Monday, December 30, 2024
Homeba 2nd year notesba 2nd year political condition of India on the eve of babur...

ba 2nd year political condition of India on the eve of babur Invasion notes

ba 2nd year political condition of India on the eve of babur Invasion notes

बाबर के आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक दशा

Political Condition of India on the Eve of Babur Invasion Notes – जिस समय मुगल शासक बाबर ने भारत पर आक्रमण किया था, उस समय भारत की राजनीतिक स्थिति बड़ी शोचनीय थी। बाबर के आक्रमण के समय भारत अनेक छोटे-छोटे राज्यों में विभक्त था और वे आपसी संघर्ष में व्यस्त रहते थे। इन राज्यों में कुछ हिन्दू राज्य और कुछ मुस्लिम राज्य थे। लेनपूल ने लिखा है-“दिल्ली का साम्राज्य छिन्न-भिन्न हो चुका था। बड़े-बड़े प्रान्तों के अपने शासक थे। छोटे जिले और यहाँ तक कि शहरों और किलों के भी अपने सरदार होते थे, जो अपने से किसी उच्चतर राजनीतिक शक्ति का प्रभुत्व नहीं मानते थे। राजा का आदेश सर्वोच्च नहीं रह गया था।”

नोट-यहाँ हम उत्तर भारत के साथ-साथ दक्षिण भारत की राजनीतिक दशा का भी वर्णन कर रहे हैं, जिससे आगे अध्ययन में सुविधा होगी। संक्षेप में बाबर के आक्रमण के समय भारत में निम्नलिखित स्वतन्त्र राज्य थे –

(1) दिल्ली का राज्य– जिस समय बाबर ने भारत पर आक्रमण किया था, उस समय दिल्ली राज्य का शासक इब्राहीम लोदी था। वह 1517 ई० में अपने पिता सिकन्दर लोदी की मृत्यु के बाद राजगद्दी पर बैठा था। उसके राज्य में दिल्ली, आगरा, दोआब तथा जौनपुर के कुछ प्रदेश ही सम्मिलित थे। उसने अपनी अदूरदर्शिता और अहंकार के कारण अपने अफगान अमीरों को अपना कट्टर विरोधी बना लिया था। अत: अनेक अफगान अमीरों ने विद्रोह करके अपनी स्वतन्त्र सत्ता स्थापित कर ली।

इस राज्य के सम्बन्ध में अरिस्कन (Eriskin) ने लिखा है—“दिल्ली का लोदी राज्य कुछ थोड़ी-सी स्वतन्त्र रियासतों तथा प्रान्तों द्वारा निर्मित था, जिसका शासन प्रबन्ध वंश-परम्परागत सरदारों, जमींदारों तथा दिल्ली द्वारा भेजे गए प्रतिनिधियों के अधीन था। वहाँ की जनता सूबेदार को ही अपना सर्वेसर्वा मानती थी, जो वहाँ का एकमात्र शासक था तथा जिसके हाथों में उन लोगों को सुखी करना तथा दु:खी करना था। 

(2) बंगाल-बंगाल फिरोज तुगलक के समय में स्वतन्त्र हो गया था। बाबर क समय वहाँ का स्वतन्त्र शासक नुसरतशाह था। उसने बाबर से सन्धि कर ली थी। वह एक योग्य शासक था। उसके समय में बंगाल में विशेष प्रगति हुई थी। 

(3) मालवा-बाबर के आक्रमण के समय मालवा का शासक महमूद द्वितीय था। उसके शासन काल में उसके प्रधानमंत्री मेदनीराय का प्रभाव बहुत अधिक बढ़ गया था। उसने अपनी इच्छा से अनेक राजपूतों को उच्च पदों पर नियुक्त किया। उसकी इस पक्षपातपूर्ण नीति से मुसलमान चिढ़ गए और उन्होंने गुजरात के शासक की सहायता से मेदनीराय के बढ़ते हुए प्रभाव को समाप्त कर दिया। लेकिन बाद में मेवाड़ के शासक राणा साँगा की सहायता से उसने पुन: अपनी शक्ति दृढ़ बना लो। अन्त में गुजरात के शासक बहादुरशाह ने 1531 ई० में इसे जीतकर अपने राज्य में मिला लिया। 

