Saturday, December 21, 2024
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bcom 2nd year contract and job costing

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ठेका लागत का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning & Definition of Contract Account)

ठेके पर कराये जाने वाले कार्यों का हिसाब-किताब (ठेकेदारों द्वारा) रखने की विधि ही ‘ठेका लागत विधि’ कहलाती है अर्थात् ठेके पर आने वाली लागत तथा लाभ-हानि को ज्ञात करने के सम्बन्ध में जो लेखे ठेकेदारों द्वारा रखे जाते हैं,उनकी लेखांकन-प्रक्रिया को ‘ठेका लागत विधि’ के नाम से जाना जाता है। ..“ठेका या सावधि-परिव्यय पद्धति उन व्यवसायों द्वारा अपनाई जाती है; जो निश्चित ठेके का कार्य करते हैं,जैसे- भवन-निर्माणकर्ता तथा ठेकेदार।” bcom 2nd year contract and job costing

वाल्टर डब्ल्यू० बिग० – “लागत की यह पद्धति उन व्यवसायों में अपनाई जाती है जहाँ रचनात्मक ठेके लिये जाते हैं तथा न केवल ठेके के पूरा होने पर वरन् कार्य पूर्ति की विभिन्न अवस्थाओं में प्रत्येक ठेके की सही लागत जानने की इच्छा रहती है।” ।

-जे० आर० बॉटलीबॉय ठेके के पूर्ण निष्पादन का समय निश्चित होता है। अतः ठेका लागत विधि’ को ‘सावधि लागत विधि’ (Terminal Costing) भी कहा जा सकता है । यदि ठेकेदार निर्धारित समय में ठेके का कार्य पूरा करने में असमर्थ रहता है तो वह ठेकादाता के प्रति लिखित अनुबन्ध के अनुसार वैधानिक रूप से उत्तरदायी होता है। bcom 2nd year contract and job costing notes

ठेकेदार ठेके के सम्बन्ध में किये गये सभी प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष व्ययों को ठेके खाते की डेबिट में लिखता है जबकि ठेका स्थल से स्टोर्स को लौटाई गई सामग्री,अन्य ठेकों को हस्तान्तरित सामग्री,ठेका स्थल पर बची हुई सामग्री तथा प्लाण्ट एवं प्रमाणित कार्य का मूल्य तथा अप्रमाणित कार्य की लागत को ठेके खाते की क्रेडित में दर्शाता है । अन्त में ठेके पर हुए लाभ या हानि को ज्ञात करने के लिए ठेके खाते के दोनों पक्षों का योग करते हैं । यदि ठेके खाते की क्रेडिट साइड का योग अधिक होता है तो अन्तर को लाभ माना जाता है जबकि डेबिट साइड का योग अधिक होने पर प्रकट अन्तर हानि होती है।

ठेके खाते की तैयारी

(Preparation of Contract Accounts)

ठेका खाता दो पक्षों में पाया जाता है- नाम पक्ष तथा जमा पक्ष । इन दोनों पक्षों का अन्तर ठेके पर लाभ या हानि को दर्शाता है। इन दोनों पक्षों में आने वाली मुख्य मदों का विवरण इस प्रकार है

ठेके खाते का नाम पक्ष

(Defict side of Contract Account)

मजदूरी (Wages)-

प्रत्येक ठेके पर ठेका कार्य को सम्पन्न करने के लिए कुछ श्रमिक, मिस्त्री,आदि लगाये जाते हैं । इन्हें दिये जाने वाले पारिश्रमिक की रकम से सम्बन्धित ठेका खाता डेबिट कर दिया जाता है । यदि श्रमिक सम्पूर्ण समय एक ही ठेके पर कार्य करता है तो समय पत्रक (Time Card) से ही मजदूरी ज्ञात कर ली जाती है परन्तु जो श्रमिक एक से अधिक ठेकों पर कार्य करते हैं उनके लिए समय कार्ड तथा उपकार्य-कार्ड का उपयोग कर मजदूरी-संक्षिप्ति बनाकर . अलग-अलग ठेके पर किये गये कार्य की मजदूरी ज्ञात कर ली जाती है । ठेका खाता बनाने की तिथि पर जो मजदूरी देय तो हो गयी है, परन्तु जिसका भुगतान नहीं किया गया है उसे अदत्त (Unpaid or Outstanding) या अर्जित (Accrued) मजदूरी के रूप में ठेके खाते की डेबिट में ही दिखा देते हैं । इसका दूसरा विकल्प यह भी हो सकता है कि अदत्त या अर्जित मजदूरी की रकम को चुकता की गई मजदूरी के साथ जोड़कर ही लिख दें।

