लॉर्ड कर्जन 1899-1905 (Lord curzon time period)
कुछ ऐसे लॉर्ड कर्जन एक परिश्रमी तथा योग्य प्रशासक था। वह 1899 ई० से 1905 ई० तक भारत में अंग्रेजी साम्राज्य का वायसराय रहा। उसने सुधार तो बहुत किए, परन्तु उसने भी सुधार किए जो भारतीय जनता को अरुचिकर प्रतीत हुए और उसकी लोकप्रियता में काफी गिरावट आ गई। उसके प्रमुख सुधार थे- पंजाब भूमि हस्तान्तरण अधिनियम, कृषि बैंक की स्थापना, सहकारी समितियों का निर्माण, कृषि विभाग की स्थापना, सिंचाई व्यवस्था, रेलवे का निर्माण, पुलिस सुधार आदि।
लॉर्ड कर्जन एक सफल प्रशासक था। उसने अंग्रेजी साम्राज्य के प्रभाव को देश तथा विदेश में स्थापित करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कार्य किया। परन्तु एक अच्छा प्रशासक होते हुए भी वह एक सफल राजनीतिज्ञ सिद्ध न हो सका और शीघ्र ही भारत में अलोकप्रिय हो गया। उसकी अलोकप्रियता का सबसे प्रमुख कारण यह था कि उसे भारतीयों तथा उनकी योग्यता पर लेशमात्र भी विश्वास नहीं था। वह भारतीयों से एक प्रकार से घृणा करता था, इसलिए भारतीयों में उसका अलोकप्रिय होना स्वाभाविक ही था। वह सार्वजनिक रूप से अंग्रेजी सभ्यता की श्रेष्ठता का प्रदर्शन करता था तथा उसका यह कदम भारतीयों के अहं के लिए चुनौती था। दूसरे, एक साम्राज्यवादी होने के कारण वह भारतीय जनता के विचारों को गम्भीरतापूर्वक नहीं लेता था। बंगाल के विभाजन के समय उसे जनता के विचारों का ज्ञान हो गया था, परन्तु फिर भी उसने उनकी लेशमात्र चिन्ता न की और परिणामस्वरूप वह जनता में अलोकप्रिय हो गया। तीसरे, लॉर्ड कर्जन अत्यन्त स्वेच्छाचारी और हठी व्यक्ति था। यह कहा जाता है कि उसमें दूरदर्शिता का अभाव था, इसलिए वह समय की गति को न पहचान सका। लोकमत की उपेक्षा करना उसकी एक बड़ी भूल थी, जिसके कारण वह एक अच्छा प्रशासक होते हुए भी एक अच्छा राजनीतिज्ञ सिद्ध न हो सका। वह एक योग्य व्यवस्थापक तो था, यद्यपि राजनीतिज्ञ के रूप में वह असफल रहा।
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