deduction under income from business and profession
Bcom 2nd year bussness profession notes
ह्रास, व्यापार, पेशे तथा अन्य स्रोतों से आय 3
Deduction under income from business and profession
व्यापार अथवा पेशे के लाभों पर कर लगाने के सम्बन्ध मे महत्वपूर्ण नियम-
(1) करदाता व्यापार चलाता हो-करदाता का व्यापार स्वयं ही चलाना आवश्यक नहीं है उसको ओर से कोई भी आधिकृत व्यक्ति उस व्यापार को चला सकता है।
(2) सब व्यापारों की आयों के जोड़ पर कर लगता है करदाता के प्रत्येक व्यापार के लाभों अथवा हानियों के जोड़ पर कर लगता है।
(3) सट्टे के व्यापारों के लाम-हानि पृथक रहते हैं-सट्टे के व्यापारों के लाभ-हानि पृथक रहते हैं क्योंकि सट्टे के व्यापार को हानि केवल सट्टे के लाभों में से हो घटायी जा सकती है।
4) व्यापार गत वर्ष में किसी भी समय के लिए चलाया गया हो-यह आवश्यक नहीं है कि व्यापार अथवा पेशा पूरे वर्ष हो चलाया जाए।
(5) व्यापार वन्द होने पर सम्पत्तियों के विक्रय पर लाभ-व्यापार बन्द होने पर सम्पत्तियों के विक्रय पर होने वाले लाभ पर पूंजी लाभ के शीर्षक में कर लगता है।
(6) भावी अनुमानित लाभों अथवा काल्पनिक लाभों पर कर नहीं लगता है किसी व्यापार में केवल गत वर्ष में हुई वास्तविक आय पर ही विचार किया जाता है ।किसी व्यापार में निकट भविष्य में यदि कोई लाभ होने की आशा हो तो ऐसे लाभ पर कर नहीं लग सकता
(7) एक एकाकी व्यवहार के ख–एक एकाकी व्यवहार (Sole Transaction) के व्यापार का लाभ निकालने के लिए उस व्यवहार के सम्बन्ध में किये गये वे व्यय भी घटा दिये जाते हैं, जो उस व्यवहार के हिसाबी वर्ष से पूर्व किये गये हों।
(8) गैर-कानूनी व्यापार से आय-व्यापार चाहे कानूनी हो अथवा गैर- कानूनी दोनों की आय कर योग्य होती है। गैर-कानूनी व्यापार के लाभों में से गैर-कानूनी व्यय भी कटौती-योग्य होंगे। गैर-कानूनी व्यापार से हानि अन्य किसी कानूनी व्यापार के लाभों में से नहीं घटायी जा सकती है।
(9) व्यापार की स्थापना से पूर्व किये गये व्यय-ये व्यय अस्वीकृत हैं। कम्पनी की दशा में समामेलन से पूर्व किये गये व्यय स्वीकृत नहीं हैं।
(10) व्यापार के वास्तविक लाभ की गणना वाणिज्य के सामान्य सिद्धान्तों के आधार पर करना-व्यापार का वास्तविक लाभ निकालने के लिए वाणिज्य सम्बन्धी सामान्य सिद्धान्त को विचार में रखना आवश्यक है। .
(11) कटौती-योग्य व्यापार की हानियाँ व्यापार में ऐसी हानियाँ, जोकि पूंजीगत प्रकृति को न हों तथा जो गत वर्ष में उस व्यापार के दौरान में हुई हों व्यापार के शीर्षक में आपह्रास, व्यापार, पेशे तथा अन्य स्रोतों से आय। 35 . निकालने के लिए घटा दी जाती हैं।
(12) पिछले वर्षों में स्वीकार की गयी हानि की रकम यदि गत वर्ष में प्राप्त हो जाय तो उस पर कर लगता है-यदि करदाता को गत वर्ष में अपने व्यापार से सम्बन्धित कोई ऐसी रकम प्राप्त हो जाय जो गत वर्ष से पूर्व किसी वर्ष में कर-योग्य लाभ निकालने के लिए हानि, खर्चे अथवा दायित्व के रूप में घटा दी गयी हो, तो उस रकम पर गत वर्ष में कर लगाया जाता
(13) निर्यात को प्रोत्याहन देने के लिए सरकार से प्राप्त नकद सहायता व्यापारिक आय
(14) कृषि भूमि को मकानों की भूमि ( Plots) में परिवर्तित करने से आय-कृषि भूमि को मकान बनवाने की भूमि में परिवर्तित करके बेचने से लाभ व्यापार की आय माना जाता है।
(15) धर्मादा-ग्राहकों से लिया गया धर्मादा व्यापार की आय नहीं है, अतः कर-योग्य नहीं है।
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ह्रास स्वीकार करने के नियम
Conditions for grant of depreciation
ह्रांस के सम्बन्ध में कटौती स्वीकार करने के लिए निम्न नियम हैं-
(1) ह्रास सम्पत्तियों के ब्लॉक पर (Depreciation on block of assets) ह्रास व्यक्तिगत सम्पत्ति पर स्वीकार नहीं किया जाता बल्कि सम्पत्तियों के ब्लॉक पर स्वीकार किया जाता है । करदाता के व्यापार में प्रयुक्त विभिन्न दृश्य एवं अदृश्य सम्पत्तियों को विभिन्न ब्लॉकों में विभाजित कर दिया गया है । प्रत्येक ब्लॉक की समस्त सम्पत्तियों पर एक ही साथ तथा एक ही दर से ह्रास स्वीकार किया जाता है । धारा 2 (11) के अनुसार, “सम्पत्तियों के ब्लॉक का अर्थ एक ही वर्ग की सम्पत्तियों के ऐसे समूह (Block) से हैं जिसमें___ (अ) दृश्य सम्पत्तियाँ, जैसे भवन, मशीनरी, प्लाण्ट एवं फर्नीचर;
– (ब) अदृश्य सम्पत्तियाँ, जैसे विशिष्ट ज्ञान (Know-how), पेटेण्ट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, लाइसेन्स, फ्रेन्चाइज अथवा इसी प्रकृति के अन्य व्यापारिक अथवा वाणिज्यिक अधिकार सम्मिलित होते हैं, जिनके सम्बन्ध में एक ही दर से ह्रास निर्धारित किया गया है।” इस प्रकार, स्पष्ट है कि करदाता के व्यापार में प्रयुक्त सम्पत्ति पर ह्रास सम्बन्धित ब्लॉक में उसी ब्लॉक पर निर्धारित दरों [Old Appendix I में प्रदत्त से स्वीकार किया जायेगा। किन्तु शक्ति के उत्पादन अथवा उत्पादन एवं वितरण के कार्य में संलग्न संस्था की सम्पत्तियों पर ह्रास इनके वास्तविक लागत मूल्य पर निर्धारित दरों [Appendix IA में प्रदत्त] से स्वीकार किया जायेगा।
(2) सम्पत्तियाँ व्यापार अथवा पेशे के लिए प्रयुक्त हों (Assets must be used for business or profession)-कोई भी दृश्य अथवा अदृश्य सम्पत्ति किसी सम्पत्ति समूह अथवा ब्लॉक (Block) में तभी सम्मिलित की जायेगी जबकि वह करदाता के व्यापार अथवा पेशे के लिए प्रयुक्त हो रही हों । प्रयुक्त का तात्पर्य है कि सम्पत्ति व्यापार के उद्देश्यों में प्रयोग हेतु तैयार एवं उपलब्ध है। यह आवश्यक नहीं है कि सम्पत्ति पूरे गत वर्ष में वास्तव में प्रयुक्त हुई हो । यदि ये सम्पत्तियाँ करदाता के व्यापार अथवा पेशे में प्रयुक्त न होकर उसके व्यक्तिगत
प्रयोग में प्रयुक्त होती हैं, तो ऐसी सम्पत्ति या सम्पत्तियों को ‘सम्पत्तियों के ब्लॉक’ में शामिल नहीं करेंगे और उन पर ह्रास नहीं लगायेंगे। स्पष्टतः, हास ‘व्यापार अथवा पेशे’ शीर्षक की स्वीकृत कटौती है। किन्तु यदि कोई सम्पत्ति अंशत: व्यापार एवं पेशे के लिए प्रयुक्त होती है, या अंशतः निवास हेतु या अंशतः किराये पर उठा दी गयी है तो व्यापार एवं पेशे हेतु प्रयत्तत भाग पर ही ह्यस स्वीकार किया जायेगा। किन्तु यदि इन सम्पत्तियों से प्राप्त आय ‘अन्य स्रोतों से आय’ शीर्षक में कर-योग्य है तो धारा 57 (ii) के अनुसार, अन्य स्रोतों से आय’ शीर्षक की कर-योग्य आय की गणना करने में इन सम्पत्तियों पर ह्रास स्वीकार किया जायेगा। … (3) करदाता सम्पत्तियों का स्वामी हो (Assessee must be owner of the assets)-किसी भी दृश्य या अदृश्य सम्पत्ति पर ह्रास स्वीकृत किये जाने के लिए यह आवश्यक है कि करदाता इन सम्पत्तियों का स्वामी हो। किसी सम्पत्ति पर आंशिक स्वामित्व (fractional ownership) होने पर भी हास स्वीकार किया जायेगा। केवल सम्पत्ति का स्वामी ही उस पर-हास की माँग कर सकता है। स्वामी वह व्यक्ति माना जायेगा जो उस सम्पत्ति पर स्वामित्व के अधिकार का प्रयोग स्वयं अपनी ओर से कर सके किसी अन्य व्याक्त का आर से नहीं । पट्टे पर ली गई सम्पत्ति करदाता के स्वामित्व की सम्पत्ति नहीं है, अतः उस पर हास स्वीकार नहीं होगा, किन्तु यदि करदाता ने उस सम्पत्ति के सुधार, विकास या नवीनीकरण पर व्यापार के हितार्थ कोई पूँजीगत व्यय किया है तो पूँजीगत व्यय के लिए करदाता स्वामी होगा . और उस पर ह्रास स्वीकार किया जायेगा। deduction under income from business and profession
(4) सम्पत्ति गत वर्ष में प्रयुक्त हुई हो (Use of asset during previous year)-किसी सम्पत्ति-विशेष को ह्रास के लिए ब्लॉक’ में तभी शामिल किया जायेगा जबकि गत वर्ष में व्यापार अथवा पेशे के लिए वास्तव में प्रयुक्त हुई हो अथवा प्रयुक्त होने हेतु तैयार हो । यदि सम्पत्ति व्यापार अथवा पेशे में मौजूद है, किन्तु प्रयुक्त नहीं हुई है तो उस पर ह्रास स्वीकार नहीं किया जायेगा। यदि सम्पत्ति गत वर्ष में केवल कुछ ही अवधि के लिए प्रयुक्त हुई है, फिर भी उस पर ह्रास स्वीकार किया जायेगा। सम्पत्ति का वास्तव में प्रयोग होना आवश्यक है। यदि सम्पत्ति गत वर्ष में प्रयोग के लिए तैयार रखी गई, किन्तु प्रयुक्त नहीं हुई तो भी ह्रास पूरे वर्ष का ही स्वीकृत होगी। किन्तु गत वर्ष क्रय की गई सम्पत्ति की दशा में, यदि उसका प्रयोग गत वर्ष 180 दिन से कम हुआ तो उस सम्पत्ति के सम्बन्ध में सामान्य ह्रास का 50% ह्रास पूरे वर्ष का ही स्वीकार किया जायेगा। इसी प्रकार यदि करदाता की फैक्टरी तालाबन्दी के कारण पूरे गत वर्ष बन्द रही तथा गत वर्ष में व्यापारिक उद्देश्यों के लिए प्लाण्ट एवं मशीन एक दिन के लिए भी प्रयुक्त नहीं हुई हो तो ऐसे प्लाण्ट एवं मशीनरी पर गत वर्ष के लिए कोई ह्रास स्वीकार नहीं किया जायेगा।
(5) ह्रास प्रत्येक ब्लॉक की सम्पत्तियों के अपलिखित मूल्य के योग पर (Depreciation on he total written-down value of all the assets of a block)-हास प्रत्येक ब्लॉक की समस्त समपत्तियों के अपलिखित मूल्य के योग पर लगाया जाता है। किसी भी एक समह या ब्लॉक में जो भी. सम्पत्तियाँ आती हैं उन सभी सम्पत्तियों का सामहिक अपलिखित मूल्य ज्ञात किया जाता है, अतः उसी अपलिखित मूल्य पर ह्रास स्वीकार किया जाता है। इस प्रकार किसी सम्पत्ति समूह के सम्बन्ध मेंDepreciation WDV of the block of assets x Rate as per Appendix I
(हास). = (समूह का अपलिखित मूल्य x एपेन्डिक्स I में प्रदत्त दरी
16 करदाता के लिए सम्पत्तियों की वास्तविक लागत पर ह्रास (Depreciation on the actual cost of assets to the assessee)-एक ऐसी संस्था को दशा में जो शक्ति
के उत्पादन अथवा उत्पादन एवं वितरण के कार्य में संलग्न है, हास की गणना सम्पत्तियों के उस वास्तविक लागत मूल्य पर की जाती है जो करदाता के लिए है । करदाता के लिए सम्पत्तियों के वास्तविक लागत में सम्पत्ति का क्रय मूल्य एवं क्रय से सम्बन्धित अन्य व्यय, भाड़ा, स्थापन (Installation) व्यय तथा अन्य वे सभी लागतें सम्मिलित हैं जो सम्पत्ति को कार्यशील स्थिति में लाने के लिए की जाती हैं। प्रत्येक सम्पत्ति की लागत पर पथक रूप से एक ही दर से हास स्वीकार किया जाता है न कि अपलिखित मूल्य पर। ‘सम्पत्ति समूह’ (Block of assets) की अवधारणा इसमें लागू नहीं होती। अत: सम्बन्धित सम्पत्ति परDepreciation = Actual cost of the asset x Rate as per Appendix IA
(हास) = (वास्तविक लागत x एपेन्डिक्स IA में प्रदत्त दर) .
