नीलामी द्वारा विक्रय (Sale by Auction)
नीलाम द्वारा विक्रय वह विक्रय है जिसके अन्तर्गत आवाज लगाकर क्रेताओं को वस्तु के मूल्य का अधिकार दिया जाता है, अर्थात् आवाज लगाकर लोगों को क्रय करने के लिए आमन्त्रित किया जाता है और जो भी व्यक्ति उस वस्तु के लिए सर्वाधिक मूल्य लगाता है उसे वह वस्तु दे दी जाती है। नीलाम विक्रय के सम्बन्ध में धारा 64 (1-6) तक के प्रावधानों में उल्लेख किया गया है जो अग्र प्रकार है-
1. भिन्न-भिन्न ढेरियाँ भिन्न-भिन्न संविदे की वस्तुएँ मानी जाएँगी–धारा 64 (1) के अनुसार, यदि माल अनेक ढेरियों में रखा जाता है तो प्रत्येक ढेर का विषय एक पृथक् संविदा मानी जाएगी।
2. विक्रय संविदे की समाप्ति – धारा 64-(2) के अनुसार, इस विक्रय की समाप्ति तब मानी जाएगी जब विक्रेता डंके की चोट पर अथवा अन्य प्रचलित रीति से ‘एक दो तीन’ कहकर नीलामी बन्द कर दे। जब तक बोली समाप्त न कर दी जाए तब तक बोलने वाला अपनी बोली वापस ले सकता है।
3. विक्रय का अधिकार – धारा 64 (3) के अनुसार, विक्रय का अधिकार स्पष्टतः विक्रेता के द्वारा अथवा उसके द्वारा अधिकृत अन्य किसी व्यक्ति के द्वारा हो सकता है अर्थात् स्वयं या उसका अधिकृत व्यक्ति निम्न व्यवस्थाओं के अनुसार बोली बोल सकता है-
(i) नीलामी की पूर्व सूचना–धारा 64 (4) के अनुसार, कार्य न किए जाने पर विक्रय कपटपूर्ण माना जाएगा।
(ii) न्यूनतम मूल्य का निर्धारण – धारा 64 (5) के अनुसार, बिक्री के लिए कोई सुरक्षित मूल्य नियत किया जा सकता है, जिससे विक्रेता के हितों की रक्षा हो सके।
(iii) बनावटी बोली –– धारा 64 (6) के अनुसार, यदि विक्रेता मूल्य बढ़ाने के उद्देश्य से कुछ बनावटी बोली (Pretending Bidding) बोलता है तो विक्रय क्रेता की इच्छा पर व्यर्थनीय माना जाएगा।