अन्य प्रत्यक्ष व्यय (Other Direct Expenses)-

ठेके पर प्रत्यक्ष रूप से किये जाने वाले अन्य व्यय भी ठेका-खाते के डेबिट पक्ष में लिखे जाते हैं । यदि कुछ प्रत्यक्ष व्यय अदत्त (Accrued or outstanding) होते हैं तो वर्ष के अन्त में इन्हें भुगतान किये गये व्ययों के साथ ही ठेका खाते में डेबिट कर दिया जाता है ।

अप्रत्यक्ष व्यय (Indirect Expenses)-

कुछ व्यय ऐसी प्रकृति के होते हैं जो कई ठेकों पर सम्मिलित रूप से किये जाते हैं और उन्हें निश्चित रूप से अलग-अलग ठेकों पर बांटा जाना सम्भव नहीं होता,जैसे- मैनेजर,इन्जीनियर,सुपरवाइजर आदि के वेतन,स्टोर की व्यवस्था सम्बन्धी व्यय,प्रशासन तथा कार्यालय से सम्बन्धित व्यय आदि । ऐसे व्ययों को निम्नलिखित में से किसी भी उचित आधार पर अलग-अलग ठेकों के लिये बाँटा जा सकता है-

(a) प्रत्यक्ष श्रम के आधार पर,

(b) प्रत्यक्ष सामग्री के आधार पर,

(c) मूल लागत के आधार पर,

(d) श्रम घण्टा दर (Labour Hour Rate)

प्लाँट एवं मशीनरी (Plant and Machinery)–

लगभग प्रत्येक ठेके में प्लान्ट तथा मशीनों का प्रयोग होताहै । अतः इन पर होने वाले ह्रास की राशि ठेका खाता के डेबिट में लिखी जानी चाहिये । ह्रास का लेखा करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिये।

(I) यदि मशीन अधिक मूल्य की है,तो इसकी पूरी राशि ठेका खाता के डेबिट पक्ष में लिखी जाती है और जब ठेका खाता बन्द किया जाता है तो मशीन की पुन: मूल्यांकित राशि को क्रेडिट पक्ष में लिख दिया जाता है।

(II) यदि मशीन किराये पर गई हो तो इसका किराया ही नाम पक्ष में लिखा जायेगा।

(III) जब मशीन थोड़े-थोड़े समय के लिये कई ठेकों पर काम में लाई जाती है तो ठेका खाता की केवल हास की राशि से ही डेबिट किया जाता है । bcom 2nd year contract and job costing

(IV) जब मशीन कम मूल्य की होती है तब भी केवल ह्रास की राशि ही ठेका खाता में डेबिट की जाती है। ह्रास की गणना (Calculation of Depriciation) प्लांट तथा मशीन पर ह्रास निकालते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि ह्रास के प्रतिशत के साथ प्रति वर्ष लिखा है या नहीं। यदि ह्रास का प्रतिशत प्रतिवर्ष हो तो ह्रास की राशि की गणना प्लान्ट तथा मशीन के प्रयोग के समय को ध्यान में रखकर की जाती है और यदि ह्रास के प्रतिशत के साथ प्रतिवर्ष न लिखा हो तो प्लान्ट एवं मशीन के प्रयोग के समय को ध्यान में नहीं रखा जाता।

उप-ठेका लागत (Sub-Contract Cost)-

कभी-कभी ठेकेदार अपने ठेके का एक भाग पूरा करने का ठेका किसी दूसरे ठेकेदार को दे देता है । उदाहरण के लिए, एक ठेकेदार ने किसी पिक्चर हॉल को बनाने का ठेका लिया और ठेका लेने के उपरान्त नींव खोदने का ठेका ‘एक्स’ को,लकड़ी के काम का ठेका ‘वाई’ को तथा बिजली के काम का ठेका जैड’ को देता है ते इन तीनों ठेकेदारों को मुख्य ठेकेदार के द्वारा जो भुगतान किया जायेगा वह कुल ठेका लागत क ही एक अंग होगा । इस प्रकार जब ठेकेदार अपने ठेका कार्य के कुछ भाग को दूसरों को ठेका देकसम्पन्न कराते हैं तो इसे उप-ठेका कहा जाता है और उप-ठेका के लिए भुगतान की राशि उप-ठेक लागत कहलाती है जिसे ठेके खाते की डेबिट में लिखा जाता है।

अतिरिक्त किये गये कार्य की लागत (Costs of extra work done)-

कभी-कभ ठेकादाता मूल ठेके के अतिरिक्त कुछ अतिरिक्त कार्य भी ठेकेदार से करवाता है जिसके लिए व ठेकेदार से तय हुई रकम का अलग से भुगतान भी करता है।

