Origin of Indian national congress

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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का उद्भव (Origin of Indian national congress)

इस पृष्ठभूमि में 1884 ई० में ‘थियोसोफिकल सोसायटी’ का सम्मेलन हुआ, जिसमें भारत के प्रमुख व्यक्तियों ने एक राष्ट्रीय संस्था की स्थापना को मूर्त रूप देने का प्रयत्न किया। दिसम्बर 1884 ई० में ‘इण्डियन नेशनल यूनियन’ नामक संस्था की स्थापना की गई। इस यूनियन ने यह निश्चय किया कि 1885 ई० के बड़े दिन के अवकाश में पूना में एक सभा का आयोजन किया जाए, जिसमें भारत के सभी क्षेत्रों के प्रतिनिधि हों। इस उद्देश्य से 1885 ई० में सर ह्यूम और सुरेन्द्रनाथ बनर्जी के हस्ताक्षर से एक घोषणा-पत्र जारी किया गया, जिसमें निम्नलिखित मुख्य बातों का उल्लेख किया गया

Origin of Indian national congress

(1) राष्ट्रहित के उद्देश्य से संलग्न व्यक्तियों में परस्पर सम्पर्क स्थापित करने का अवसर प्रदान करना।

(2) आगामी वर्षों में राजनीतिक कार्यक्रमों की रूपरेखा का निश्चय करना तथा उस पर वाद-विवाद करना।

(3) सम्मेलन द्वारा एक देशी संसद का बीजारोपण किया जाना, जो इस बात का उत्तर होगा कि भारतीय जनता अब किसी भी प्रकार की प्रतिनिधि संस्था चलाने के योग्य है।

(4) सम्मेलन का आयोजन पूना में किया जाए।

कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन तथा कांग्रेस के उद्देश्य-कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन 25 से 28 दिसम्बर, 1885 ई० तक पूना में होना था, लेकिन पूना में हैजा फैल जाने यह अधिवेशन बम्बई में ‘गोकुलदास तेजपाल संस्कृत पाठशाला’ के विशाल भवन में 28 कारण दिसम्बर, 1885 ई० को हुआ। देश के विभिन्न भागों के 72 प्रतिनिधियों ने इसमें भाग लिया। इनमें प्रमुख थे-दादाभाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, के० टी० तेलंग आदि। इस अधिवेशन का सभापतित्व व्योमेशचन्द्र बनर्जी ने किया, जिनके अनुसार भारत के इतिहास में ऐसा महत्त्वपूर्ण और विस्तृत प्रतिनिधित्वपूर्ण सम्मेलन नहीं हुआ था।

उन्होंने सभापति पद से बोलते हुए कांग्रेस के निम्नलिखित पाँच उद्देश्य बताए थे-

(1) देश के विभिन्न भागों के व्यक्तियों के बीच घनिष्ठता और मित्रता का सम्बन्ध स्थापित करना।

(2) जाति, धर्म तथा प्रान्तीयता के भेदभाव के बिना देशवासियों में राष्ट्रीय एकता की भावना का पोषण करना।

(3) सामाजिक प्रश्नों पर सम्पत्तियों का संग्रह करना।

(4) उन दिशाओं और साधनों का निर्णय करना जिनके द्वारा भारत के राजनीतिज्ञ देशहित । के कार्य करें।

(5) देश में जनमत का प्रशिक्षण एवं सुदृढ़ीकरण। इस प्रकार भारत की उस महान् राजनीतिक संस्था ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ का जन्म हुआ, जिसके नेतृत्व में 62 वर्ष तक भारत ने स्वतन्त्रता का संघर्ष किया और अन्ततः 15 अगस्त, 1947 ई० को भारत ने स्वतन्त्रता प्राप्त की।

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