Tuesday, November 5, 2024
HomeCorporate LawAlteration in the Memorandum of Association

Alteration in the Memorandum of Association

Alteration in the Memorandum of Association

पार्षद सीमा नियम में परिवर्तन 

पार्षद सीमानियम कम्पनी का महत्त्वपूर्ण प्रलेख होता है अतः इसे आसानी से बदला नहीं किया जा सकता। इनमें परिवर्तन करने के लिये कई औपचारिकताओं एवं नियमों का पालन करना पड़ता है। इसके विभिन्न वाक्यों में परिवर्तन की विधियाँ इस प्रकार हैं –

(1) नाम वाक्य में परिवर्तन (Alteration of Name Clause) – कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 13 (1) के अनुसार, कोई भी कम्पनी विशेष प्रस्ताव पारित करके तथा केन्द्रीय सरकार की अनुमति लेकर अपना नाम परिवर्तित कर सकती है। ऐसे परिवर्तन की सूचना विशेष प्रस्ताव की प्रतिलिपि के साथ कम्पनी रजिस्ट्रार को परिवर्तन के 15 दिन के अन्दर देनी चाहिये। रजिस्टार यह सूचना मिलने पर अपने रजिस्टर में कम्पनी का नया नाम अंकित कर लेता है व नये नाम से एक नया समामेलन प्रमाणपत्र जारी करेगा। उसके बाद ही कम्पनी का नया नाम प्रभावशाली होगा। यदि एक सार्वजनिक कम्पनी निजी कम्पनी में तथा निजी कम्पनी सार्वजनिक कम्पनी के रूप में परिवर्तित होने के कारण अपने नाम में ‘प्राइवेट’ शब्द जोड़ना या हटाना चाहती है तो ऐसी स्थिति में केन्द्रीय सरकार की अनुमति लेना आवश्यक नहीं है । यदि कम्पनी किसी भूल से किसी विद्यमान कम्पनी के रजिस्टर्ड नाम से या उससे मिलते-जुलते नाम से रजिस्टर्ड हो जाती है तो केन्द्र सरकार की अनुमति के पश्चात केवल एक साधारण प्रस्ताव पारित करके ही अपने नाम को परिवर्तित कर सकती है।

(2) रजिस्टर्ड कार्यालय वाक्य में परिवर्तन (Alteration of Registered Office Clause)- इस वाक्य में भी निम्न तीन प्रकार से परिवर्तन हो सकते हैं-

(i) एक ही शहर में एक स्थान से दूसरे स्थान पर।

(ii) एक ही राज्य के एक नगर से दूसरे नगर में। केवल सूचना देना ही विशेष प्रस्ताव पास और रजिस्ट्रार अपने राज्यों के रजिस्ट्रारों जायेगी और उस 

(iii) एक राज्य से दूसरे राज्य के किसी नगर में ।

प्रथम परिस्थिति में तो रजिस्ट्रार को परिवर्तन के 30 दिन के अन्दर केवल स. पर्याप्त होता है। दसरी परिस्थिति में, अंशधारियों की व्यापक सभा में एक विशेष । करके उसकी एक प्रतिलिपि रजिस्ट्रारों को 30 दिन के अन्दर भेजनी होगी और रजि यहाँ नया पता नोट कर लेगा। तीसरी परिस्थिति में, परिवर्तन की सूचना दोनों राज्यों के (जिस राज्य से कार्यालय को दूसरे राज्य में ले जाया जा रहा हो) को भेजा जाये राज्य का रजिस्ट्रार, जहाँ से कार्यालय स्थानान्तरित किया गया है, दूसरे राज्य के लिए उस कम्पनी से सम्बन्धित समस्त प्रपत्र भेज देगा। इस प्रकार के परिवर्तन के लिये की आज्ञा लेना भी आवश्यक है। 

उद्देश्य वाक्य में परिवर्तन (Alteration of Object Clause)-एक काम अपने उद्देश्य वाक्य में केवल निम्नांकित उद्देश्यों से ही परिवर्तन कर सकती है-

(i) व्यवसाय को अधिक मितव्ययिता तथा कार्यक्षमतापूर्वक चलाने हेतु।

(ii) नये या विकसित साधनों से अपने मूल उद्देश्य को प्राप्त करने हेतु ।

(iii) व्यवसाय का स्थानीय क्षेत्र बढ़ाने या बदलने के लिये। 

(iv) किसी ऐसे व्यवसाय को चलाने के लिये जो वर्तमान परिस्थितियों में पार्षद सीमानियम में दिये हुए उद्देश्यों के साथ सुविधापूर्वक तथा लाभप्रद रूप में चलाया जा सके। 

(v) पार्षद सीमानियम में निर्दिष्ट किसी उद्देश्य को प्रतिबन्धित या परित्याग करने के लिये। 

(vi) पूरे व्यवसाय या उसके किसी भाग को बेचने हेतु,

(vii) किसी अन्य कम्पनी या समामेलित संस्था से एकीकरण करने हेतु ।

उद्देश्य वाक्य में परिवर्तन करने के लिये निम्न विधि अपनायी जायेगी

(1) सबसे पहले इस आशय का एक विशेष प्रस्ताव पास किया जाना चाहिये। 

(2) परिवर्तन द्वारा रजिस्ट्रार कम्पनी के ऋणदाताओं और अन्य सभी ऐसे व्यक्तियों जिनके हित इस परिवर्तन से प्रभावित हो सकते हों, के हितों की सुरक्षा के विषय में स्वयं को आश्वस्त कर लेना चाहिये।

(iv) न्यायालय परिवर्तन की सम्पूर्णता या आंशिक रूप में या किन्हीं संशोधनों के साथ पुष्टि कर सकता है। 

(v) पष्टिकरण की आज्ञा मिल जाने पर रजिस्ट्रार से उसकी रजिस्ट्री करायी जायेगी। रजिस्ट्री न्यायालय से पुष्टिकरण की आज्ञा मिल जाने के 3 माह के अन्दर हो जाये । यदि यह अवधि बीत जाती है समस्त कार्यवाही पुनः नये सिरे से करनी पड़ेगी। 

(4) दायित्व वाक्य में परिवर्तन (Alteration of Liabities Clause) के सदस्यों का दायित्व सीमित है तो वह कम्पनी अधिनियम के अन्तर्गत असीमित नहीं किया यदि कम्पनी जा सकता। परन्तु कम्पनी अधिनियम के अनुसार यदि अन्तर्नियमों में व्यवस्था हो तो विशेष प्रस्ताव पारित करके संचालकों या प्रबन्ध अभिकर्ताओं, सचिवों, कोषाध्यक्ष या मैनेजर का दायित्व असीमित किया जा सकता है।

एक असीमित दायित्व वाली कम्पनी, कम्पनी विधान के अन्तर्गत सीमित दायित्व में परिवर्तन करके अपना पंजीयन करा सकती है। 

(5) पूँजी वाक्य में परिवर्तन(Alteration of Capital Clause)….एक कम्पनी अपनी अंश पूँजी में परिवर्तन निम्न दशाओं में से किसी भी रूप में कर सकती है-

Homepage – click here.        

Admin
Adminhttps://dreamlife24.com
Karan Saini Content Writer & SEO Analyst I am a skilled content writer and SEO analyst with a passion for crafting engaging, high-quality content that drives organic traffic. With expertise in SEO strategies and data-driven analysis, I ensure content performs optimally in search rankings, helping businesses grow their online presence.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments