत्रों की विषय-वस्तु पुन: विस्तार से नहीं लिखनी पड़ती । सन्दर्भ का स्थान कोड संख्या के नीचे होता है। – पत्र का प्राप्तकर्त्ता सन्दर्भ के आधार पर पुराने पत्र को देखकर उसके बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त कर लेता है। सन्दर्भ बायीं ओर के हाशिए की तरफ लिखा जाता है।