New Five Yearly policy 2015-2020 Notes

New Five Yearly policy (2015&2020) नवीन पंचवर्षीय विदेश व्यापार नीति सरकार ने 1 अप्रैल, 2015 को विदेश व्यापार नीति (2015-20) की घोषणा की।  नई विदेश व्यापार नीति में निर्यातकों को मिलने वाले इन्सेंटिव में कई परिवर्तन किए गए हैं। वहीं ‘मेक इन इण्डिया’ कार्यक्रम को प्रोत्साहित करने के लिए एक्सपोर्ट प्रमोशन कैपिटल गुड्स स्कीम (ईपीसीजी) के … Read more

Balance of Trade

Meaning and Definition of Balance of Trade व्यापार-सन्तुलन का अर्थ एवं परिभाषा  सामान्य शब्दों में, व्यापार-सन्तुलन से आशय सम्बन्धित देशों के आयात और निर्यात के अन्तर से है। यदि एक देश में आयात अधिक तथा निर्यात कम हैं तो उसका व्यापार-सन्तुलन प्रतिकूल (Unfavourable) कहा जाता है। इसकी विपरीत स्थिति में व्यापार-सन्तुलन अनुकूल (Favourable) कहा जाता … Read more

Meaning of Social Injustice Notes

Meaning of Social Injustice notes सामाजिक अन्याय से आशय  किसी राष्ट्र के आर्थिक विकास में सबसे बड़ी बाधा ‘सामाजिक अन्याय’ है। अब यह समस्या – अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की हो चुकी है। शायद ही कोई ऐसा राष्ट्र होगा जिसमें कुछ-न-कुछ मात्रा में सामाजिक अन्याय न होता हो। विभिन्न अध्ययन यह बताते हैं कि विकसित देशों की तुलना … Read more

Regional Imbalance in India Notes

Regional Imbalance in India Notes भारत में क्षेत्रीय असन्तुलन  भारत के कुछ क्षेत्र-विशेष के राज्यों का त्वरित गति से विकास हुआ है। इसके विपरीत, कुछ राज्य विकास में अत्यधिक पिछड़े हुए हैं। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पाँच दशक बीत जाने के बाद भी क्षेत्रीय असन्तुलन बना हुआ है। यदि किसी देश में तुलनात्मक रूप से अधिक … Read more

Various Concepts Regarding Unemployment in India

Various Concepts Regarding Unemployment in India बेरोजगारी सम्बन्धी विभिन्न अवधारणाएँ  किसी अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी क्यों उत्पन्न होती है, इस प्रश्न पर समय अनेक विचारकों ने अपना मत प्रकट किया है। 1.प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों का विचार प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों की यह अवधारणा थी कि स्वतन्त्र प्रतिस्पर्धात्मक अर्थव्यः नियम की क्रियाशीलता (मल्य तन्त्र) के कारण साम्य की दशा में … Read more

Industrial Policy 1991 Notes

Industrial Policy 1991 Notes औद्योगिक नीति का आशय भारत की नई आर्थिक नीति की मुख्य विशेषता अर्थव्यवस्था का उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण करना रहा है। किसी भी देश का तीव्र गति से आर्थिक विकास करने के लिए उसका औद्योगीकरण आवश्यक है। औद्योगीकरण केवल उद्योग-धन्धों के विकास में ही सहायक नहीं होता है बल्कि उससे कृषि, … Read more