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(7) बेच दी गई, प्रयोग से बाहर की गई अथवा नष्ट हो गई सम्पत्ति पर हास (Depreciation on asset sold, discarded or destoned)-जब कोई सम्पत्ति अर्थात् भवन, मशीनरी, प्लाण्ट या फर्नीचर, जिस पर हास लग चुका है, किसी गत वर्ष में (उस गत वर्ष को छोड़कर जिसमें वह सम्पत्ति प्रथम बार प्रयोग में लाई गई) बेच दी गई, प्रयोग से बाहर कर दी गई अथवा नष्ट कर दी गई है, तो ऐसी सम्पत्ति के अपलिखित मूल्य का सम्पत्ति की देय राशि (Moneys payable) एवं अवशेष मूल्य (Scrap Value), यदि कोई है पर आधिक्य ही उस सम्पत्ति का उस गत वर्ष का हास होगा बशर्ते कि करदाता ने इस राशि को अपनी पुस्तकों में वास्तव में अपलिखित कर दिया है। संक्षेप में, यदि सम्पत्ति के सम्बन्ध में प्राप्त राशि (देय राशि + अवशेष मूल्य) सम्पति के अपलिखित मूल्य से कम है तो कमी की राशि ही उस सम्पत्ति के सम्बन्ध में हास की गशि होगी।
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(8) ‘निर्धारित प्रतिशत’ से हास (Depreciation at prescribed percentage) -सम्पत्तियों के लिए हास की अलग-अलग दरें आय-कर नियमावली, 1962 की Appendix I के भाग 1 एवं Appendix IA में दी हुई है। उन्हीं दरों से हास स्वीकार किया जायेगा अन्य किसी दर से नहीं। इन दरों का वर्णन आगे किया गया है।
(9) विदेशी कारों पर हास (Depreciation on imported cars)-भारत के बाहर निर्मित ऐसी कारें जो करदाता ने 28-2-1975 के बाद परन्तु 1.4.2001 से पूर्व क्रय की हैं तथा उन्हें भारत में अपने व्यापार एवं पेशे के लिए प्रयुक्त करता है तो उन पर हास स्वीकार नहीं होगा। किन्तु यदि विदेशी कारें पर्यटकों (Tourists) को किराये पर देने के लिए चलाई जाती हैं अथवा भारत के बाहर किसी देश में करदाता के व्यापार या पेशे में प्रयुक्त होती हैं, तो उन पर हास स्वीकार किया जायेगा। पर्यटक (Tourists) शब्द की आय-कर अधिनियम में कोई परिभाषा नहीं दी गयी है, फलतः ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी की परिभाषा को ही अधिकृत परिभाषा माना जायेगा। इसके अनुसार, पर्यटक से आशय एक यात्री से होता है।
(10) उत्तराधिकार, विभक्तीकरण या एकीकरण की दशा में कुल ह्रास (Aggregate depreciation in case of succession, demerger or amalgamation) उत्तराधिकार,विभक्तीकरण या एकीकरण की दशा में,पूर्ववर्ती एवं उत्तराधिकारी,अथवा एकीकरण होने वाली कम्पनी एवं एकीकृत कम्पनी अथवा विभक्त कम्पनी एवं परिणामी कम्पनी की दश्य एवं अदृश्य सम्पत्तियों के सम्बन्ध में वसूल किया गया कुल हास किसी भी दशा में निर्धारित दर से गर्णित उस हास की राशि से अधिक नहीं होगा जो उन सम्पत्तियों पर उस समय लगता हआ होता। ऐसे हार अथवा एकीकरण येगा जितने दिन आयकर/ 38 जबकि ऐसा उत्तराधिकार परिवर्तन, या विभक्तीकरण, या एकीकरण नहीं हुआ। को पूर्ववर्ती एवं उत्तराधिकारी अथवा वभक्त का निभक्त कम्पनी एवं परिणामी कम्पनी, अथवा होने वाली तथा एकीकत कम्पनी मानो के अनुपात में वितरित किया जाये। तक सम्पत्तियाँ उनके द्वारा प्रयुक्त हुई हैं।
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(11) किराया क्रय पद्धति पर क्रय की गई सम्पत्ति (Assern puchase system)–यदि कोई सम्पत्ति किराया क्रय पतति ऐसी सम्पत्ति के सम्बन्ध में भी करदाता को ह्रास स्वीकृत होगा या purchased on hire सम्पत्ति किराया क्रय पद्धति के अन्तर्गत क्रय की गई। यद्यपि करदाता इस सम्पत्ति कायेटकों पर हास’ शीर्षक में कर-योग्य” । इसी प्रकार, एक ट्रान्सपोर्टर किश्तों पर क्रय किये गये ट्रकों पर की कटौती पाने का अधिकारी है भले ही ठेले (Trucks) उसके नाम पंजीकत सानों से आय शीर्षक’ के अन्तर्गत कौन सी आय कर-योग्य होती उत्तर-धारा 56 (2) के अनुसार,निम्न आयें अन्य साधनों से आय’ शीर्षक में होंगी
(1) लाभांश;निम्न आयें जो ‘आकस्मिक प्रकृति’ की हैं- (अ) लॉटरी से आय; (ब) क्रॉसवर्ड पजल्स से आय; (स) दौड़ (घुड़-दौड़ सहित) से आय; (द) ताश, जुआ एवं अन्य इसी प्रकार के किसी खेल से आय; तथा (इ) किसी भी प्रकार तथा किसी भी रूप में लगाई गई शर्त से आय। deduction under income from business and profession
(3) एक नियोक्ता को अपने कर्मचारी से प्राप्त’ निम्न राशियाँ यदि ये ‘व्यापार अथवा पेशे से आय’ शीर्षक में कर-योग्य नहीं हैं- (अ) किसी भी प्रॉवीडेण्ट फण्ड में अंशदान; (ब) स्परएनएशन फण्ड में अंशदान; (स) कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 के अन्तर्गत स्थापित किसी फण्ड में अंशदान;, (द) कर्मचारियों के कल्याण हेतु स्थापित किसी भी अन्य फण्ड में अंशदान। —
(4) ‘प्रतिभूतियों पर ब्याज’ यदि इनकी आय व्यापार या पेशे शीर्षक में कर-योग्य नहीं है, अर्थात् यदि करदाता प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय के व्यापार में संलग्न नहीं है तो प्रतिभूतियों पर ब्याज अन्य साधनों से आय’ शीर्षक में ही कर-योग्य होगा।
(5) करदाता की मशीन, प्लाण्ट एवं फनींचर की किराये की आय, यदि यह आय व्यापार अथवा पेशे से आय’ शीर्षक में कर-योग्य नहीं है। यदि करदाता मशीन, प्लाण्ट एवं फर्नीचर को किराये पर उठाने का व्यापार करता है तो उससे प्राप्त किराया ‘व्यापार अथवा पेशे से आय’ शीर्षक में कर-योग्य होगा।
. (6) भवन से किराये की आय, यदि करदाता मशीनरी, प्लाण्ट या फर्नीचर किराये पर उठाता है तथा इनके साथ-साथ वह भवन भी किराये पर उठाता है, क्योंकि मशीन, प्लाण्ट या फर्नीचर को किराये पर उठाने के लिये भवन से अलग नहीं किया जा सकता तो किराये की एसी आय ‘अन्य साधनों से आय’ शीर्षक में कर-योग्य होगी, बशर्ते कि यह ‘व्यापार अथवा पेशे से आय’ शीर्षक के अन्तर्गत कर-योग्य न होती हो । इसमें सामान्यतः फैक्टरी, दाल मिल, रेस्टोरेण्ट या होटल (पर्ण ससज्जित) को किराये पर उठाने से प्राप्त आय शामिल की जाती
(7) परिवार पेंशन के रूप में प्राप्त आय-परिवार पेंशन से तात्पर्य नियोक्ता द्वारा अपने कर्मचारी की मृत्यु पर उसके परिवार को दी गई नियमित मासिक आय से हैं।
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