botany for competition
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वनस्पति विज्ञान
विज्ञान की वह शाखा जिसमें पौधो का अध्ययन किया जाता है। उसे वनस्पति विज्ञान कहते है।
थियोफ्रेस्टस द्वारा पहली बार पौधो का अध्ययन किया गया । इसलिए उन्हे बनस्पति विज्ञान का पिता कहते है।
chapter 1
पोषण के आधार पर पौधे दो प्रकार के होते है।
स्वपोषी
वे पौधे जो अपना भोजन स्वयः बनाते है, उन्हे स्वपोषी कहते है।
संसार में केवल हरे पेड-पौधे ही स्वपोषी होते है।
पौधो को हरा रखने के लिए उनमें क्लोराफिल पाया जाता है।
पौधो में क्लोरोफिल बनाये रखने के लिए मैग्नीशियम तत्व की अवश्यकता होती है।
पौधे प्रकाश संश्लेषण के द्वारा अपना भोजन स्वयं तैयार करते है।
पौधो द्वारा भोजन बनाना एक प्रकार की रासायनिक अभिक्रिया है।
प्रकाश संश्लेषण सबसे अधिक सुबह सूर्य के लाल प्रकाया से होता है।
प्रत्येक पौधे की प्राप्ति पर छोटे-छोटे रन्ध्र पाये जाते है।
स्टोमेटा के कारण पौधे निम्नलिखित तीन कार्य करते है।
प्रकाश संश्लेषण
वाष्पोत्सर्जन
श्वसनचक्र
वाष्पोत्सर्जन के कारण बादल बनते है।
नोट- किसी पौधी की आयु उसके तने में बनने वाले रिंग छल्ले को गिनकर की जाती है। पौधे के तने में यह रिंग तीन वर्ष की आयु में एक बार बनता है।
विषम पोशी पौधे
वे पौधे जो अपने भोजन के लिए दूसरो पर आसर्रित होते है। उन्हे विषमपोषी कहते हें।
प्रकृति में ऐसे पौधे चार प्रकार के होते है।
परजीवि पौधे- वह पौधा जो भोजन के लिए दूसरे जीव पर आश्रित हो। उसे परजीवि कहते हैं।
सभी जडे परजीवि- वह पौधे जिनकी जड़े दूसरे पौधो की जडों से पोषक तत्व लेती है। उन्हे सभी जडों वाला परजीवि पौधा कहते है।
उदा0- रिफलेशिया फुल
नोट– रिफलेशिया विश्व का सबसे बडा फुल है। वुल्फिया विश्व का सबसे छोटा फूूल है।
आंशिक परजीवि पौधे – वे पौधे मिट्टी एवं दूसरे पौधो की जडों से दोनो प्रकार से पोषक तत्व लेता है। उसे आंशिक परजीवि पौधा कहते है। उदा0- चंदन का पैड
नोट- भारत में सबसे अधिक चंदन कर्नाटक मंे मिलता हैं।
मृतोपजीवि- वे पौधे जो मरे हुए पोषक तत्वों को खाकर जीवित रहते हैं उनहे मृतोप जीवी कहते हैं। उदा0- मशरूम
नोट- मशरूम में कैरोटिन, प्रोटीन, एवं स्टेराॅयड पाया जाता हैं जो शारिरीक विकास के लिए लाभदायक है।
सहजीवी- ऐसे पौधे जिनमें दो पौधे/जड मिलकर आपस में मिलकर अपने जीवन का संचालन करते हैं उन्हे सह जीवी करतें है। उदा0 लाइकेन
नोट- शेेवाल पर क्लोरोफिल पाये जाने के कारण वह भोजन बना लेता हैं
शेवालो को अध्ययन phycobionet में होता है।
कवका का अध्ययन mycobionet में होता हैं
कवक संसार में किसी भी सथान को अपना घर बना सकता है।
कीट भक्षी पौधें- वे पौधे जा नाईट्रोजन की प्राप्ति कीटाणुओ को खाकर प्राप्त करते हैं। उनहे कीट भक्षी कहते है। उदा0- pitcher plant, money plant, fly trap plant,
