Business communication in hindi
Para language in Business Communication
Para language in Business Communication भाषा प्रतिरूप ‘Para language’ में ‘Para’ शब्द का आशय ‘समान’ तथा language’ शब्द का आशय ‘भाषा’ से है। दोनों के संयुक्त अर्थ को हिन्दी में ‘पाश्र्व भाषा’ कहते हैं। मौखिक सम्प्रेषण में वक्ता का यदि गहन अवलोकन करें तो पता चलता है कि वह अपने सम्प्रेषण में अनेक संकेतों, स्वर का उतार-चढ़ाव, धाराप्रवाह अथवा अप्रवाह, जगह-जगह वाणी को अल्प विराम, ऊँची अथवा धीमी आवाज जाने-अनजाने में प्रयोग करता है। इस प्रकार की अभिव्यक्ति को ही मिश्रित रूप में ‘पाश्र्व भाषा’ कहा जाता है। ‘Para…
Read More »Audience Analysis
Audience Analysis श्रोता विश्लेषण श्रोताओं का समूह सम्प्रेषण का दूसरा किनारा एवं महत्त्वपूर्ण पक्ष होता है। श्रोताओं की प्रतिक्रिया, प्रतिपुष्टि अथवा प्रत्युत्तर सम्प्रेषण प्रक्रिया का महत्त्वपूर्ण घटक है। सम्प्रेषण प्रक्रिया में श्रोताओं की भूमिका निम्नांकित चित्र द्वारा प्रदर्शित की जा सकती है – व्यावसायिक सम्प्रेषण प्रक्रिया में सन्देश एवं प्रत्युत्तर क्रमश: Input तथा Output होते हैं | सन्देश एवं उनके प्रत्युत्तर द्वारा आन्तरिक एवं बाह्य दोनों पक्षों को प्रभावित / प्रेरित (Influence) कर संगठनात्मक छवि (Organisational Image) का निर्माण किया जाता है। सम्प्रेषण द्वारा सहयोगियों, वैयक्तिक, प्रबन्धकीय, संगठनात्मक एवं व्यावहारिक क्षमताओं को विकसित करने के लिए प्रेरित करना तथा साथ-साथ बाह्य पक्षों के मध्य संगठन, उत्पाद, कार्यप्रणाली की स्वच्छ छवि को निर्मित करना प्रमुख ध्येय होता है। इस लक्ष्य पूर्ति के लिए सम्प्रेषण के प्रभावों का परीक्षण एवं उनका अध्ययन ही श्रोता विश्लेषण कहा जाता है।…
Read More »Explain AIDA formula to write a Persuasive Letter.
Explain AIDA formula to write a Persuasive Letter. प्रेरित करने वाले पत्र के लिए AIDA सूत्र की व्याख्या कीजिए। उत्तर -जब पत्र लेखक को इस बात की आशंका होती है कि पत्र प्राप्तकर्ता आपत्ति या विरोध प्रकट करेंगे तो उसे अपनी बात पर बल देने के लिए प्रमाणों तथा आँकड़ों की आवश्यकता पड़ती है। इस विधि के अन्तर्गत प्रेरक पत्रों का नियोजन प्रसिद्ध सूत्र AIDA के आधार पर किया जाता है— इस प्रकार एक प्रेरित करने वाले पत्र के चार भाग हो सकते हैं- 1. A. ध्यान – प्रथम वाक्य खण्ड (A : Attention: First…
Read More »Body Contact in Business communication pdf
Body Contact in Business communication pdf शारीरिक स्पर्श (Body Contact ) In Business communication स्पर्श सम्प्रेषण का प्राथमिक स्वरूप है। शरीर के विभिन्न हिस्सों में स्पर्श विभिन्न प्रकार के सम्प्रेषण को सम्प्रेषित करते हैं, साथ ही स्पर्श क्रिया पर स्थान का भी प्रभाव पड़ता है। इसके अन्तर्गत टक्कर मारना, भिड़ जाना, धक्का देना, पकड़ना / धारण करना, थपथपाना/टहोकना, हाथ मिलाना,…
Read More »Meaning of Listening pdf – Bcom Notes
Meaning of Listening pdf – Bcom Notes श्रवणता से अभिप्राय श्रवणता, इतनी सरल क्रिया नहीं है जितनी कि समझी जाती है। अधिकांश व्यक्ति इस बारे में अक्षम होते हैं। वे सुनने व सोचने के बारे में सावधानी नहीं रखते, अतः वे जितना सुनते हैं उससे कुछ कम ही याद कर पाते हैं। फ्लोड जे० जेम्स के शब्दों में— “श्रवण क्षमता की न्यूनता प्रत्येक स्तर पर हमारे कार्य से सम्बन्धित समस्याओं की उत्पत्ति का मुख्य स्रोत है।” व्यावसायिक क्षेत्रों में श्रवणता की महत्ता किसी भी रूप में सम्प्रेषण से कम नहीं आँकी जा सकती । सुनने अर्थात् श्रवण की क्रिया को ध्यानपूर्वक सुव्यवस्थित ढंग से करने पर उसका प्रतिफल उच्च आयामों को प्राप्त होता है। वास्तव में, “श्रवणता स्वीकार करने, ध्यान लगाने तथा कानों से सुने गए शब्दों का अर्थ निरूपण करने की एक क्रिया है । “ श्रवणता के प्रकार (Types of Listening) व्यावसायिक क्षेत्र में श्रवणता का महत्त्व अब सुस्थापित हो चुका है। परिस्थितियों के अनुसार इसके प्रकारों में भी कम या अधिक अन्तर आ जाता है। मुख्य रूप से श्रवणता के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित रूप में प्रकट होते हैं…
Read More »Essentials of First Draft – Bcom Notes
Essentials of First Draft – Bcom Notes सन्देश का प्रथम प्रारूप लेखन (First Drafting ) – लेखन शैली के द्वितीय चरण में सन्देश का प्रथम प्रारूप तैयार किया जाता है। इसमें विचारों को शब्दों का रूप प्रदान करके वाक्यों व पैराग्राफों का निर्माण किया जाता है। इस लेखन में यह सुनिश्चित किया जाता है कि विचारों को कागज पर कैसे लाया जाए, किस प्रकार के शब्दों/वाक्यों का प्रयोग किया जाए तथा कहाँ बात को संक्षिप्त रूप में रखा जाए और कहाँ से विस्तृत रूप प्रदान किया जाए। मुख्य विचार के समर्थन में सम्बन्धित तथ्यों व आँकड़ों को एकत्र किया जाता है। इस प्रकार सभी तथ्यों को कागज पर उतार लेना ही प्रथम प्रारूप कहलाता है। एक अच्छे प्रारूपण के लिए आवश्यक बातें (Essentials of First Draft) एक अच्छे प्रारूपण के लिए निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिए – 1.…
Read More »Importance of Communication for Managers – Bcom Notes
Importance of Communication for Managers – Bcom Notes प्रबन्धकों के लिए सम्प्रेषण / संचार का महत्त्व आधुनिक युग में प्रबन्ध और व्यवसाय में प्रभावी सम्प्रेषण का महत्त्वपूर्ण स्थान है। अब व्यवसाय का क्षेत्र स्थानीय, प्रान्तीय तथा राष्ट्रीय सीमाओं को पार करके अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में पहुँच चुका है। अत: व्यवसाय के सफल संचालन हेतु सुव्यवस्थित सम्प्रेषण पद्धति आज की आवश्यकता बन गई है। नीतियों एवं नियोजन का क्रियान्वयन कार्य प्रगति एवं नियन्त्रण, अधीनस्थों की कठिनाइयाँ एवं उनका निराकरण, सामूहिक निर्णयन एवं प्रबन्ध में हिस्सेदारी, अभिप्रेरित एवं ऊँचे मनोबल वाले मानव संसाधन आदि के लिए प्रभावी आन्तरिक सम्प्रेषण आवश्यक होता है। इसीलिए थियो हैमन