Wednesday, November 20, 2024
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International Marketing In Hindi

अन्तर्राष्ट्रीय विपणन-प्रकृति, क्षेत्र एवं महत्त्व (International Marketing : Nature, Scope and Importance in Hindi)

अन्तर्राष्ट्रीय का अर्थ विभिन्न देशों से है व विपणन से आशय उन मानवीय से है जो विनिमय प्रक्रियाओं के द्वारा आवश्यकताओं एवं इच्छाओं को की ओर निर्देशित करती हैं। ऐसा विपणन एक देश की सीमाओं के बाहर किया जाता है। यद्यपि अन्तर्राष्ट्रीय विपणन को निर्यात विपणन की संज्ञा भी दी गई लेकिन यह निर्यात विपणन से अधिक व्यापक होता है क्योंकि अन्तर्राष्ट्रीय विपणन में निर्यात विपणन के अतिरिक्त अन्य कई विपणन क्रियाओं को भी सम्मिलित किया जाता है जैसे भौतिक वस्तुओं का विक्रय, ग्राहकों को संतुष्ट करना, सेवा उपलब्धि, विदेशी सहायकों की नियुक्ति आदि। अन्तर्राष्ट्रीय विपणन-प्रकृति, क्षेत्र एवं महत्त्व (International Marketing : Nature, Scope and Importance in Hindi)

टस्ट्रावन के अनुसार, “अन्तर्राष्ट्रीय विपणन राष्ट्रीय सीमाओं के बाहर किया जाने वाला विपणन है।”

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अन्तर्राष्ट्रीय विपणन की विशेषताएँ

1. राष्ट्रीय सीमाओं से बाहर विपणन-अन्तर्राष्ट्रीय विपणन में वस्तुओं या सेवाओं का निर्यात विदेशों में किया जाता है। यह भी हो सकता है कि एक देश व्यापारी माल का उत्पादन दूसरे देश में करे और वहाँ से उसका निर्यात करे।

2. बहुराष्ट्रीय प्रक्रिया अन्तर्राष्ट्रीय विपणन में वस्तुएँ या सेवाएँ एक खास देश को नहीं बल्कि अनेक देशों को निर्यात की जाती है, अत: यह एक बहुराष्ट्रीय प्रक्रिया है।

3. विपणन का एक अंग-अन्तर्राष्ट्रीय विपणन, विपणने का एक अंग है अर्थात् विपणन में राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय विपणन दोनों ही शामिल हैं।

4. वस्तुओं एवं सेवाओं का विपणन-अन्तर्राष्ट्रीय विपणन के अंतर्गत न केवल उत्पादों का बल्कि सेवाओं का भी विपणन किया जाता है।

5. नियमन-अन्तर्राष्ट्रीय विपणन का विधिवत् नियमन एवं नियंत्रण विपनणनकर्ता के देश के कानूनों के साथ-साथ सम्बन्धित बाजार के राष्ट्रीय कानूनों के आधार पर भी किया जाता है।

6. राष्ट्रीय विपणन की सभी गतिविधियाँ-राष्ट्रीय या स्थानीय व्यापार में होने वाली सभी गतिविधियाँ जैसे कि मूल्य निर्धारण, उत्पाद विकास व संवर्द्धन, माल वितरण का प्रबन्ध अन्तर्राष्ट्रीय विपणन में भी की जानी होती हैं।

7. समूचे व्यापार तन्त्र का एक अंग-अन्तर्राष्ट्रीय विपणन समूचे व्यापार तन्त्र का एक अंग होता है तथा इसमें भी माल या सेवाओं का क्रय-विक्रय होता है, हाँ यह होता देश से बाहर है।

अन्तर्राष्ट्रीय विपणन की प्रकृति

1. बहुराष्ट्रीय विपणन प्रबंध-अन्तर्राष्ट्रीय विपणन बहुराष्ट्रीय विपणन प्रबंध प्रयासों का योग है।

2. नियंत्रणीय एवं अनियंत्रणीय घटक-स्वदेशी विपणन में आन्तरिक घटकों का प्रबंध करते हुए फर्म के वातावरण में विद्यमान अनियन्त्रणीय घटकों का प्रत्युत्तर देने का प्रयास किया जाता है।

3. विशिष्ट चातुर्य-स्वदेशी विपणन के विपरीत, अन्तर्राष्ट्रीय विपणन हेतु प्रबंधक में विशिष्ट चातुर्य वांछित है।

4. संरक्षणवादी प्रकृति-अन्तर्राष्ट्रीय विपणन की प्रकृति काफी सीमा तक संरक्षणवादी होती है। प्राय: प्रत्येक देश अपने निर्यात को बढ़ाना चाहता है तथा आयातों को कम करना चाहता है।

5. राजनीतिक प्रवृत्ति-अन्तर्राष्ट्रीय विपणन में विभिन्न राष्ट्रों के मध्य राजनीतिक सम्बन्धों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

6. प्रभुतापूर्ण प्रकृति-नए एवं आधुनिक उत्पादों के उत्पादन के कारण अन्तर्राष्ट्रीय विपणन के अधिकांश भाग पर विकसित देशों में अपना प्रभुत्व स्थापित. कर लिया है। International Marketing In Hindi

7. कड़ी प्रतियोगिता–अन्तर्राष्ट्रीय विपणन कड़ी प्रतियोगी प्रकृति का होता है। अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में विपनणनकर्ताओं को त्रि-स्तरीय प्रतियोगिता का सामना करना पड़ता है।

8. जोखिम की अधिकता-अन्तर्राष्ट्रीय विपणन कई प्रकार के जोखिमों से घिरा होता है क्योंकि इसमें एक व्यापारिक लेन-देन को पूरा करने में काफी समय लगता है।

9. साख अभिमुखी-प्रायः अधिकांश आयातक देश उन देशों से माल खरीदना पसंद करते हैं, जहाँ भुगतान अवधि लम्बी हो तथा ब्याज की दर कम से कम हो।

10. विभिन्न कानून तथा मौद्रिक प्रणालियाँ-प्रत्येक देश के कानून अलग-अलग होते हैं तथा प्रत्येक देश में अलग-अलग मौद्रिक प्रणालियाँ लागू हेती

अन्तर्राष्ट्रीय विपणन की आवश्यकता अथवा महत्व

(क) राष्ट्र के दृष्टिकोण से लाभ

1. अतिरिक्त माल का निर्यात तथा आवश्यक माल का आयात

2. श्रेष्ड्ड जीवन स्तर प्राप्त करना

3. विदेशी बाजारों में बढ़ोत्तरी

4. आर्थिक प्रगति में सहायता

5. प्रतिस्पर्धा के कारण उत्पादों में सुधार

6. रोजगार के अधिक अवसर

7. आयातों का भुगतान

8. प्रौद्योगिकीय विकास

9. आपातकाल में सहायक

10. प्राकृतिक साधनों का पूर्ण उपयोग

(ख) निर्यात करने वाली फर्म के दृष्टिकोण से लाभ

1. बड़े पैमाने पर उत्पादन की सम्भावना

2. उत्पाद के अप्रचलित हो जाने से बचाव

3. प्रोत्साहनों व सरकारी सहायता का लाभ उठाने के लिए

4. लाभों में वृद्धि

5. कच्चे माल की प्राप्ति

6. उपभोक्ता सन्तुष्टि में वृद्धि

(ग) सामाजिक दृष्टिकोण से लाभ

1. अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग में बढ़ावा

2. सांस्कृतिक सम्बन्धो में सुधार

3. अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति व तालमेल में सहायता


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