नोट- पानी मे उगने वाले पौधे में नाईट्रजन की कमी होती हैं जबकि मिथेन की अधिकता होती हैं
Chapter 2 पादप कोशिका
कोशिका की खोज रार्बट हुक्क ने की थी।
एण्टीवन ल्यूवन हाॅक ने पहली बार जीवित कोशिका की खोज की थी।
पादप कोशिका निम्नलिखित तीन भागों में बटी होती है।
1. कोशिका भित्ती
कोशिका भित्ती केवल वनस्पतियों में पाया जाता है।
इन कोशिकाओं की गिनती प्रोटीन की बनी होती है।
इन प्रोटीन को सेल्यूलोज कहते है।
नोट- किसी भी जन्तु में सेल्युकोज के स्थान पर स्टार्च पाया जाता है।
मनुष्य सेल्यूलोज को पचा नही पाता है।
केप्सूल के उपर की परत स्टाॅर्च की बनी होती है।
कोशिका भित्ती किसी पौधे का आधार निर्धारित करती है।
2.रिक्तियाॅ
किसी पौधे के जड-तने और पत्तों के बीच मौजूद खाली भागों को रिक्तियाॅ कहते हे।
इन खाली स्थानों के बीच हाॅर्मोन्स पाये जाते है।
जो पौधो के फल, फूल, पत्तियों का रंग व स्वाद निर्धारित करते है।
नोट- मानव शरीर में मौजूद विटामिन डी, और विटामिन के को हार्माेन्स भी कहते है। botany for competition
रिक्तियों के उदाहरण-
आलू-
आलू सोलेमन परिवार की सब्जि है।
सोलेमन के कारण आलू का रंग भूरा सफेद होता है।
अगर आलू में सोलेमन कम रह जाये तो आलू का रंग थोडा हरा रह जाता है।
आलू के पौधे में आॅक्सीजन की कमी हो जाने से वह अंदर से काला पड जाता है।
प्याज-
प्यार का रंग बाहर से लाल एन्थ्रोसाइनिन के कारण होता है।
प्यार का रंग अंदर से सफेद विर्टेसिन के कारण होता है।
प्याज काटने पर डाई-सल्फाइड के कारण आॅसू आते हे।
टमाटर
टमाटर लाइकोपिल के कारण लाल होता है।
लहसून
लहसून में एलाइसिन पाया जाता है।
एलाइसिन के कारण लहसुन पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है तथा काम वर्धक शक्ति को बढाता है।
हल्दी
हल्दी कुंकर-विटेसिन के कारण यह पीले रंग की होती है।
यह एण्टीबायोटिक पदार्थ है।
मूली
इसमें आईसोसाइनेट पाया जाता हैं वह सफेद व तीखी इसी के कारण होती है।
खीरा
खीरे में कुकर-विटेसिन देशी खीरे में व हाईब्रिड में आइसोसाइनेट पाया जाता है।
मिर्ची
इसमें कैप्सनोथीन पाया जाता है। इसी कारण तीथी लगती है।
मिर्च में विटामिन कसी पाया जाता हैं।
विटामिन बी व विटामिन सी को काटकर धोना नही चाहिये।
विटामिन बी व विटामिन सी कभी भी उष्मा के सम्पर्क में नही लाना चाहिए।
मनुष्य के शरीर को 13 प्रकार के विटामिन लाभ पहुचातें है। botany for competition
करेला
ट्राइटेनपाइन के कारण कडवा होता है।
गाजर
गाजर का रंग लाल एन्थ्रोसाइनिन के कारण होता है।
3.लवक
पौधो की जडो से लेकर तनों तक पाये जाने वाले विशेष पदार्थ केा लवक कहते हैं
लवक तीन प्रकार के होते हे।
हरित लवक – संसार के किसी भी पौधे में इसी लवक के कारण क्लोरोफिल बनता हैं
करोमोप्लास्ट वर्गीलवक- पौधो में इस लवक के कारण तीन प्राथमिक रंग पाये जाते है। आर,बी,जी,
लाल, नीला, हरा को प्राकृतिक रंग भी कहते है।
लाल नीला, पीले रंग को कृषिम प्राथमिक यंत्र भी कहते हंै।
ल्यूकोप्लास्टर- इस लवक को सूर्य का प्रकाश पसन्द नही होता हैं।
इसी पौधे की जडों के नीचले भाग में यह लवक पाया जाता है।
उदा0-माइकोराइजा बैकटिरिया, राइजोबीयम बैटिरिया आादि।
CHAPTER 3 पादप हार्मोन्स
हार्मोन्स एक प्रकार के उत्तेजक होते है।
पादप हार्मोन्स स्टेराॅयड, प्रोटीन, सेल्ूलोज, से मीलकर बने होते हेै। botany for competition
AUXINS HARMONS
इसे पौधो का वृद्धि हार्मोन्स कहते है।
यह हार्मोन्स सिकी पौधे के तने की लम्बाई बढा देता है।
यह हार्मोन्स फलो बीज-रहीत करने में काम आता है।
जीव्रेलीन GIBBRELLINES HARMONES
इसे फाईटो हार्मोन्स भी कहते है। जो प्रकाश संश्लेषण की क्रिया पौधों में बढा देता है।
यह हार्मोन्स पौधे की सुस्ता सूखा पन खत्म करता हैं।
अंगूर के गुच्छों पर इसे छीडकने से वह अधिक रसदार व लम्बे हो जाते हैं
CYTOKININE
यह पौधों में कोशिका के भीतर वृद्धि करता हैं
इसे स्टोमेटा या रन्ध्र अच्छे से कार्य करते है।
ABA [ABASIC ACID]
इस एसीड हार्मेन्स का प्रयोग फलो का पेड पर ही पकाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
इसे स्ट्रेस हार्मेन्स भी कहते है। क्योकि यह सूखे या अत्यधिक गिले क्षेत्र में फलो को पकाने का काम करते हैं।
एथिलीन हार्मोन्स
फलो को अन्तिम रूप से पकाने का कार्य एथिलिन करता है।
पौधों का अकारिक वर्गीकरण
किसी पौधे का जड,तना, पत्ते, फुल फल आदि में बाटकर अघ्ययन किया जाये। तो उसे आकारिकी कहते है।
वे पौधे जो सदैव प्रकाश से दूर या विपरीत दिशा में अपना विकाश करते है। उन्हे जड-रूपी पौधा कहते है।
उदा0 इसमें गाजर, मूली, शलजम, चुकन्दर, आदि शामिल होते हे।
तना
पौधे का वह भाग जो प्रकाश की ओर वृद्धि करता हैं। उसे तना रूपी पौधा कहते है।
तने रूपी पौधे दो प्रकार के होते हेै।
भूमिगत तने
वायुगत तने
भूमिगत तने में फल भूमि के अन्दर से प्राप्त होते हेंै।
उदा0 आलू, केसर, प्याज, लहसून, हल्दी, अदरख, शकरगंदी आादि।
वायूगत तने
वे पौधे जिनके तनों का विकास वायू और प्रकाश की उपस्थिति में होता है। उन्हे वायुगत तने कहते है।
समस्त फलाहारी एवं तेली पौधे इसके उदा0 है।
नोट- लोंग का 13 मी0 40 फुट उचाॅ पौधा होता है।
अफ्रिका के द्वीप जंजीवार व पैमा तंजानिया में विश्व में सबसे अधिक लोग होता है।
पूष्पों के अध्ययन को ANTHOLOGY कहते है।
फलो के अध्ययन को PAMOLIGY कहते है।
पौधो में पाये जाने वाले उतक
पौधों में निम्नलिखित दो संयोजी उतक पाये जाते हैं।
XYLEM दारू– यह उतक पौधों की जडों से पानी और खनिज लेकर उपर अन्तिम पत्ति तक जाता है।
PHLOEM यह भी एक संवहनी उतक है।
यह प्रकाश संश्लेषण द्वारा बनाये गये भोजन को लेकर नीचे जड़ों तक जाता है।
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