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Meaning of Product Planning Notes

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Meaning of Product Planning Notes

उत्पाद नियोजन का अर्थ एवं परिभाषाएँ

उत्पाद नियोजन (Product Planning)

भविष्य में क्या करना है ? इसको वर्तमान में तय करना नियोजन कहलाता है। इस आधार पर उत्पाद नियोजन से आशय उत्पादित की जाने वाली वस्तु या उत्पाद के सम्बन्ध में एक विस्तृत योजना बनाने से है। सरल शब्दों में उत्पाद नियोजन से आशय उन प्रयासों से है जिनके द्वारा बाजार या उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं एवं इच्छाओं के अनुरूप उपाद (Product) या उत्पाद श्रृंखला (Product Line) को निर्धारित किया जाता है।

उत्पाद नियोजन, विपणन प्रबन्ध का वह भाग है जो उत्पाद की भावी सम्भावनाओं का निर्धारण करता है और किन वस्तुओं का विपणन एवं परित्याग करना है, इसे तय करता है तथा बाजार में प्रस्तुत किये जाने वाले उत्पादों की विशेषताओं को निश्चित करके उन्हें अन्तिम उत्पादों में शामिल करता है। इस प्रकार उत्पाद नियोजन के अन्तर्गत वस्तु के सम्बन्ध में खोजबीन करना, उनकी व्यावहारिकता का पता लगाना, वर्तमान वस्तु में परिवर्तन करना एवं वस्तु का परित्याग करना आदि बातों को शामिल किया जाता है।

उत्पाद नियोजन को निम्न प्रकार परिभाषित किया जा सकता हैस्टेन्टन के अनुसार, “उत्पाद नियोजन में वे सब क्रियाएँ सम्मिलित हैं जो उत्पादकों तथा मध्यस्थों को यह निर्धारित करने में सक्षम बनाती हैं कि संस्था की उत्पाद श्रृंखला में कौन-कौन से उत्पाद होने चाहिए।” जॉनसन के मतानुसार, “वस्तु नियोजन वस्तु की उन विशेषताओं को तय करता है, जिससे कि उपभोक्ताओं की असंख्य इच्छाओं को सर्वोत्तम ढंग से पूरा किया जा सके, वस्तुओं में विक्रय योग्यता को जोड़ा जा सके और उन विशेषताओं को तैयार वस्तुओं में शामिल किया जा सके।” Meaning and Definitions of Product Planning notes

Meaning and Definitions of Product Planning notes

नवीन उत्पाद के विकास की प्रक्रिया

(Process of New Product Development)

बूज, एलन एवं हेमिल्टन (Brooze, Allen and Hamilton) ने एक नये उत्पाद के विकास की प्रक्रिया को निम्न प्रकार स्पष्ट किया है-

(1) नये विचारों का अन्वेषण (Exploration of New Ideas)- अन्वेषण के अन्तर्गत कम्पनी के उत्पाद क्षेत्रों का निर्धारण एवं उपलब्ध विचारों तथा तथ्यों का एकत्रीकरण सम्मिलित होता है क्योंकि जितने अधिक विचारों का एकत्रीकरण होगा उतने ही अच्छे विचार के चुने जाने की सम्भावना अधिक होगी। इन विचारों को एकत्रित करने के लिये कम्पनी ग्राहक, प्रबन्ध, विक्रेता, प्रतियोगिताएँ, प्रयोगशाला आदि पर निर्भर करती है। Meaning and Definitions of Product Planning notes

(2) विचारों की छानबीन (Screening of Ideas)-विचारों के एकत्रीकरण के पश्चात् प्रत्येक विचार का विस्तृत रूप से विश्लेषण एवं मूल्यांकन किया जाता है तथा जो विचार कम्पनी के लिये लाभकारी होते हैं, उन्हें अलग कर लिया जाता है ताकि उपयुक्त समय आने पर उनका लाभ उठाया जा सके। विभिन्न विचारों का मूल्यांकन उद्देश्यों को ध्यान में रखकर किया जाता है तथा उन्हें उनके महत्व के क्रम में रखा जाता है। यह प्रक्रिया विचारों की छानबीन कहलाती है।

(3) व्यावसायिक विश्लेषण (Business Analysis)—व्यावसायिक विश्लेषण के अन्तर्गत यह पता लगाया जाता है कि नई वस्तु की बिक्री कैसी होगी ? लाभों की स्थिति क्या रहेगी ? तथा लगाई गई पूँजी पर प्रतिफल का प्रतिशत क्या होगा ? यदि ये सभी बातें विश्लेषण के अन्तर्गत कम्पनी के हित में आती हैं तो कम्पनी नया उत्पाद विकसित करने के बारे में विचार करती है, अन्यथा नहीं।

(4) वस्तु विकास (Product Development)—अब वह विचार जो प्रत्येक दृष्टि से उचित एवं लोस जान पड़ता है उसको कार्य रूप में परिणत करने के लिए कदम उङ्गाये जाते हैं। वस्तु विकास के अन्तर्गत वस्तु के विभिन्न मॉडल तैयार करके यह विचार किया जाता है कि किस प्रकार का मॉडल अच्छा तथा मितव्ययी होगा। उपभोक्ताओं की रुचियों का परीक्षण किया जाता है तथा ब्राण्ड तथा पैकेजिंग के विषय में निर्णय लिया जाता है। Meaning and Definitions of Product Planning notes

(5) परीक्षात्मक विपणन (Test Marketing)-नवीन वस्तु को विस्तृत रूप से बाजार में लाने से पूर्व परीक्षात्मक विपणन आवश्यक है अर्थात् पहले बाजार के किसी चुने हुए भाग में वस्तु को लाकर यह परीक्षा की जानी चाहिये कि विक्रेताओं तथा ग्राहकों की ओर से क्या प्रतिक्रिया होती है यदि परीक्षण में कुछ कमियाँ सामने आती हैं तो उन्हें दूर करने के पश्चात ही नवीन वस्तु को विस्तृत रूप से बाजार में लाना चाहिये। वास्तव में, परीक्षात्मक विपणन उत्पादक की जोखिम को कम करता है तथा उसे ग्राहकों की प्रतिक्रियाओं से अवगत कराता है।

(6) वस्तु का वाणिज्यीकरण (Commercialisation of the Product)-एक नवीन उत्पाद के विकास की सभी प्रारम्भिक अवस्थायें पूरी करने के बाद वस्तु के वाणिज्यीकरण की समस्या आती है अर्थात् जब वस्तु परीक्षात्मक विपणन में खरी उतरती है तो उसे व्यावसायिक रूप से बाजार में लाने की तैयारी की जाती है। वस्तु को बाजार में लाने से पूर्व वस्तु के मॉडल, ब्राण्ड तथा पैकेजिंग आदि के बारे में फिर से एक बार विचार करना होता है क्योंकि उत्पादक की पूँजी का एक बड़ा भाग वस्तु के उत्पादन में लग जाता है। अत: वस्तु के वाणिज्यीकरण की अवस्था अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। Meaning and Definitions of Product Planning notes

उत्पाद अन्तर्लय या मिश्रण

(Product Mix)

कम्पनी द्वारा उत्पादित एक उत्पाद, उत्पाद मद कहलाता है। कम्पनी द्वारा उत्पादित एक ही प्रयोग में आने वाले सभी उत्पाद, उत्पाद पंक्ति का निर्माण करते हैं। दूसरे शब्दों में एक उत्पाद को उत्पाद मद कहा जाता है। एक ही प्रयोग में काम आने वाले उत्पादों को उत्पाद पंक्ति कहा जाता है, जबकि कम्पनी द्वारा उत्पादित सभी उत्पादों को उत्पाद अन्तर्लय कहा जाता है। अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन ने भी स्पष्टीकरण देते हुए लिखा है कि टूथ पेस्ट एक उत्पाद है। टूथ पेस्ट की ट्यूब एक उत्पाद मद है। टूथ पेस्ट, टूथ पाउडर, मुँह धोने की सामग्री और अन्य सम्बन्धित सामग्री आदि उत्पाद पंक्ति का निर्माण करते हैं- साबुन, प्रसाधन सामग्री, दवाएँ आदि उत्पाद अन्तर्लय का निर्माण कर सकते हैं,

यदि ये वस्तुएँ भी उसी कम्पनी द्वारा बनायी जा रही हों। एलेक्जेण्डर, क्रॉस एवं हिल के शब्दों में,“एक फर्म का सम्पूर्ण उत्पाद-समूह उत्पाद अन्तर्लय मिश्र कहलाता है।” लिपसन एवं डारलिंग के शब्दों में, “एक व्यवसाय प्रणाली द्वारा विक्रय के लिए प्रस्तुत की गयी समस्त वस्तुओं की पूर्ण सूची उत्पाद अन्तर्लय या मिश्र कहलाती है।” विलियम जे० स्टेन्टन के शब्दों में, “उत्पाद अन्तर्लय या मिश्र से आशय एक कम्पनी द्वारा विक्रय हेतु प्रस्तुत किये जाने वाले समस्त उत्पादों की एक पूर्ण सूची से है।” अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन की परिभाषा समिति के शब्दों में, “किसी फर्न या व्यावसायिक इकाई द्वारा विक्रय के लिए प्रस्तुत किये गये उत्पाद-समूह को उत्पाद अन्तर्लय या मिश्र कहा गया है।”

इस प्रकार किसी भी व्यावसायिक संस्था की विपणन हेतु प्रस्तुत समस्त उत्पाद-सूची अथवा उत्पाद-रेखा का कुल जोड़ ‘उत्पाद अन्तर्लय या मिश्र’ के नाम से जाना जा सकता है और जिसकी संरचना के तीन पहलू होते हैं-विस्तार पहलू (Width Side); गहराई पहलू (Depth Side) तथा पहलू (Depth Side) तथा अनुरूपता पहलू (Consistency Side)|

उत्पाद अन्तर्लय का विस्तार पहलू

(Width Side of Product Mix)

उत्पाद अन्तर्लय के विस्तार पहलू से आशय एक कम्पनी में कितनी उत्पाद पंक्तियाँ हैं अर्थात् उत्पाद पंक्तियों की कुल संख्या ही उत्पाद अन्तर्लय का. विस्तार कहलाती है। इसे उत्पाद अन्तर्लय की चौड़ाई भी कहा जाता है। उदाहरण के लिए, भारत में ऊषा कम्पनी द्वारा बिजली के पंखे एवं सिलाई मशीनें बनाई जाती हैं। ऐसी स्थिति में ऊषा कम्पनी के उत्पाद अन्तर्लय के विस्तार में दोनों उत्पाद पंक्तियाँ अर्थात् विद्युत पंखें और सिलाई मशीनें सम्मिलित की जायेंगी।

उत्पाद अन्तर्लय का गहराई पहलू (Depth Side of Product Mix)-उत्पाद अन्तर्लय के गहराई पहलू से आशय एक कम्पनी द्वारा प्रत्येक उत्पाद पंक्ति में प्रस्तुत किये जा रहे उत्पादों की औसत संख्या से है।

उत्पाद अन्तर्लय का अनुरूपता पहलू (Consistency Side of Product Mix) उत्पाद अन्तर्लय , की अनुरूपता से आशय यह है कि विभिन्न उत्पाद पंक्तियाँ, अन्तिम उपयोग, उत्पादन आवश्यकताएँ, वितरण वाहिकाएँ या अन्य किसी दृष्टि से आपस में कितने घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित हैं। भारत में फिलिप्स इण्डिया लिमिटेड द्वारा अनेक उत्पादों का निर्माण किया जाता है, जैसे—रेडियो, बिजली के बल्ब, ट्यूबलाइट आदि। यद्यपि ये उत्पाद भिन्न-भिन्न प्रकार के हैं परन्तु इनमें एक समानता है कि ये किसी न किसी रूप में बिजली से सम्बन्धित हैं। इसे ही उत्पाद अन्तर्लय कहा जाता है। Meaning and Definitions of Product Planning notes

नवीन उत्पाद अपनाने वालों की श्रेणियाँ

ई० रोगरज द्वारा 1971 में नवीन उत्पादों के उपभोक्ताओं को पाँच श्रेणियों में विभाजित किया गया हैं-

(1) नवप्रवर्तक (Innovators)—जब बाजार में कोई नया उत्पाद प्रस्तुत किया जाता है तो बहुत कम सम्भावित उपभोक्ता उसे अपनाते हैं। ये ग्राहक नवप्रवर्तक कहलाते हैं। रोजर के अनुसार लगभग 2.5% उपभोक्ता इस श्रेणी में आते हैं।

(2) शीघ्र अपनाने वाले (Early Adopters)—कुल सम्भावित ग्राहकों का 13.5% ये लोग होते हैं। ये धनाढ्य, शिक्षित और सफल लोग हैं। ये जनमत निर्माता होते हैं।

(3) शीघ्र बहुमत में आन वाले (Early Majority)-ये कुल सम्भावित का 34% होते हैं। ये प्रारम्भिक उत्पाद प्रयोगकर्ताओं के पीछे चलकर उत्पाद को अपनाते हैं।

(4) उत्तरकालीन बहुमत के साथ (Late Majority)—इनकी संख्या लगभग 34% तक होती है। ये केवल जनमत स्पष्ट होने पर तथा आवश्यकता के समय ही नया उत्पाद खरीदते हैं।

(5) पिछड़े हुए (Laggards)-इनकी संख्या सम्भावित ग्राहकों के 16% तक होती है। ये नए पदार्थ को अपनाने वाले सबसे पिछड़े ग्राहक हैं जो प्राय: आयु में बड़े, निर्धन, परम्परावादी तथा कम पढ़े लिखे होते हैं। नये

नये उत्पादों की असफलता के कारण

(Reson for Failure of New Products)

सामान्यतः अधिकतर नये उत्पाद बाजार में संफल नहीं हो पाते। ऐसा देखा गया है कि नये उत्पादों का 80-90 प्रतिशत भाग असफल ही रहता है। ऐसे उत्पाद भी जो उचित नियोजन के पश्चात बाजार में लाये जाते हैं असफल हो जाते हैं। इन असफलताओं के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-

1. वस्तु के दोष (Defects of Product)-उत्पाद के कार्य, डिजाइन, आकार, किस्म, पैकिंग आदि में पाये जाने वाले दोषों के कारण वस्तु बाजार में असफल हो जाती है।

2. उत्पाद का मूल्य (Price of the Product)-यदि उत्पाद का मूल्य अधिक रखा जाता है तब भी उत्पाद के असफल हो जाने की सम्भावना रहती है। यदि उत्पाद की लागत अधिक आती है तो मूल्य भी अधिक रखा जाता है और कभी-कभी तो लागत का वीक प्रकार से अनुमान न लग पाने के कारण भी वस्तु का मूल्य आवश्यकता से अधिक निर्धारित हो जाता है।

3. अपर्याप्त बाजार विश्लेषण (Inadequate Market Analysis)-यदि नवीन उत्पाद के विकास से पूर्व बाजार विश्लेषण अर्थात् माँग का अनुमान, ग्राहकों की रुचि तथा प्रचलित रीति-रिवाजों के अनुरूप लीक प्रकार से नहीं लगाया जाता है तो भी नवीन उत्पाद को असफलता का मुँह देखना पड़ता है।