ने कहा है “प्रबन्धकीय कार्यों की सफलता प्रभावी सम्प्रेषण पर निर्भर है। “ व्यवसाय के सफल संचालन के लिए सम्प्रेषण के महत्त्व को स्पष्ट करते कीथ हुए डेविस ने लिखा है कि “सम्प्रेषण व्यवसाय के लिए उसी प्रकार आवश्यक है जिस प्रकार मनुष्य के लिए रक्त आवश्यक है।” प्रबन्धकों के लिए व्यावसायिक सम्प्रेषण के महत्त्व को निम्नलिखित प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है- 1. प्रबन्धकीय कार्यों का आधार (Basis…
Read More »Meaning of Feedback pdf – Bcom Notes
Meaning of Feedback pdf – Bcom Notes प्रतिपुष्टि का आशय प्रतिपुष्टि एक प्रत्यार्पित सन्देश होता है, जो सन्देश प्राप्तकर्ता सम्प्रेषक को देता है। जब सम्प्रेषक सूचनाग्राही अथवा प्राप्तकर्ता को सन्देश भेजता है तो सम्प्रेषक उस भेजे गए सन्देश की प्रतिक्रिया चाहता है । सन्देश प्राप्त कर लेने के बाद सन्देश प्राप्तकर्ता द्वारा उस सन्देश को उचित प्रकार से समझा जाता है, तत्पश्चात् सन्देश पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की जाती है। इस प्रतिक्रिया का स्वरूप अनुकूल भी हो सकता है अथवा प्रतिकूल भी हो सकता है। यही प्रतिक्रिया प्रतिपुष्टि कहलाती है। प्रतिपुष्टि सन्देश प्रक्रिया का अन्तिम महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। प्रतिपुष्टि के अभाव में कोई भी सम्प्रेषण प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो सकती। प्रतिपुष्टि के आधार पर ही सम्प्रेषक द्वारा पूर्व सन्देश में परिवर्तन, सुधार अथवा संशोधन कर प्रभावी स्वरूप प्रदान किया जाता है। प्रतिपुष्टि प्रक्रिया (Feedback Process ) एक सन्देश प्राप्तकर्त्ता उचित प्रतिपुष्टि उसी स्थिति में कर सकता है जब वह सम्प्रेषक द्वारा भेजे गए सन्देश को ठीक से समझे अथवा सुने तथा उस सन्देश को उसी दृष्टिकोण से समझे, जिस दृष्टिकोण से सम्प्रेषक उसे समझाना चाहता है। जब सन्देश प्राप्तकर्त्ता सन्देश की कोई प्रतिक्रिया देता है,…
Read More »Outline of Business Letter : Introduction – bcom pdf Notes
Outline of Business Letter : Introduction -Bcom pdf Notes व्यावसायिक पत्र का खाका – परिचय किसी पत्र को लिखने से पहले एक प्रभावी योजना बनाना आवश्यक है। पत्र की प्रभावपूर्ण संरचना के लिए योजना में उद्देश्य की पहचान, श्रोताओं का विश्लेषण, मुख्य विचार को परिभाषित करना एवं विचारों के समर्थन में आँकड़े एकत्र करने चाहिए। जिस प्रकार भवन का निर्माण कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व एक नक्शा तैयार किया जाता है जो भवन के विभिन्न भागों के बारे में जानकारी देता है, उसी प्रकार व्यावसायिक पत्रों को लिखने से पहले इनका एक खाका तैयार किया जाता है जो इन पत्रों में दी जाने वाली विभिन्न सूचनाओं को विधिवत् रूप से व्यवस्थित करने में सहायक होता है। सामान्यत: खाके का आशय होता है कि ‘कहाँ क्या है?’ व्यावसायिक पत्र के विभिन्न भाग होते हैं; जैसे—…
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