bcom 3rd year final accounts

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संयुक्त पंजी कम्पनियों के अन्तिम खात 

(Final Accounts of Joint Stock Companies)

अन्य भारत सरकार की तरह प्रत्येक वर्ष के अन्त में कहानी द्वारा अन्तिम शार यार किये जारहे हैं जिन्हे हम आर्थिक खाले कहते हैं। रणार्थिक खातों के अन्तर्गत निहलालाखत कपने नियम 1956 की धारा 210 के अनुसार प्रत्येक कम्पनी के लिये अन्तिम कमी को दशमें खाने का रखना तथा वार्षिक खातों के प्रकाशन से सम्बन्धित महत्वपूर्ण नियस कम्पनी अधिनियम, 1956 की धारा 209 से 223 के अन्तर्गत व्यवस्थित हैं जिनक सहर विवरण निम्नलिखित है- . 

1.स्पनी द्वारा रखी जाने वाली लेखा पुस्तकें (Books of Accounts to be Kept by company) धारा 200 के अनुसार प्रत्येक कम्पनी को अपने पंजीकृत कार्यालय में आवश्यक लेड गुस्तके रखनी होगी। 

2-बार्षिक खातों की तैयारी (Preparation of Annual Accounts)-प्रत्येक कमनी अपने आर्थिक वर्षक चित्रा (Balance Sheet) अधिनियम की धारा 211 तथा अनुसूची Vाके भाग के प्रावधानों के अनुसार तथा लाभ-हानि विवरण धारा 211 तथा अनुसूची के भाग के प्रावधानों के अनुसार तैयार करेगी जो कम्पनी की स्थिति तथा आर्थिक वर्ष के लाभ-हानि का सच्चा एवं उचित’ (True and Fair) चित्र प्रस्तुत करेंगे। 

कम्पनी का चिट्ठा तथा लाभ-हानि का विवरण तैयार करने के लिए संशोधित अनुसूची तैयार की गई है जो 1.4.2011 को अथवा उसके पश्चात् प्रारम्भ होने वाले वित्तीय वर्ष (Financial Year) से लागू कर दी गई है। संशोधित अनुसूची Vा के अन्तर्गत चिट्टेका लम्बवत् (शीर्ष ) प्रारूप (Vertical Form) संशोधित अनुसूची के पहले भाग में दिया गया है। उक्त अनुसूची को कम्पनी अधिनियम, 2013 में अनुसूची । कर दिया गया है और इसे 1.4.2014 से लागू किया गया है। 

3. वार्षिक साधारण सभा के सम्मुख खातों को प्रस्तुत करना (Laying Accounts before Annual General Meeting)-धारा 210 के अनुसार कम्पनी को प्रत्येक वार्षिक साधारण सभा (जो धारा 166 के अन्तर्गत बुलाई गई है) में संचालक मण्डल को कम्पनी का आर्थिक चिट्ठा तथा लाभ-हानि विवरण प्रस्तुत करना आवश्यक है तथा गैर-व्यापारिक कम्पनियों की दशा में लाभ-हानि विवरण के स्थान पर आय-व्यय खाता (Income and Expenditure Account) प्रस्तुत करना होगा। कम्पनी का वित्तीय वर्ष 12 माह की अवधि से कम या अधिक का हो सकता है। यह अवधि 15 माह से अधिक नहीं हो सकती है, परन्तु रजिस्ट्रार की अनुमति से 18 माह तक हो सकती है। 

4. सहायक कम्पनियों में हित का स्पष्टीकरण (Disclosure of Interest in Subsidiary Company) यदि कम्पनी एक सूत्रधारी (Holding) कम्पनी है तो धारा 212 के अनुसार, उसके चिठे के साथ सहायक कम्पनी से सम्बन्धित प्रपत्र संलग्न किये जायेंगे। 

5- खातों का प्रमाणिकीकरण (Authentication of Accounts).धारा 215 के यो का प्रत्येक चिट्ठा तथा लाभ-हानि विवरण संचालक मण्डल की ओर से होना चाहिए। अन्तिम खाते इस प्रकार हस्ताक्षरित होने तथा अंकेक्षकों के समक्ष प्रतिवेदन हेतु प्रस्तुत किये जाने से पहले संचालक मण्डल द्वारा स्वीकार किये जायेंगे। 

6- अतिम खातों का प्रकाशन (Publication of Final Accounts)- कम्पनी के अतिय खातो में चिट्ठा, लाभ-हानि, विवरण, अंकेक्षकों का प्रतिवेदन, संचालकों का प्रतिवेदन तथा वे सभी प्रपत्र शामिल होते हैं, जो इनके साथ संलग्न किये जाते हैं। इन सभी एपको को सामान्यतः एक लघु पुस्तिका के रूप में छपवाकर, वार्षिक साधारण सभा की तिथि दिन पूर्व निम्नलिखित व्यक्तियों को भेजना होता है (अ) कम्पनी के प्रत्येक सदस्य को, (ब) प्रत्येक पंजीकृत ऋणपत्रधारी को, तथा (स) अन्य अधिकारी व्यक्तियों को। (धारा 218 तथा 219) 

7. धारा 220 के अनुसार चिट्ठा तथा लाभ-हानि विवरण को वार्षिक सभा में रखे जाने के बाद 30 दिन के अन्दर, उनको तीन प्रतियाँ रजिस्ट्रार के पास प्रस्तुत की जाती हैं। 

8. अन्तिम खातों के उद्देश्य (Objectives of Final Accounts) अन्तिम खातों के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं 

(अ) विवेको तथा युक्तिमूलक (Rational) विनियोग हेतु विनियोक्ताओं को वित्तीय सूचना प्रदान करना। 

(ब) व्यवसाय को सम्पत्तियों, दायित्वों तथा स्वामी कोष (Shareholders fund) की जानकारी प्रदान करना। 

(स) वित्तीय सूचनाओं को प्रयोग करने वाले बाह्य व्यक्तियों तथा स्वयं कम्पनी को उसको भावी तरल स्थिति एवं रोकड़ बहाव (Cash flow) के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान करना। 

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