Modern Mans of Communication Bcom Notes
वर्तमान युग सूचना – क्रान्ति का युग है। बीसवीं शताब्दी के अन्तिम वर्षों में सम्प्रेषण के नए मशीनी यन्त्रों ने आकार ग्रहण किया । इक्कीसवीं शताब्दी के प्रथम दशक में हम इसको अधिक मुखरित होते हुए देख रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक तकनीक ने तो इस विधा को आकाश की ऊँचाइयों का स्पर्श करा दिया है। आज कम्प्यूटर, इण्टरनेट, उपग्रह द्वारा सम्प्रेषण जैसी क्रियाएँ अत्यन्त लोकप्रिय हो चुकी हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में मानव ने आशातीत सफलता अर्जित की है। फैक्स तथा ई-मेल से सूचना के साधन अधिकाधिक जनसंख्या को सुलभ होते जा रहे हैं। इक्कीसवीं शताब्दी में जन संचार ने नए सोपानों का स्पर्श किया है। आधुनिक संचार प्रणाली ने सम्प्रेषण को नए रूपाकार में अत्यन्त सुविधाजनक व लाभकारी बना दिया है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि यदि मुझे एक बार सेवा का अवसर दिया गया तो मैं
अपनी योग्यता दिखा सकूँगा। प्रार्थना पत्र के साथ प्रमाण-पत्रों की सत्यापित प्रतिलिपियाँ संलग्न हैं। –
संलग्न-पत्र — आठ
(प्रमाण-पत्रों की सत्यापित प्रतिलिपियाँ)
दिनांक : 1 अगस्त, 2017
प्रार्थी,
ह० ( ……………)
विवेक कुमार 56, डालमपाड़ा, मेरठ।
सम्प्रेषण के आधुनिक साधन
(Modern Means of Communication)
इक्कीसवीं शताब्दी के प्रथम दशक में सम्प्रेषण के साधन के रूप में विभिन्न यन्त्रों का आविष्कार हो चुका है। सम्प्रेषण के आधुनिक साधन निम्नलिखित हैं
(1) फैक्स,
(2) इलेक्ट्रॉनिक मेल अथवा ई-मेल,
(3) इण्टरनेट,
(4) सेल्युलर फोन्स ।
सम्प्रेषण के प्रमुख अत्याधुनिक साधनों की विस्तृत विवेचना इस प्रकार है-
1. फैक्स (Fax or Fasimile )
फैक्स सूचना प्रौद्योगिकी की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। इसमें ग्राफ, चार्ट, हस्तलिखित/मुद्रित सामग्री को टेलीफोन नेटवर्क के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान पर मूल प्रति की फोटो कॉपी के रूप में भेजा जाता है। इसके द्वारा कुछ ही सेकण्डों में टाइप किए हुए या हस्तलिखित सन्देश की अधिकाधिक मात्रा को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजना सम्भव होता है। अन्य शब्दों में, फैक्स के द्वारा मूल प्रति की छायाप्रति दूसरे छोर पर तत्काल उपलब्ध हो. सकती है।
यह प्रणाली अन्य प्रणालियों की तुलना में त्वरित व सस्ती है। इसका प्रयोग उस स्थिति में अत्यन्त उपयोगी व लाभप्रद होता है, जब प्रेषक व प्राप्तकर्ता के बीच की दूरी काफी अधिक हो ।
फैक्स सेवा एक त्वरित व अत्यन्त सस्ती प्रणाली है। इस फैक्स सेवा के जरिए हम अपने लिखित/मुद्रित दस्तावेजों को फोटोकॉपी रूप में सम्बन्धित व्यक्ति तक अविलम्ब प्रेषित कर सकते हैं। आज फैक्स सेवा दैनिक कार्य प्रणाली का एक प्रमुख अंग बन गई है, इसका प्रयोग स्वास्थ्य, चिकित्सा, व्यापार, कृषि, बैंकिंग, बीमा व शिक्षा इत्यादि क्षेत्रों में अधिकाधिक किया जा रहा है।
2. ई-मेल (e-Mail)
सूचना सम्प्रेषण के इस नवीनतम व उन्नत माध्यम से कम्प्यूटर के द्वारा हम घर बैठे विश्व के किसी भी हिस्से से सम्बद्ध व्यक्ति को सन्देश सम्प्रेषित कर सकते हैं। सन्देश प्राप्तकर्त्ता चाहे हमसे कितनी ही दूर क्यों न हो, हमारा सन्देश कुछ सेकण्डों/मिनटों में ही सम्बन्धित व्यक्ति तक पहुँच जाता है।
ई-मेल के उपयोग से कागज व समय की भी बचत होती है। इसका एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए सम्प्रेषण भी सुविधापूर्ण होता है। ई-मेल को सम्प्रेषित करने का माध्यम कम्प्यूटर होता है।