ठेके खाते का जमा पक्ष

(Credit side of Contract Account)

(1) अप्रमाणित कार्य (Work Uncertified)-

ठेकेदार द्वारा किये गये कार्य का भाग जो प्रमाणित नहीं हो पाया है, “अप्रमाणित-कार्य” कहलाता है। अप्रमाणित कार्य = किया गया कार्य-प्रमाणित कार्य । अप्रमाणित कार्य की लागत को भी ठेका खाते के जमा पक्ष में दर्शाया जाता है।

(2) शेष प्लांट व मशीनरी- (Plant and Machinery in Hand)

-यदि कोई प्लान्ट तथा मशीनरी ठेके पर लाते समय अपने पूरे मूल्य से ठेका खाता के नाम लिखी जाती है तो उस प्लान्ट तथा मशीन को ठेके पर से हटाते समय न्यायोचित ह्रास घटाने के पश्चात् ठेका खाते के जमा पक्ष में भी दिखाया जाता है।

(3) सामग्री या संयन्त्र का अन्य ठेकों को स्थानान्तरण (Materials or Plant transferred to other Contracts)-

जब अनावश्यक सामग्री या संयन्त्र किसी दूसरे ठेके को स्थानान्तरित किया जाता है तो इस प्रकार स्थानान्तरित की गई सामग्री या संयन्त्र का मूल्य स्थानान्तरित करने वाले ठेके खाते की क्रेडिट में ‘By Material or Plant transferred to Contract No….’ लिखा जाता है।

(4) बेची गई सामग्री या संयन्त्र (Materials or Plant Sold)-

कार्यस्थल पर उपलब्ध सामग्री या संयन्त्र में से यदि कुछ सामग्री या संयन्त्र बेच दिया जाता है तो उसके बेचने से जो राशि . प्राप्त होती है उसे ठेके खाते के क्रेडिट में ‘By Sale of Material or Plant’ लिखते हैं। यदि विक्रय से कुछ लाभ हुआ है तो उसे ठेके खाते की डेबिट में “To P & LA/c’ लिखेंगे और यदि हानि हुई है तो उसे ठेके खाते की क्रेडिट में By P & LA/c’ लिखेंगे।

(5) लौटाई गई सामग्री या संयन्त्र (Materials or Plant Returned)-

ठेका पूरा होने पर अथवा वित्तीय वर्ष के बीच में यदि ठेका स्थल से कोई सामग्री या संयन्त्र वापस किया जाता है तो इस प्रकार वापस की गई सामग्री या संयन्त्र का मूल्य ठेके खाते की क्रेडिट में लिखा जाता है। इस सम्बन्ध में निम्न बातों पर ध्यान देना आवश्यक है

(i) यदि पूर्तिकर्ता को सामग्री वापस की गई है तो ठेके खाते की क्रेडिट में ‘By Material returned to Supplier’ लिखेंगे अर्थात् पूर्तिकर्ता का खाता डेबिट तथा ठेका खाता क्रेडिट होता है।

(ii) यदि सामग्री स्टोर्स को लौटाई जाती है तो ठेके खाते की क्रोडेट में ‘By Material returned to Stores’ लिखेंगे अर्थात् स्टोर्स नियन्त्रण खाता डेबिट तथा ठेका खाता क्रेडिट किया जाता है। ..

(iii) यदि वित्तीय वर्ष के दौरान निर्गमित प्लाण्ट का कुछ भाग स्टोर्स को वापस लौटा दिया जाता है तो ठेके खाते की क्रेडिट में By Plant returned to Store’ लिखेंगे।

(6) माल खोना, नष्ट होना या चोरी होना (Material Lost, Destroyed or Theft)-

ठेके पर जो माल खो जाता है, नष्ट हो जाता है उसके मूल्य से ठेका खाता जमा किया जाता है क्योंकि माल का खोना,नष्ट होना या चोरी जाना ठेके की लागत का अंग नहीं बन सकता।

(7) प्रमाणित कार्य (Work Certified)-

ठेकेदार द्वारा पूरे किये गये कार्य का वह भाग जो ठेकादाता के इन्जीनियर व शिल्पकार द्वारा पास कर दिया जाता है, प्रमाणित कार्य” कहलाता है । इस प्रमाणित कार्य के मूल्य को ठेका खाता के जमा पक्ष में लिखा जाता है

(8) निर्माणाधीन कार्य (Work-in-progress)

यदि ठेका खाता तैयार करने की तिथि तक ठेका कार्य पूर्ण नहीं हुआ है तो उसे अपूर्ण ठेका कहा जाता है


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