Thursday, November 21, 2024
Homeba 2nd year notesba 2nd year babur evalution notes

ba 2nd year babur evalution notes

ba 2nd year babur evalution notes

इतिहासकार के रूप में बाबर का मूल्यांकन 

(Babur’s Evaluation as a Historian)

‘बाबरनामा’ बाबर के संस्मरण एवं व्यक्तिगत निरीक्षण का परिणाम है; अत: इसके लिए किसी पूरक प्रमाण की आवश्यकता नहीं है। बाबर ने इस संस्मरण में अपनी बातों को प्रमाणित करने के लिए किसी ग्रन्थ का उल्लेख नहीं किया है, जो स्वाभाविक ही है। अपने संस्मरण में, जैसा कि वह बार-बार लिखता है वह सच्चाई पर जोर देता है। सच कहना उसकी आदत है; अत: यह मान लेने में संकोच नहीं होना चाहिए कि उसने निराधार बातें लिखी ही नहीं। यह सच है कि उसने पुर्तगालियों का उल्लेख नहीं किया। खानदेश, उड़ीसा, सिन्ध एवं कश्मीर के राज्यों का भी उल्लेख नहीं किया है परन्तु यह कोई दोष नहीं है। सम्भव है कि इनके बारे में लिखने का मौका ही न आया हो या अव्यवस्थित एवं संघर्षपूर्ण जीवन की परिस्थितियों में ये घटनाएँ भूल गई हों या जैसा उसने स्वयं लिखा है कि एक रात तूफान में उसके बहुत-से पन्ने ‘भीग गए, जिन्हें वह रात भर सुखाता रहा, तो सम्भव है कि कुछ पन्ने तेज हवा में उड़ भी गए हों। उसने अपने जीवन के अठारह वर्षों की घटनाओं का उल्लेख किया है। ये घटनाएँ भी कहीं-कहीं अधूरी हैं। सम्भव है कि कुछ घटनाएँ भाग-दौड़ में लिखी न जा सकी हों, क्योंकि उसने लिखा है कि बारह वर्षों से उसने ईद कभी एक स्थान पर नहीं मनाई अर्थात् वह यायावर की भाँति एक स्थान से दूसरे स्थान पर भटकता रहा। बहुत-सी बातें उसे ज्ञात न हो सकीं, क्योंकि युद्धरत जीवन में भारतीय जनसाधारण से उसका सम्पर्क ही न हो पाया था। मगर पर एक स्थान पर उसने लिखा है कि इसके पश्चात् यदि वर्णन करने योग्य कोई विषय हुआ तो मैं उसे समझूगा और यदि लिखने लायक हुआ तो अपने लेख में उसे शामिल भी करूँगा। इससे स्पष्ट है कि भारत में उसने जो लिखा, वही सब-कुछ नहीं था और भी बहुत-सी बातें ऐसी थीं, जिन्हें दुर्भाग्य से वह समझ नहीं सका। 

बाबर एक तुर्क था। उसे अपने देश पर गर्व था। वह विजेता था। स्वाभाविक है कि विजित देश-भारत उसे अच्छा न लगा हो, इसी कारण वह यहाँ के नगरों को कुरूप व बेतरतीब कहता है। यहाँ के लोगों को वह विज्ञान के प्रति अनभिज्ञ बताता है। उनमें व्यवहारकुशलता की कमी देखता है। उसका यह विवरण पक्षपातपूर्ण है। तुर्किस्तान जैसे बर्बर देश का निवासी आर्यावर्त व गंगा घाटी में बसने वाले लोगों में व्यवहारकुशलता की कमी देखे, यह तर्कसंगत नहीं लगता। फिरोजशाह तुगलक ने अशोक के स्तम्भों को देखा, महरौली के लौह-स्तम्भ को देखा। वह आश्चर्यचकित रह गया। सम्भव है बाबर को इन्हें देखने का मौका ही नहीं मिला हो और अगर देखा भी तो सम्भव है उसने अपने तोपखाने को ही विज्ञान की सबसे बड़ी उपलब्धि मान लिया हो जैसा कि उसने लिखा भी है कि भारतीय तोपखाने से अनभिज्ञ थे और और तोपखाने के बल पर ही राणा साँगा पर उसकी विजय हुई। 

बाबर ने अपने मद्यपान को छिपाने का प्रयास नहीं किया, परन्तु शैबानी खाँ के प्रति अपने व्यवहार का वर्णन अपनी आत्मकथा में नहीं किया है। उसने ‘बाबरनामा’ में अपनी बहन के अपने शत्रु को ब्याहे जाने की घटना का भी उल्लेख नहीं किया है।

यद्यपि कुछ कमियाँ हैं, तथापि इन दोषों के होते हुए भी बाबर इतिहास के सच्चे सत्यान्वेषी के रूप में उपस्थित होता है। कलम एवं तलवार का वह समान कुशलता से प्रयोग करता है। श्रीमती बेवरीज ने ठीक ही कहा है कि ‘बाबरनामा’ एक ऐसी अमूल्य पुस्तक है, जिसका महत्त्व किसी काल में कम नहीं हो सकता और इसकी तुलना सन्त ऑगस्टाइन, रूसो, गिब्बन तथा न्यूटन के संस्मरणों से की जा सकती है एवं एशिया में ऐसा ग्रन्थ यह अकेला ही है। 

Admin
Adminhttps://dreamlife24.com
Karan Saini Content Writer & SEO AnalystI am a skilled content writer and SEO analyst with a passion for crafting engaging, high-quality content that drives organic traffic. With expertise in SEO strategies and data-driven analysis, I ensure content performs optimally in search rankings, helping businesses grow their online presence.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments