Meaning of Listening
श्रवणता से अभिप्राय
श्रवणता, इतनी सरल क्रिया नहीं है जितनी कि समझी जाती है। अधिकांश व्यक्ति इस बारे में अक्षम होते हैं। वे सुनने व सोचने के बारे में सावधानी नहीं रखते, अत: वे जितना ___ सुनते हैं उससे कुछ कम ही याद कर पाते हैं। फ्लोड जे० जेम्स के शब्दों में—“श्रवण-क्षमता ___ की न्यूनता प्रत्येक स्तर पर हमारे कार्य से सम्बन्धित समस्याओं की उत्पत्ति का मुख्य स्रोत है।”
मक क्षेत्रों में श्रवणता की महत्ता किसी भी रूप में सम्प्रेषण से कम नहीं ऑकी जा को सनने अर्थात् श्रवण की क्रिया को ध्यानपूर्वक सुव्यवस्थित ढंग से करने पर उसका प्रतिफल उच्च आयामों को प्राप्त होता है। . वास्तव में, “श्रवणता स्वीकार करने, ध्यान लगाने तथा कानों से सुने गए शब्दों का अर्थ निरूपण करने की एक क्रिया है।”
Bcom 1st Year Meaning of Listening
श्रवणता के प्रकार
(Types of Listening)
व्यावसायिक क्षेत्र में श्रवणता का महत्त्व अब सुस्थापित हो चुका है। परिस्थितियों के अनुसार इसके प्रकारों में भी कम या अधिक अन्तर आ जाता है। मुख्य रूप से श्रवणता के … विभिन्न प्रकार निम्नलिखित रूप में प्रकट होते हैं-..
एकाग्र श्रवणता (Focus Listening)—
इसमें एकाग्रता के तत्त्व का महत्त्व अपेक्षित रूप से सर्वाधिक होता है। इसकी ग्राह्यता अन्य प्रकारों से कई गुना अधिक होती है। Meaning of Listening
विषयगत श्रवणता (Subjective Listening)-
ग्राह्य व्यक्ति में सम्प्रेषित विषय की जितनी जानकारी होती है, उसी के अनुसार श्रवणता का प्रभाव भी परिलक्षित होता है। इसका सम्बन्ध व्यक्ति की समझ से होता है। Meaning of Listening
अन्तःप्रज्ञात्मक श्रवणता (Inter Listening)-
जब सहज बोधगम्यतावश सन्देश को ग्रहण किया जाता है, तब इसके समानान्तर अन्य विचार मस्तिष्क में आते रहते हैं। यह स्थिति सन्देश को सम्पूर्ण अर्थ में समझने में सहायता करती है। Meaning of Listening
समीक्षात्मक श्रवणता (Analytical Listening)-
समीक्षात्मक श्रवणता में ग्राही व्यक्ति में तुरन्त ही समीक्षात्मक तत्त्वों का आविर्भाव होने लगता है। इस प्रकार विशिष्ट बिन्दुओं के मूल्यांकन का मार्ग स्वत: ही प्रशस्त हो जाता है। –
तदनुभूतिक श्रवणता (Communicating Listening)-
इसमें सन्देश को … अन्य व्यक्तियों को बताने की सामर्थ्य होती है।
सक्रिय श्रवणता (Creative Listening)-
इसमें अन्य व्यक्तियों के विचार व विघटित मानसिक अन्तर्द्वन्द्व समाहित होते हैं।
दिखावटी या मिथ्या श्रवणता (Artificial Listening)-
इसमें श्रवण की ग्राह्यता अत्यन्त न्यून होती है। हाव-भाव से तो प्रकट किया जाता है कि ग्राह्यता शत-प्रतिशत है, लेकिन होता इसके विपरीत है। यहाँ सन्देश को सुना तो जाता है, लेकिन ग्रहण नहीं किया जाता।
चयनित श्रवणता (Selective Listening)—
इसमें श्रवणता के किस हिस्से का श्रवण किया जाना है, इसका निर्धारण स्वयं ग्राही पक्ष करता है और केवल आवश्यक तत्त्व को ही ग्रहण करता है।
श्रवण प्रक्रिया
(Listening Process)
श्रवणता एक ऐसी कला है, जिसे प्रक्रियाओं की सीमा में बाँधना अत्यन्त र भी इसे निम्नलिखित प्रक्रियाओं में विभक्त किया जा सकता है
- निर्वचन (Interpreting)
- अनुभूति (Sensing)
- मूल्यांकन (Evaluating).
- अनुक्रिया (Responding)
- स्मरण (Remembering)
1. निर्वचन (Interpreting)-
यदि बोलने वाले का सन्दर्भ कुछ अलग के उसका विश्लेषण कर यह जानना आवश्यक है कि सोचने वाले की बात का वास्तविक क्या है। इसके लिए हमें उसकी अभाषित गतिविधियों पर ध्यान देना होगा। Meaning of Listening
2.अनुभूति (Sensing)-
श्रवण करते समय सन्देश को लिख लेना चाहिए क्योंकि सन्देश की प्राप्ति में शोर, दुर्बल श्रवण शक्ति, असावधानी व उपेक्षा बाधा पहुँचाते हैं। इन अवरोधों को दूर करके हमें सन्देश को ग्रहण करने पर ध्यान लगाना चाहिए। Meaning of Listening
3.मूल्यांकन (Evaluating)-
इसका अभिप्राय सन्देश के सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त करने से है। वक्ता द्वारा दिए गए सन्देशों में जो आवश्यक है उस पर विचार करना. जो विचार अप्रभावी हैं उन्हें पृथक् करना। ये सब गतिविधियाँ मूल्यांकन के अन्तर्गत आती हैं। Meaning of Listening
4.अनुक्रिया (Responding)-
वक्ता द्वारा दिए गए सन्देश को ग्रहण कर उस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करना इसमें सम्मिलित है।
5.स्मरण (Remembering)—
इसमें सन्देशों को भविष्य के सन्दर्भ के लिए स्टॉक कर लिया जाता है। वक्ता द्वारा दिए गए मुख्य बिन्दुओं को अनिवार्य रूप से लिख लेना या उसको अपने मस्तिष्क में उतारना इसके अन्तर्गत आता है।
व्यावसायिक सम्प्रेषण में प्रभावी श्रवणता
(Effective Listening in Business Communication)
संगठन व व्यवसाय के श्रेष्ठ नीति-निर्धारण में श्रवणता सहायक होती है। प्रभावी श्रवणता एक असाधारण कला है। प्रभावी श्रवणता के लाभ व उद्देश्यों को समझना आवश्यक है। प्रभावा श्रवणता के निम्नलिखित उद्देश्य व लाभ होते हैं
(1) अच्छी श्रवणता का रूप बहआयामी होता है। अच्छी तथा सही श्रवणता द्वारा मानवीय कष्टों का सम्यक् निदान प्राप्त किया जाता है।
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