Importance of Communication pdf Notes
सम्प्रेषण का महत्त्व
वर्तमान समय में व्यावसायिक क्षेत्र में सम्प्रेषण का उपयोग बढ़ता ही जा रहा है । उपयोगिता के साथ-साथ इसके महत्त्व में भी आशातीत वृद्धि हो रही है। वर्तमान समय में सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाना एक अनिवार्यता बन चुकी है। इस क्रिया के द्वारा व्यक्ति अपनी हर प्रकार की भावनाओं तथा सूचनाओं का आदान-प्रदान करता है। संगठनों के लगातार बढ़ते आकार के कारण वर्तमान समय में सम्प्रेषण का महत्त्व नित्यप्रति बढ़ता जा रहा है। सम्प्रेषण की कला में जो व्यक्ति दक्षता प्राप्त कर लेता है, वह विभिन्न क्षेत्रों में लाभदायक स्थिति को प्राप्त होता है।
मानव की विकास यात्रा के साथसाथ सम्प्रेषण का स्वरूप व आकार भी बदलता गया है और आज इसका अत्यन्त परिष्कृत रूप हमारे उपयोग के लिए उपलब्ध है। वास्तव में, व्यक्ति की आवश्यकताओं ने ही सम्प्रेषण की माँग को जन्म दिया है। प्राचीन सूचना सम्प्रेषण के माध्यमों – लकड़ी व पत्तों के प्रयोग से लेकर भाषा, लिपि, प्रिण्टिंग प्रेस, रेडियो, फिल्म, दूरभाष, टेलीविजन, सेटेलाइट या उपग्रह एवं मोबाइल की यात्रा आदि मनुष्य की सम्प्रेषण से सम्बन्धित असीमित आवश्यकताओं का ही परिणाम है, जिसमें जिजीविषा के उत्कर्ष का भी प्रकटन होता है।
सम्प्रेषण के तौर-तरीकों के अच्छे या बुरे होने का व्यक्ति की व्यावसायिक स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ता है। सम्प्रेषण की क्रिया ही किसी व्यक्ति को उच्च आयामों का स्पर्श करा सकती है तथा यही व्यक्ति की प्रतिष्ठा को अवनति की ओर भी धकेल सकती है। निम्नलिखित तथ्यों से सम्प्रेषण के महत्त्व का यथेष्ट ज्ञान हो जाता है –
1. क्रियाशीलता एवं समन्वय क्षमता का विकास (Development of Effectiveness and Coordination Skill) — सम्प्रेषण के बिना एकता व क्रियाशीलता का आना असम्भव है। सम्प्रेषण व्यक्तियों में सहयोग व समन्वय क्षमता का विकास करता है। आपस में सूचनाओं व विचारों का आदान-प्रदान व्यक्तियों की एकता व क्रियाशीलता को बढ़ाता है। – –
2. नेतृत्व गुण के विकास हेतु आवश्यक (Necessary for Leadership Qualities) — सम्प्रेषण- कुशलता नेतृत्व शक्ति की पूर्व अनिवार्य शर्त है। यह प्रभाव उत्पन्न करने वाली प्रक्रिया है। सम्प्रेषण में दक्ष एक प्रबन्धक अपने कर्मचारियों का वास्तविक नेता होता है। एक अच्छे सम्प्रेषण निकाय में व्यक्ति एक-दूसरे के निकट आते हैं और उनके आपसी विरोधाभास दूर हो जाते हैं।
3. उपयोगी सूचना प्राप्ति में सहायक ( Helpful in getting useful Information)—आधुनिक व्यवसाय प्रकृति से प्रतिस्पर्द्धात्मक है। प्रतिस्पर्द्धा की चुनौतियों से निपटने के लिए अधिक से अधिक सूचना प्राप्ति अनिवार्य है, अतः यह आवश्यक है कि उपयोगी सूचनाओं को प्राप्त कर न केवल उन्हें सम्बन्धित व्यक्ति तक पहुँचाया जाए बल्कि प्रतिस्पर्द्धा की चुनौतियों से निपटने के लिए सही कदम भी उठाया जाए। –
4. प्रबन्धन क्षमता बढ़ाने में सहायक (Helpful in increasing Management Skill) — समुचित प्रबन्धन के लिए त्वरित सम्प्रेषण तथा व्यक्तिगत निष्पादन अनिवार्य है क्योंकि सम्प्रेषण के द्वारा ही प्रबन्धक अपने लक्ष्यों, उद्देश्यों व दिशा-निर्देशों तथा रोजगार और उत्तरदायित्वों के निर्वहन की व्यवस्था के साथ-साथ अपने कर्मचारियों के व्यवहार का निरीक्षण व मूल्यांकन करता है। अत: आज सम्प्रेषण प्रबन्धन के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
5. जनसम्पर्क में सहायक (Helpful in Public-relation) — आज प्रत्येक व्यावसायिक संगठन के लिए यह आवश्यक है कि वह समाज में अपना स्थान बनाए। इसके लिए जनसम्पर्क एक आवश्यक शर्त है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु सम्प्रेषण महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
6. योजना निर्माण में सहायक (Helpful in Planning) – एक प्रभावशाली सम्प्रेषण सदैव संगठन की योजना के निर्माण व क्रियाशीलता में सहायक होता है। किसी योजना को क्रियाशील करने तथा योजना के निर्धारित लक्ष्यों व उद्देश्यों को प्राप्त करने में सम्प्रेषण महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सम्प्रेषण का प्रबन्धकों के लिए महत्त्व (Importance of Communication for Managers)
आज व्यावसायिक पर्यावरण बदल चुका है। प्रबन्धन की अवधारणा भी बदलती जा रही है, इसमें नित नए आयाम जुड़ते जा रहे हैं। चूँकि सम्प्रेषण में किसी व्यक्ति या समूह के विचारों एवं भावनाओं को अन्य व्यक्तियों या समूहों में पहुँचाने की क्षमता होती है, अतः प्रबन्धक के लिए यह अनिवार्य है कि वह समय पर उचित सूचनाओं (जैसे – नए उत्पाद के बाजार में आने से पूर्व वर्तमान बाजार व आवश्यक पूँजी की जानकारी) को संगृहीत करे तथा अपने उद्देश्यों में सफल हो । एक प्रबन्धक के लिए यह भी आवश्यक है कि वह नियन्त्रण के द्वारा अपने व्यवसाय को भली-भाँति संचालित करे। उत्पादन लक्ष्यों को प्राथमिकता के आधार पर निचले व्यावसायिक खण्डों में सम्प्रेषित किया जाए और उनके परिणामों को प्रबन्धक तक पहुँचाया जाए। एक अच्छे प्रबन्धक का गुण होता है कि वह सम्प्रेषण के माध्यम से उचित और अधिकाधिक जनसम्पर्क बनाए क्योंकि उचित जनसम्पर्क एक उपक्रम के लिए अत्यन्त आवश्यक है। वास्तव में, एक प्रबन्धक द्वारा समस्त प्रबन्धकीय कार्य सम्प्रेषण के माध्यम से ही सम्पन्न किए जाते हैं।