4. प्रतिस्पर्धा (Competition) यदि प्रतिस्पर्धी अपनी वस्तु की कीमत कम कर दें या विक्रय संवर्द्धन तकनीक में सुधार कर लें अथवा अपनी वस्तु की किस्म में सुधार करके उसे बाजार में लायें तो भी नवीन उत्पाद को असफलता का सामना करना पड़ सकता है।

5. वितरण की कमियाँ (Distribution Weaknesses)-कभी-कभी वितरण सम्बन्धी कमियाँ, जैसे-समय पर उत्पाद का बाजार में न पहुँचना, मध्यस्थों की शिथिलता आदि के कारण भी नवीन उत्पाद असफलता के कगार पर पहुँच जाती है।

6. विपणन प्रयासों की अपर्याप्तता (Insufficiency of Marketing Efforts)- विपणन सम्बन्धी प्रयासों की कमी भी नवीन उत्पाद को असफल बना देती है। अपर्याप्त विज्ञापन, विक्रय कला का अभाव आदि इसके उदाहरण हैं।

7. विक्रेता की अयोग्यता (Incapability of Salesman)—यदि विक्रेता अनुभवहीन तथा अशिक्षित है और उसमें प्रेरणा का अभाव है तो नवीन उत्पाद बाजार में असफल हो जाता है। Meaning and Definitions of Product Planning notes

उत्पाद नियोजन का महत्व या आवश्यकता

(Importance or Need of Product Planning)

1. का आधार of विपणन कार्यक्रम (Basis Marketing Programme)-उत्पाद नियोजन सम्पूर्ण विपणन कार्यक्रम का आधारभूत एवं प्रारम्भिक कार्य है। स्टेण्टन के अनुसार, “उत्पाद नियोजन संस्था के सम्पूर्ण विपणन कार्यक्रम का प्रारम्भिक बिन्दु है।” उत्पाद नियोजन के माध्यम से उन्हीं वस्तुओं का उत्पादन करने का प्रयास किया जाता है जो आसानी से एवं यथाशीघ्र बिक सके।

2. उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं की पूर्ति (Meet out the Consumer Needs)-उत्पाद नियोजन का कार्य उपभोक्ता की आवश्यकताओं, इच्छाओं, पसन्दगी, नापसन्दगी, वरीयताओं आदि को जानने से ही प्रारम्भ होता है। अत: इस कार्य के परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं की इच्छाओं एवं आवश्यकताओं को भली प्रकार पूरा किया जा सकता है।

3. सामाजिक उत्तरदायित्वों का निर्वाह (Discharge of Social Responsibilities) आधुनिक युग में प्रत्येक संस्था का सामाजिक दायित्व होता है। अच्छे उत्पाद नियोजन से वह उपभोक्ताओं, स्थानीय समुदाय एवं देश के प्रति अपने दायित्वों का निर्वाह कर सकती है। इनसे उपभोक्ता एवं समाज के जीवन-स्तर में सुधार होता है। उत्पाद नियोजन से देश के संसाधनों का सदुपयोग होता है। इससे देश के प्रति दायित्वों का निर्वाह भी सम्भव है।

4. उपक्रम की लाभ क्षमता में वृद्धि (Increase in Profit Capacity of the Enterprise)-विपणनकर्ता का प्रमुख उद्देश्य दीर्घकाल में अपने लाभों को अधिकतम करना होता है। इसके लिये केवल उन्हीं वस्तुओं का उत्पादन किया जाना चाहिए जिनको लाभों के साथ आसानी से बेचा जा सके। उत्पाद नियोजन में ये सभी बातें सम्भव हैं।