4. गुजरात-1401 ई० में गुजरात राज्य जफर खाँ की अधीनता में एक शक्तिशाली और स्वतन्त्र राज्य बन गया था। महमूद बेगड़ा (1458-1511 ई०) गुजरात के शक्तिशाली शासकों में से एक था। उसके बाद गुजरात की गद्दी पर मुजफ्फरशाह द्वितीय आसीन हुआ। वह इब्राहीम लोदी का समकालीन था। उसका पुत्र उसकी नीति से असन्तुष्ट होकर इब्राहीम लोदी के पास चला गया था, किन्तु थोड़े समय बाद वह वहाँ से जौनपुर चला गया। वहीं पर उसे पिता की मृत्यु का समाचार प्राप्त हुआ ओर वह गुजरात वापस लौट आया। वह बहादुरशाह के नाम से 1526 ई० में गद्दी पर बैठा और अपनी शक्ति का संगठन किया।

(5) मेवाड़-सोलहवीं शताब्दी के प्रारम्भ में मेवाड़ की गिनती राजस्थान के प्रमुख राज्यों में की जाती थी। बाबर के आक्रमण के समय मेवाड़ साम्राज्य की सम्पूर्ण जनता राणा सांगा को छत्रछाया में एक सूत्र में संगठित थी। राणा साँगा बड़ा साहसी, वीर और प्रबल योद्धा था। उसने अनेक बार मालवा, गुजरात के शासकों और इब्राहीम लोदी को पराजित किया था। तुर्कों के हाथों अपनों पराजय को राजपूत अभी भी स्वीकार नहीं कर पाए थे। राणा साँगा भारत में मुस्लिम राज्य समाप्त करके एक शक्तिशाली हिन्दू साम्राज्य की स्थापना करना चाहता था। कहा जाता है कि उसने ही बाबर को भारत पर आक्रमण के लिए निमन्त्रण भेजा था।

(6) खानदेश-खानदेश राज्य दक्षिण में ताप्ती नदी की घाटी में स्थित था। इस राज्य का संस्थापक राजा मलिक फारुकी था। गुजरात से इसका सदैव संघर्ष चलता रहता था। अन्त में दोनों के मध्य एक निर्णायक युद्ध हुआ और यह राज्य गुजरात के शासक के अधिकार में चला गया। भौगोलिक दूरी के कारण खानदेश का दिल्ली की राजनीति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। 

(7) बहमनी राज्य-इस राज्य की स्थापना हसन गंगू ने 1347 ई० में की थी। यह शक्तिशाली राज्य दक्षिण में स्थित था और बहुत उन्नत अवस्था में था। बाबर के आक्रमण के समय यह राज्य 5 भागों में बँट गया था—बरार, अहमदनगर, गोलकुण्डा, बीदर एवं वीजापुर। इस विभाजन से बहमनी राज्य की शक्ति बहुत कम हो गई थी। 

(8) विजयनगर राज्य-यह दक्षिण में हिन्दुओं का एक शक्तिशाली राज्य था। बाबर के आक्रमण के समय इस राज्य का शासक कृष्णदेव राय था। यह विजयनगर के सम्राटों में सबसे अधिक योग्य, विद्यानुरागी, सुसंस्कृत एवं प्रतिभाशाली शासक था। विजयनगर राज्य का भी उत्तरी भारत से कोई सम्बन्ध न था। 

(9) उड़ीसा-यह हिन्दू राज्य था। लेकिन इसका उत्तरी भारत की राजनीति से कोई सम्बन्ध न था। 

(10) पंजाब-बाबर के आक्रमण के समय पंजाब दिल्ली सल्तनत का केवल नाममात्र के लिए अंग था क्योंकि पंजाब का सूबेदार दौलत खाँ लोदी दिल्ली के शासक इब्राहीम लोदी का प्रबल प्रतिद्वन्द्वी था। दौलत खाँ लोदी दिल्ली सल्तनत पर अपना अधिकार करना चाहता था। इसीलिए उसने काबुल के शासक बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमन्त्रित किया था। 

भारत की तत्कालीन राजनीतिक दशा का वर्णन करते हुए बाबर ने अपनी आत्मकथा “तुजुक-ए-बाबरी’ में लिखा है- “हिन्दस्तान में पाँच मुस्लिम और दो हिन्दू राज्य हैं। पाँच । मुस्लिम राज्यों के सभी राजा महान और मुसलमान हैं तथा विशाल सेनाओं एवं प्रदेशों के स्वामी ह। भूमि और सेना की दृष्टि से काफिर राजाओं में विजयनगर का राजा महान शक्तिशाली दूसरा राणा साँगा है, जिसने अपनी वीरता और तलवार द्वारा बड़ी प्रसिद्धि प्राप्त की है।” 

Admin
Adminhttps://dreamlife24.com
Karan Saini Content Writer & SEO AnalystI am a skilled content writer and SEO analyst with a passion for crafting engaging, high-quality content that drives organic traffic. With expertise in SEO strategies and data-driven analysis, I ensure content performs optimally in search rankings, helping businesses grow their online presence.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments