लागत निर्धारण पद्धति/प्रणाली की स्थापना(Installation of a Costing System)
यदि किसी निर्माण संस्थान में लागत निर्धारण पद्धति की स्थापना करनी है तो इसके लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनानी चाहिए ─
(1) सम्बन्धित संस्थान की तकनीकी विशेषताओं का अध्ययन–लागत निर्धारण पद्धति का चयन करते समय सम्बन्धित संस्थान की तकनीकी विशेषताओं जैसे-सामग्री का स्वभाव, प्लाण्ट की क्षमता, श्रम की योग्यता एवं स्वभाव, आदि बातों को ध्यान में रखना चाहिए क्योंकि यह सभी पहलू लागत निर्धारण पद्धति के चयन को काफी सीमा तक प्रभावित करते हैं।
(2) उत्पादित वस्तु की प्रकृति का अध्ययन-उत्पादित की जाने वाली वस्तु की प्रकृति भी लागत निर्धारण पद्धति के चयन को प्रभावित करती है। इस सम्बन्ध में ‘लागत लेखांकन की विभिन्न पद्धतियाँ’ शीर्षक के अन्तर्गत विस्तार से चर्चा करे। चुके हैं। अत: हमें यह देखना होगा कि उस संस्था में उत्पादित की जाने वाली वस्तु की प्रकृति क्या है ?
(3) लागत केन्द्रों का निर्धारण–लागत केन्द्र से अभिप्राय ऐसे किसी भी केन्द्र से है जिस पर होने वाले कुल व्ययों का ‘हसाब रखा जाये ताकि उस केन्द्र की कुल लागत ज्ञात की जा सके और उस पर नियन्त्रण स्थापित किया जा सके। एक लागत केन्द्र, एक विभाग, अनुभाग, उपकरण, मशीन, व्यक्ति अथवा व्यक्तियों का समूह होता है जिसके सम्बन्ध में आकडे २४ किय जाते हैं। इस प्रकार लागत केन्द्र में समस्त व्यक्तियों, सम्पत्तियों और व्यवसाय के कार्यक्षेत्रों का समावेश हो जाता है। लागत केन्द्र कई प्रकार के हो सकते हैं, जैसे—व्यक्तिगत, अव्यक्तिगत, परिचालन तथा प्रक्रिया लागत केन्द्र।।
लागत लेखा-विधि की स्थापना के लिए लागत केन्द्रों का निर्धारण आवश्यक है ताकि प्रत्येक केन्द्र पर होने वाली लागत ज्ञात की जा सके और उस पर उचित नियन्त्रण स्थापित किया जा सके।
(4) लागत इकाई का निर्धारण-लागत केन्द्र का सम्बन्ध स्थान, व्यक्ति, उपकरण आदि से होता है जबकि लागत। इकाई का सम्बन्ध वस्तु, सेवा या समय की मात्रा से होता है। एक लागत केन्द्र पर कई इकाइयों का उत्पादन हो सकता है। ९सी स्थिति में लागत केन्द्र पर हुई कुल लागत के साथ प्रति इकाई लागत भी ज्ञात की जाती है। लागत इकाई सरल या संयक्त हो सकती है। प्रति दर्जन, प्रति मीटर, प्रति टन, आदि सरल इकाइयों के उदाहरण हैं, जबकि प्रति टन किलोमीटर प्रति यात्री किलोमीटरे, आदि संयुक्त इकाई हैं। लागत इकाई का निर्धारण व्यवसाय के स्वभाव पर निर्भर करता है। इस प्रकार लागत निर्धारण पद्धति की स्थापना हेतु लागत केन्द्रों के निर्धारण के पश्चात् लागत इकाई का निर्धारण किया जाना चाहिए।
(5) लागत लेखा सम्बन्धी प्रक्रियाओं का निर्धारण-बड़े आकार के एक व्यवसाय में लागत लेखा प्रणाली को विस्तृत रूप में लागू किया जाता है जबकि एक छोटे व्यवसाय में इस प्रणाली को छोटे रूप में ही लागू करने की आवश्यकता होती है। ताकि इसके स्थापना के व्यय व चलाने के व्यय इससे प्राप्त उपयोगिता से कम ही रहें। अतः व्यवसाय के आकार के अनुसार ही लागत लेखा प्रणाली का चयन करना चाहिए।
(6) नियन्त्रण की मात्रा का निर्धारण लागत निर्धारण पद्धति का चयन इस बात पर भी निर्भर करता है कि हम सामग्री, श्रम एवं उपरिव्यय पर किस स्तर तक नियन्त्रण स्थापित करना चाहते हैं।
(7) प्रपत्रों का प्रारूप निर्धारण–लागत निर्धारण पद्धति की स्थापना से पूर्व यह भी आवश्यक है कि विभिन्न कार्यों के लिए प्रयुक्त होने वाले प्रपत्रों के मानक एवं प्रारूप निर्धारित कर दिये जायें। विभिन्न कार्यों के लिए प्रयुक्त प्रपत्र विभिन्न रंगों में होने चाहिए ताकि उन्हें सुगमता से पहचाना जा सके।
(8) प्रतिवेदन सम्बन्धी निर्धारण लागत लेखों के माध्यम से प्रबन्ध को महत्वपूर्ण सूचनाएँ प्रेषित की जाती हैं। यह सूचनाएँ विभिन्न विवरणों एवं प्रतिवेदन (Reports) के रूप में भेजी जाती हैं। इन प्रतिवेदनों के आधार पर नियन्त्रण कार्य में बहुत सहायता मिलती है। अतः यह निर्धारित किया जाना चाहिए कि कौन, कब, किस प्रपत्र में, किसे प्रतिवेदन भेजेगा।
(9) लागत लेखापाल की हैसियत का निर्धारण-लागत निर्धारण पद्धति की स्थापना के पूर्व यह भी निर्धारित कर लेना चाहिए कि लागत लेखापाल के अधिकार व दायित्व क्या होंगे अर्थात् उसकी हैसियत/स्थिति (Status) क्या होगी। वह किस अधिकारी के प्रति उत्तरदायी होगा और कौन व्यक्ति उसके प्रति उत्तरदायी होगा।
लागत लेखा प्रणाली लागू करते समय आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयाँ (Practical Difficulties in Installing a Costing System)
लागत लेखा प्रणाली स्थापित करने में लागत लेखापाल को कुछ व्यावहारिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसी । कठिनाइयाँ तथा उन्हें दूर करने के उपाय.अग्रलिखित प्रकार हैं –
1. उच्च प्रबन्ध से सहयोग की कमी (Lack of Support from Top Management)-अधिकतर पारास्थातया में लागत लेखा प्रणाली उच्च प्रबन्ध के सहयोग के बिना ही सभी कार्य क्षेत्रों में लागू कर दी जाती है। प्रबन्ध संचालक या अन्य उच्च अधिकारी ऐसी प्रणाली विभागीय प्रमुखों से सलाह किये बिना ही लागू कर देते हैं। इससे विभागीय प्रमुखों को लगता है। कि उनके कार्य में व्यवधान पैदा किया जा रहा है या उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।
इसलिए लागत लेखा प्रणाली को स्थापित करने से पूर्व सभी प्रबन्धकों को विश्वास में लेना चाहिए। उनमें लागत जागरूकता की भावना उत्पन्न करने का प्रयास करना चाहिए तथा उनको लागत लेखा प्रणाली के लाभों से अवगत करा देना चाहिए। एक लागत नियमावली (Cost Manual) बनाकर उसकी प्रतियाँ प्रबन्ध के प्रत्येक सदस्य को वितरित कर देनी चाहिए जिसमें लागत लेखा प्रणाली के कार्य तथा अन्य विवरण दिये गये हों।
2 विद्यमान लेखा स्टाफ दारा विरोध (Resistance from the Existing Accounting StaII) “‘ ‘ लागत राखा प्रणाली लागू करने का स्वागत नहीं करते क्योंकि उन्हें उनका महत्त्व कम होने का भय होता है ।
इस समस्या के समाधान हेतु लेखा स्टॉफ को लागत लेखांकन की आवश्यकता का वर्णन करना चाहिए और साथ ही यह भी समझाना चाहिए कि इससे उनके पदों में व अधिकारों में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा। उन्हें यह अहसास दिलाया जाए कि तिखा व वित्तीय लेखांकन एक-दूसरे के पूरक हैं और लागत लेखा प्रणाली से उनके कार्य में कोई वृद्धि नहीं। होगी और न ही उनमें बेरोजगारी बढ़ेगी।
3 संस्था में अन्य स्तरों पर असहयोग (Non-Co-operation at Other Levels of Organization) साना” फोरमैन, निरीक्षक व अन्य कर्मचारी इस प्रणाली का विरोध करते हैं क्योंकि इससे उनका कार्य बढ़ जाता है, साथ ही वे इस प्रणाली के बारे में अधिक नहीं जानते हैं। इसी कारण वे प्रणाली के सुचारु संचालन हेतु आवश्यक सूचनाएं प्रदान नहीं करते हैं। । इसके समाधान हेतु आवश्यक है कि ऐसे कर्मचारियों को शिक्षित किया जाए। उन्हें लागत लेखा प्रणाली से होने वाले लाभों के सम्बन्ध में बताया जाए। प्रणाली को सुचारु रूप से चलाने के लिए उन्हें विश्वास में लिया जाना चाहिए।
4. प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी (Shortage of Trained Staff)–लागत लेखांकन एक विशिष्ट कार्य (Specialised Work) है। अतः इसे आरम्भ करने के लिए प्रशिक्षित कर्मचारियों की आवश्यकता होती है, जिसके लिए प्रारम्भ में कठिनाईयाँ आ सकती हैं। लेकिन वर्तमान कर्मचारियों को प्रशिक्षित करके तथा योग्यता प्राप्त लागत लेखाकारों की नियुक्ति करके इस कमी को दूर किया जा सकता है।
5. स्थापना पर भारी व्यय (Heavy Cost of Installation)–लागत लेखा प्रणाली में लेखे रखने हेतु पृथक् पुस्तकें रखनी होंगी, विशेष प्रारूप में फार्म छपवाने होंगे। विभिन्न प्रकार की रिपोर्टों के प्रारूप भी तैयार करने होंगे। इन सब में बहुत व्य होता है जिसे संस्था वहन करने की स्थिति में हो, ऐसा आवश्यक नहीं है।
यह समस्या दूर हो सकती है यदि लागत लेखा प्रणाली को संस्था की आवश्यकतानुसार ही अपनाया जाता है। केवल । वही रिकॉर्ड व रिपोर्ट रखी जानी चाहिएँ जो कि आवश्यक हों। इस हेतु लागत लाभ विश्लेषण (Cost Benefit Analysis) किया जाना चाहिए।
भारत में लागत लेखांकन प्रमाप(Cost Accounting Standard in India)
लागत लेखों में एकरूपता लाने हेतु ICAI (Institute of Cost Accountants of India) ने निम्नलिखित 24 लागत लेखांकन प्रमाप निर्गमित किये हैं जिन्हें CAS-1 to CAS-24 नाम दिया गया है। इन प्रमापों में लागत लेखांकन सम्बन्धी मदों के लागत व्यवहार को विस्तार से समझाया गया है─
CAS- 1: लागत का वर्गीकरण (Classification of Cost)
CAS- 2: क्षमता निर्धारण (Capacity Determination)
CAS- 3 : उपरिव्यय (Overheads)
CAS- 4: स्वयं के उपभोग हेतु निर्मित माल की लागत (Cost of Production for Captive Consumption)
CAS- 5: यातायात की औसत लागत (Average Cost of Transportation)
CAS- 6: सामग्री लागत (Material Cost)
CAS- 7: श्रमिक (कर्मचारी) लागत (Employee Cost)
CAS- 8: उपयोगिताओं की लागत (Cost of Utilities)
CAS-9: पैकिंग सामग्री की लागत (Packing Material Cost)
CAS-10: प्रत्यक्ष व्यय (Direct Expenses)
CAS-11: प्रशासनिक उपरिव्यय (Administrative Overheads)
CAS-12: मरम्मत एवं अनुरक्षण लागत (Repairs and Maintenance Cost) ।
CAS-13 : सेवा केन्द्रों की लागत (Cost of Service Cost Centre)
CAS-14 : प्रदूषण नियन्त्रण लागत (Pollution Control Cost)
CAS-15: विक्रय एवं वितरण उपरिव्यय लागत (Selling and Distribution Overheads)
CAS-16: ह्रास एवं अवशोषण लागत (Depreciation and Amortisation)
CAS-17: ब्याज एवं वित्तीय लागत (Interest and Financing Charges)
CAS-18 : शोध एवं विकास लागते (Research and Development Costs)
CAS-19:। संयुक्त लागत (Joint Costs)
CAS-20 : औधकार शुल्क एवं तकनीकी ज्ञान शुल्क (Royalty and Technical know-how Fea)
CAS-21 : किस्म नियन्त्रण लागत (Quality Control Cost)
CAS-22: निर्माणी लागत (Manufacturing Cost)
CAS-23: Overburden Removal Cost
CAS-24: लागत विवरणों में आगम का उपचार (Treatment of Revenue in cost Statement )