Thursday, November 21, 2024
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ba 2nd year description of India notes

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भारत का भौगोलिक वर्णन का पता 

(Geographical Description of India)

बाबर लिखता है-“हिन्दुस्तान बड़ा ही आश्चर्यजनक देश है। यदि हम अपने देशों से इसकी तुलना करें तो यह दूसरा संसार लगेगा।…….हिन्दुस्तान के अधिकांश निवासी काफिर हैं। हिन्द वाले काफिर को हिन्दू कहते हैं। अधिकांश हिन्द्र पुनर्जन्म में विश्वास करते हैं……हिन्दुस्तान के नगरों एवं बस्तियों में कोई आकर्षण नहीं है….इसकी समस्त भूमि एवं समस्त नगर एक ही प्रकार के हैं।…….यहाँ के निवासी न तो रूपवान होते हैं और न सामाजिक व्यवहार में कुशल होते हैं।……हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा दोष यह है कि यहाँ जलधाराएँ नहीं हैं।” 

परन्तु बाबर ने स्वयं ही यहाँ की नदियाँ; यथा सिन्धु, चिनाब, रावी, व्याह (व्यास), सतलज, गंगा, गोमती, घग्घर, सरयू, चम्बल, गण्डक, बेतवा, बनास, सोन आदि का उल्लेख किया है। पर्वतों में उसने उत्तर में हिन्दुकुश और दक्षिण में अरावली का उल्लेख किया है। पशुओं में नीलगाय, गोनीगाय, जंगली भैंसा, गाय, बन्दर, हाथी का उल्लेख किया है। उसने कलहरा हिरन का शिकार भी किया था। फलों में आम, केला, इमली, महुआ, कटहल, नारियल, नारंगी, सन्तरा, जामुन तथा फूलों में केवड़ा, कनेर, नरगिस के बारे में लिखा है। 

बाबर ने भारत के मौसमों का भी उल्लेख किया है। उसके अनुसार हिन्दुस्तान पहली, दूसरी और तीसरी मौसमों में पड़ता है। इसका कोई भी भाग चौथे मौसम में नहीं है। इसकी हवाएँ, बरसातें भिन्न प्रकार की हैं। वह आगे लिखता है, “हिन्दुस्तान के प्रदेश और नगर अत्यन्त कुरूप हैं। इसके बागों के आसपास दीवारें नहीं हैं। इसका अधिकांश हिस्सा मैदान है। वर्षा ऋत में इसकी नदियाँ बड़े वेग से नीचे की ओर दौड़ती हैं, जिससे उनके किनारे गहरे हैं। ठण्ड और गर्मी के दिनों का मौसम आनन्ददायक होता है। जब वर्षा होने वाली होती है तो वायु बड़े जोर से चलती है और धूल इतनी उड़ती है कि कोई एक-दूसरे को नहीं देख सकता। इसको ये लोग आँधी कहते हैं।” केवल जलवायु लिखकर ही वह सन्तुष्ट नहीं होता, वह गणितज्ञ भी बन जाता है। वह लिखता है-“मैंने चारों ओर की दीवार को कदमों से नापने का आदेश दिया और ज्ञात हुआ कि उसकी परिधि दस हजार छह सौ कदम की है।” 

भारत की राजनीतिक दशा 

(Political Condition of India)

‘बाबरनामा’ से बाबर के आक्रमण के समय की भारत की राजनीतिक स्थिति पर भी प्रकाश पड़ता है। उसने लिखा है, “हिन्दुस्तान की राजधानी दिल्ली थी। सुल्तान शिहाबुद्दीन गोरी से लेकर सुल्तान फिरोजशाह के समय तक हिन्दुस्तान का एक विशाल भाग दिल्ली के सुल्तानों के अधिकार के अन्तर्गत रहा। जिस समय मैंने भारत विजय किया था से समय पाँच मुस्लिम राज्य अस्तित्त्व में थे-दिल्ली, गुजरात, मालवा, बहमनी राज्य एवं बंगाल, जहाँ नुसरतशाह शासन कर रहा था।” दिल्ली में अनुभवहीन और नवयुवक इब्राहीम लोदी शासक था। इस अफगान के अधीन भीरा से बिहार तक था। गुजरात में मुजफ्फरशाह की मृत्यु के बाद बहादुरशाह गद्दी पर बैठा। बाबर के शब्दों में—“दकिन में बहमनी था, किन्त आजकल दकिन के सुल्तानों की शक्ति और अधिकार छिन्न-भिन्न हो गए हैं। उनके समस्त राज्य पर उनके बड़े-बड़े अमीरों ने अधिकार जमा लिया है।” मालवा, जिसे मन्दू भी कहते हैं, का सुल्तान महमूद था। वह खिलजी सुल्तान कहलाता था, किन्तु राणा साँगा ने उसे पराजित करके उसके राज्य के अधिकांश भाग पर अधिकार जमा लिया था। बंगाल के राज्य में नुसरतशाह था। उसका पिता बंगाल का बादशाह रह चुका था। वह सैयद था। हिन्दू राज्यों में विस्तार एवं सेवा की अधिकता की दृष्टि से सबसे बड़ा विजयनगर का राज्य था। बाबर आगे लिखता है, “काफिर शासकों में देश और नेता की दृष्टि से सबसे अधिक शक्तिशाली विजयनगर का राज्य है।” कृष्णदेवराय वहीं का शासक था। बाबर के ही शब्दों में, “काफिरों में दूसरा बड़ा राजा राणा साँगा है। उसने अपने बल एवं प्रताप से गौरव प्राप्त किया है।” उसका मूल राज्य चित्तौड़ था। मालवा के सुल्तानों की पराजय के बाद उसने वहाँ के बहुत-से स्थानों को, जो सुल्तान के अधीन थे, अपने अधिकार में कर लिया था। उनमें रणथम्भौर, सारंगपुर, भिलसा और चन्देरी मुख्य थे। चन्देरी में साँगा का विश्वस्त मेदिनीराय सत्तारूढ़ था। बाबर ने इन राज्यों के जमा एवं खर्च तथा कर एवं बेगार आदि का भी उल्लेख किया है। 

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