All contracts are agreement, but all agreements are not Contracts
सब अनुबन्ध ठहराव होते हैं, किन्तु सब ठहराव अनुबन्ध नहीं होते।
All contracts are agreement, but all agreements are not Contracts
उपर्युक्त कथन के दो भाग हैं
- समस्त अनुबन्ध ठहराव होते हैं (All Contracts are Agreements)
- समस्त ठहराव अनुबन्ध नहीं होते (All Agreement are not Contracts)।
1. समस्त अनुबन्ध ठहराव होते हैं (All Contracts are Agreements) अनुबन्ध की उत्पत्ति ठहराव से होती है। अनुबन्ध अधिनियम के अनुसार, “अनुबन्ध एक ऐसा उहराव है जो राजनियम द्वारा प्रवर्तनीय हो ।” इसका तात्पर्य यह है कि अनुबन्ध एक ठहराव है तथा ऐसा ठहराव जो राजनियम द्वारा प्रवर्तनीय हो, अनुबन्ध का रूप धारण कर सकता है। कोई ठहराव जो राजनियम द्वारा प्रवर्तनीय नहीं होता अनुबन्ध का रूप धारण नहीं कर सकता है। ठहराव अनुबन्ध की आधारशिला है। बिना ठहराव के अनुबन्ध नहीं बन सकता। कई ठहराव ऐसे होते हैं जो ठहराव की श्रेणी में सम्मिलित किए जा सकते हैं, परन्तु जिन्हें अनुबन्ध नहीं कहा जा सकता। किसी भी ठहराव के अनुबन्ध बनने के लिए उसका राजनियम द्वारा प्रवर्तनीय होना आवश्यक है। एक ठहराव के राजनियम द्वारा प्रवर्तनीय होने के लिए उसमें कुछ विशेष लक्षणों का होना आवश्यक है। ये लक्षण इस प्रकार हैं— (i) ठहराव होना चाहिए अर्थात् पक्षकारों के बीच प्रस्ताव तथा (ii) उसकी स्वीकृति होनी चाहिए। ठहराव ऐसा हो जो वैधानिक रूप से लागू कराया जा सके, पक्षकारों में अनुबन्ध करने की क्षमता हो, उनमें स्वतन्त्र सहमति हो, ठहराव का प्रतिफल एवं उद्देश्य विधिपूर्ण हो, ठहराव ऐसा नहीं होना चाहिए जिसे विशेष रूप से व्यर्थ घोषित कर दिया गया हो। कानून की व्यवस्था के अनुसार लिखित, प्रमाणित तथा रजिस्टर्ड (जहाँ आवश्यक हो) होना चाहिए। जिस ठहराव में ये विशेषताएँ होंगी वही अनुबन्ध कहलाएगा। इस प्रकार एक अनुबन्ध के लिए ठहराव का होना आवश्यक है। इसलिए कहा जाता है “समस्त अनुबन्ध ठहराव होते हैं।”
2. समस्त ठहराव अनुबन्ध नहीं होते (All Agreements are not Contracts) – सभी ठहराव अनुबन्ध नहीं होते हैं। ठहराव (Agreement) के लिए केवल दो बातों प्रस्ताव तथा स्वीकृति का होना आवश्यक है। अन्य बातें, जो एक अनुबन्ध में होनी चाहिए, ठहराव के लिए आवश्यक नहीं हैं। ठहराव के लिए वैधानिक उत्तरदायित्व (Legal obligation) का होना भी आवश्यक नहीं है। गैर कानूनी कार्यों के लिए भी ठहराव हो सकते हैं। ठहराव का क्षेत्र विस्तृत होने के कारण धार्मिक (Religious), सांस्कृतिक (Cultural), सामाजिक (Social) तथा नैतिक (Moral) उत्तरदायित्व भी ठहराव के अन्तर्गत आ जाते हैं। वैधानिक दृष्टि से ऐसे ठहराव, अनुबन्ध के आधार नहीं हो सकते, क्योंकि इन ठहरावों का पालन राजनियम द्वारा नहीं कराया जा सकता और इनका प्रवर्तन सम्बन्धित पक्षकारों के विश्वास पर निर्भर करता है। निम्नांकित निर्णयों से यह बात स्पष्ट हो सकती है।