5. संसाधनों का सदुपयोग (Proper Utilisation of Resources)-उत्पाद नियोजन संस्था के संसाधनों के सदुपयोग में सहायक है। उत्पाद नियोजन के अन्तर्गत उचित उत्पादों को खोजा जाता है तथा उनका विपणन परीक्षण किया जाता है। विद्यमान उत्पादों में आवश्यक सुधार एवं परिवर्तन किया जाता है और अलाभकारी उत्पादों को संस्था की उत्पाद श्रृंखला से हटाया जाता है। इन सबके परिणामस्वरूप संस्था उन उत्पादों का निर्माण कर पाती है जिनकी बाजार में माँग होती है। फलत: संस्था के संसाधनों का सदुपयोग सम्भव है।

6. प्रतिस्पर्धी क्षमता में वृद्धि (Increased competitive capacity)-अच्छा उत्पाद नियोजन संस्था के उत्पादों को अच्छा एवं मितव्ययी बना सकता है। इससे संस्था की बाजार में प्रतिस्पर्धी क्षमता में अभिवृद्धि होती है।

7. लागतों में कमी (Reduced Cost)-अच्छे उत्पाद नियोजन से संस्था के संसाधनों का अपव्यय नहीं होता है। इसके अतिरिक्त अच्छे उत्पाद नियोजन से होता है, अधिक संवर्द्धनात्मक एवं वितरण व्यय नहीं करने पड़ते हैं। फलतः संस्था की लागतों में भी कमी आती है।

8. कानूनी दायित्वों का निर्वाह (Discharge of Legal Obligations) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम उपभोक्ताओं को अनेक अधिकार प्रदान करता है। यदि कोई उत्पाद उचित किस्म, प्रमाण एवं निष्पादन क्षमता का नहीं होता है तो उत्पादक/व्यवसायी उसकी क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी होता है। अच्छा उत्पाद नियोजन करके निर्मित उत्पादों को बेचना भी आसान उत्पादक/व्यवसायी स्वत: ही अपने वैधानिक दायित्वों से सुरक्षित हो जाता है।

9. सुविधाजनक उत्पाद (Convenient Product)-उत्पाद नियोजन से उपभोक्ताओं को अधिक सुविधाजनक उत्पाद उपलब्ध हो सकते हैं। उत्पाद नियोजन के द्वारा उत्पाद का आकार, रंग, रूप, डिजाइन आदि उपभोक्ता की सुविधा को ध्यान में रखकर ही बनाये जाते हैं। फलतः उपभोक्ताओं को अधिक सुविधाजनक उत्पाद मिलने लगे हैं।

10. दोष-रहित उत्पाद (Products Free-From Defects or Zero Defect Products)-उत्पाद नियोजन का एक लाभ यह है कि उपभोक्ताओं को दोष-रहित उत्पाद उपलब्ध होने लगे हैं। उत्पाद का रंग, रूप, आकार, किस्म आदि का निर्धारण करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि उसमें दोष न हो। टीवी, फ्रीज, स्कूटर, दैनिक उपयोग की छोटी से छोटी वस्तु को दोष रहित उपलब्ध बनाने पर जोर दिया जा रहा है। यह कुशल उत्पाद नियोजन से ही सम्भव है।

11. व्यापक क्षेत्र (Wide Scope)-उत्पाद नियोजन का .. क्षेत्र व्यापक है। इसमें वस्तु का विकास, नवाचार, नाम, रंग, रूप, आकार, मूल्य, किस्म, ब्राण्ड, पैकेजिंग आदि का समावेश है


Principle of marketing

  1. Marketing : An Introduction
  2. Marketing Mix
  3. Marketing Environment
  4. Consumer Behavior
  5. Market Segmentation
  6. Product: Consumer and Industrial Goods
  7. Product Planning
  8. Role and Functions
  9. Brand Name and Trade Mark
  10. After – Sale Service
  11. Product Life Cycle
  12. Pricing
  13. Distribution Channels
  14. Physical Distribution
  15. Promotion
  16. Sales Promotion
  17. Advertising Media
  18. Personal Selling
  19. International Marketing
  20. International marketing Environment
  21. Identifying and Selecting International Market
  22. Foreign Market Entry Mode Decisions

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