ई-मेल के द्वारा जिस सन्देश या पत्र को प्रेषित करना होता है, उसकी सामग्री वर्ड प्रोसेसर द्वारा पहले ही तैयार कर ली जाती है, तत्पश्चात् जिस ई-मेल पते पर यह पत्र प्रेषित करना होता है, वहाँ तक इसे टेलीफोन / केबिल नेटवर्क द्वारा प्रेषित कर दिया जाता है। पत्र या सन्देश की समस्त जानकारी सम्बन्धित व्यक्ति की कम्प्यूटर स्क्रीन / टी०वी० स्क्रीन पर प्रदर्शित हो जाती है। आवश्यकता होने पर सन्देश / पत्र कम्प्यूटर की स्मृति में संचित हो जाता है। सम्बन्धित व्यक्ति के लौटते ही कम्प्यूटर से सम्बन्धित एक घण्टी सूचना देगी कि कोई पत्र उसकी प्रतीक्षा में है।
यदि दो व्यक्तियों के इण्टरनेट आपस में कम्प्यूटर के माध्यम से जुड़े हों तो ई-मेल द्वारा एक-दूसरे तक सन्देश का प्रसारण बड़ी सुगमता से किया जा सकता है।
ई-मेल भेजने की विधि
(Method of Sending e-Mail)
किसी व्यक्ति को ई-मेल प्रेषित करने के लिए सर्वप्रथम विण्डो के ‘Start’ को ‘Click’ करके ‘Programme’ पर ‘Click’ करें। अब आपको कम्प्यूटर में विद्यमान समस्त कार्यक्रमों की सूचना स्पष्ट दिखाई देगी। इस सूची में ‘Outlook Express’ भी द्रष्टव्य होगा। ‘Click’ करने पर ‘Outlook Express’ चालू हो जाएगा। इसके ‘Screen’ पर एक ‘New Mail’ बॉक्स दिखाई देगा। इसे ‘Click’ कीजिए। ‘Click’ करने पर इसमें ‘New Messages’ नामक बॉक्स खुलेगा। आप इसमें ‘To’ के आगे के खण्ड में ‘e-mail’ पता अंकित कर दें। “To’ के नीचे सीसी वाला बॉक्स होता है। यदि आप अपने सन्देश को एक-से-अधिक व्यक्तियों तक भेजना चाहते हैं तो उन सभी व्यक्तियों का ‘e-mail’ का पता अल्पविराम (, ) से अलग करके यहाँ लिख दीजिए। इसके ठीक नीचे ‘Subject’ नामक बॉक्स है, यहाँ पर आप अपने सन्देश का मुख्य हिस्सा लिख दीजिए, तत्पश्चात् पास में ही एक बड़ी खाली जगह दिखेगी, इस खाली जगह पर आप अपना सन्देश लिख दीजिए। पूर्ण सन्देश लिखने के बाद ‘New Messages’ बॉक्स के बायीं ओर ऊपरी कोने में स्थित ‘Send’ नामक बॉक्स पर ‘Click’ कीजिए। यदि आप ‘Modem’ द्वारा इण्टरनेट से जुड़े हैं तो आपका सन्देश अविलम्ब प्रेषित हो जाएगा, अन्यथा आपका सन्देश ‘Out-Box’ नामक स्थान पर संचित हो जाएगा और जब आप ‘Internet’ से जुड़ेंगे तो यह सन्देश प्रेषित हो जाएगा।
ई-मेल प्राप्त करने की विधि
(Method of Receiving e-Mail)
ई-मेल प्राप्त करना अत्यन्त आसान व सरल है। यदि आपके कम्प्यूटर में ‘Outlook Express’ या कोई ई-मेल सॉफ्टवेयर लगा हो तो आप जैसे ही इण्टरनेट से जुड़ेंगे, यह सॉफ्टवेयर स्वतः ही आपकी डाक या सन्देश की जाँच करेगा। कोई सन्देश या डाक होने पर ‘Computer Screen’ के निचले हिस्से पर “Take Bar’ में एक-एक सन्देश चमक कर आपको सूचित करेगा। आप ‘Outlook Express’ को ‘Open’ कर अपने ‘e-mail’ सन्देश को पढ़ सकते हैं।
3. इण्टरनेट (Internet)
इण्टरनेट आधुनिक संचार क्रान्ति का महत्त्वपूर्ण पायदान बन चुका है। दूरस्थ स्थानों पर स्थापित कम्प्यूटर नेटवर्क को टेलीफोन लाइन की सहायता से जोड़कर अन्तर्राष्ट्रीय सम्प्रेषण को मूर्त रूप प्रदान किया जा चुका है।
इण्टरनेट की कार्यप्रणाली में निम्नलिखित भागों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है—
- मुख्य सूचना सम्प्रेषक,
- दूरभाष व मॉडम,
- क्षेत्रीय नेटवर्क अथवा वृहत् क्षेत्रीय नेटवर्क,
- उपग्रह सम्प्रेषण,
- केबिल नेटवर्क ।
वर्तमान समय में इण्टरनेट का नया स्वरूप ‘नेटऑनड केबिल’ के रूप में उजागर हुआ है। इसमें कम्पनियाँ ऑप्टिकल केबिल का जाल बिछाकर घरों में टी०वी० पर इण्टरनेट पेश कर रही हैं। इण्टरनेट के उपयोग के लिए ‘इण्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर’ का सदस्य बनना अत्यन्त आवश्यक होता है। भारतीय परिप्रेक्ष्य में केन्द्र सरकार का संस्थान BSNL इस कार्य को व्यावहारिक रूप प्रदान कर रहा है।
