Relationship of Promoter with the Company

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Relationship of Promoter with the Company

प्रवर्तक का कम्पनी के साथ सम्बन्ध

एक प्रवर्तक का कम्पनी के साथ निम्न प्रकार का सम्बन्ध होता है –

(1) विश्वासाश्रित सम्बन्ध (Fiduciary Relation) कम्पनी के साथ प्रवर्तक । विश्वासाश्रित सम्बन्ध होते हैं। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि कम्पनी के प्रवर्तकों कम्पनी के साथ तथा उन व्यक्तियों के साथ, जिन्हें अंशधारी बनाने के लिए आकर्षित किया है है, विश्वासाश्रित सम्बन्ध होते हैं । कम्पनी और प्रवर्तक के बीच यह सम्बन्ध तब तक रहता है तक कम्पनी का निर्माण न हो जाये। 

(2) निर्माण बाद कार्यों के लिए उत्तरदायी न होना (Not to be Responsible for after Formation Functions)-प्रवर्तक कम्पनी के निर्माण, से सम्बन्धित समस्त कार्य सम्पन्न करता है और अनुबन्ध करता है लेकिन प्रवर्तक कम्पनी का निर्माण होने से पर्वत कार्यों के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होता है और निर्माण के बाद के कार्यों के लिए उत्तर नहीं होता है। 

(3) व्यक्ति रूप से उत्तरदायी न होना (No to be Responsible as Individuals) यदि प्रवर्तक ने ईमानदारी तथा सावधानी से कम्पनी के हित में कार्य किया है तो वह कम्पनी के प्रति हानियों के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी नहीं होता है। 

(4) समामेलन के बाद पद न होना (No Existence of Designation after Incorporation)-कम्पनी का समामेलन हो जाने के बाद प्रवर्तक पद समाप्त कर दिया जाता है क्योंकि कम्पनी की प्रबन्ध व्यवस्था अब संचालक करते हैं।

समामेलन के पूर्व के अनुबन्ध समानता

(Contracts of Pre-incoroporation)

समामेलन से पूर्व के अनुबन्ध से आशय ऐसे अनुबन्ध से लगाया जाता है जो समामेलन से पूर्व प्रवर्तकों एवं अन्य व्यक्तियों के बीच कम्पनी के लाभ के लिये किये जाते हैं। ऐसे अनुबन्धों से कम्पनी का कोई सम्बन्ध नहीं होता । इनके लिये प्रवर्तक व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होता है। इस प्रकार के अनुबन्धों से निम्नलिखित तथ्य उजागर होते हैं –

1. समामेलन के पूर्व के अनुबन्धों से कम्पनी बाध्य नहीं होती है।

2. समामेलन के बाद कम्पनी ऐसे अनुबन्धों की पुष्टि नहीं कर सकती है। 

3. ऐसे अनुबन्धों के आधार पर कम्पनी को तृतीय पक्षकार के विरुद्ध कोई अधिकार नहीं होता है। 

4. यदि अनुबन्ध समामेल की शर्तों के अनुकूल है तो कम्पनी के द्वारा या कम्पनी के विरुद्ध विशिष्ट निष्पत्ति प्राप्त की जा सकती है। यदि कम्पनी ने ऐसे अनुबन्ध को स्वीकार कर लिया। और इसकी सूचना दूसरे पक्षकार को दे दी है। 

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