इण्टरनेट के प्रयोग से उत्पन्न समस्याएँ
(Problems created due to Use of Internet)
वर्तमान में इण्टरनेट बहुत लोकप्रिय है, परन्तु इसके प्रयोग से कुछ समस्याएँ भी उत्पन्न हुई हैं जो निम्नलिखित हैं-
(1) साइबर अपराधियों द्वारा कम्प्यूटरों में वाइरस प्रवाहित कर उनकी कार्यप्रणाली को पंगु बना दिया जाता है, जो कम्प्यूटर की क्षमता को अवरोधित कर देते हैं।
(2) अश्लीलता विश्वव्यापी समस्या बन चुकी है। इण्टरनेट के द्वारा इस अश्लीलता का प्रदर्शन काफी आसान हो गया है। इस समस्या का अभी तक कोई उचित निदान नहीं हो पाया है।
(3) बैंकिंग सम्बन्धी कार्यों में भी इण्टरनेट प्रणाली समस्याग्रस्त हो चुकी है। इसमें आपका पासवर्ड चुराकर आपके आँकड़ों व फाइलों का दुरुपयोग हो सकता है।
(4) इण्टरनेट पर असीमित ज्ञान व जानकारियाँ उपलब्ध हैं। लेकिन तकनीक के कुछ पायदान आज भी पिछड़े हुए तथा अविकसित अवस्था में हैं। इण्टरनेट की सूचनाओं के आदान-प्रदान का मार्ग अत्यन्त व्यस्त व संघनित होता है। केबिल, जो सूचना के प्रेषण का मार्ग प्रदान करता है, उसकी गुणवत्ता में सुधार नहीं आया है। अभी इसमें और सुधार की आवश्यकता है।
4. सेल्युलर फोन्स (Cellular Phones)
‘सेल्युलर’ शब्द अंग्रेजी के ‘सेल’ शब्द से बना है। ‘सेल’ (cell) का अर्थ है ‘कोशिका’। इन्हीं सेल या कोशिकाओं के माध्यम से सेल्युलर फोन्स कार्य करते हैं। इसे मोबाइल फोन (Mobile Phone) भी कहा जाता है क्योंकि यह एक छोटा सा यन्त्र है, जिसे जेब में रखकर आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है।
सेल्युलर फोन पद्धति मुख्यतः मौखिक सम्प्रेषण का एक प्रारूप है। इसका प्रयोग बड़ी आसानी से वाहनों में व देश के किसी भी हिस्से में, जहाँ इस संचार प्रणाली की सुविधा है, आसानी से किया जा सकता है । यह ‘समय – प्रबन्धन’ (Time Management) का एक प्रमुख यन्त्र है क्योंकि इसके माध्यम से एक व्यवसायी अपने कीमती समय को अधिक उत्पादक बना सकता है। जब संचार की सामान्य सम्प्रेषण प्रणालियाँ खराब हो जाती हैं, विशेष रूप से प्राकृतिक आपदा (बाढ़, भूकम्प के समय) की स्थिति में होती हैं, तो सेल्युलर फोन पद्धति एक वरदान के रूप में कार्य करती है ।
सेल्युलर फोन के लाभ
(Advantages of Cellular Phone)
(1) सेल्युलर फोन प्राकृतिक आपदा की स्थिति में, जब भूकम्प या बाढ़ के कारण हमारी तारों पर आधारित सामान्य संचार प्रणाली खराब हो जाती है, अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होता है।
(2) सेल्युलर फोन का प्रयोग यात्रा करते समय वाहन में या सुदूर क्षेत्रों में आसानी से किया जा सकता है।
(3) सेल्युलर फोन ‘समय – प्रबन्धन हेतु महत्त्वपूर्ण है। इसके द्वारा समय- प्रबन्धन कर अपनी उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है।
सेल्युलर फोन से हानियाँ/सीमाएँ
(Disadvantages/Limitations of Cellular Phones )
(1) सेल्युलर फोन के नम्बर अत्यधिक लम्बे होते हैं, विशेषकर भारतीय परिप्रेक्ष्य में सेल्युलर फोन का नम्बर कम से कम 10 अंकों का होता है, अतः इन्हें याद रखने / लिखने में असुविधा महसूस होती है।
(2) सेल्युलर फोन पर सम्प्रेषक व सम्प्रेषणग्राही दोनों को ही शुल्क देना होता है। इस कारण यह एक महँगा यन्त्र है । यद्यपि अब इस दिशा में कुछ नए परिवर्तन किए जा रहे हैं।
(3) सेल्युलर फोन का गलत प्रयोग (विशेष तौर पर वाहन चलाते समय ) किसी बड़ी दुर्घटना या अन्य असुविधाओं को जन्म देता है।
(4) सेल्युलर फोन अत्यन्त छोटा होता है, अतः इसके खो जाने का भय सदैव बना रहता है।