Saturday, November 30, 2024
HomeBcom 2nd year cost accountingbcom 2nd year reconciliation of cost and financial accounts

bcom 2nd year reconciliation of cost and financial accounts

bcom 2nd year reconciliation of cost and financial accounts

लागत समाधान विवरण का अर्थ एवं परिभाषा

(Meaning and Definitions of Cost Reconciliation Statement)

इस पद्धति के अन्तर्गत लागत लेखों के वित्तीय लेखों से मिलान की आवश्यकता नहीं होती । परन्तु जिन संस्थाओं में लागत एवं वित्तीय मदों का लेखा करने हेतु अलग-अलग पुस्तकें रखी जाती हैं, वहाँ उनके मिलान की आवश्यकता अनुभव होना स्वाभाविक ही है।

लागत लेखे तथा वित्तीय लेखे दोनों एक ही मूल पत्रों के आधार पर तैयार किये जाते हैं । व्यापारिक लेखे यदि वास्तविकताएँ हैं तो लागत लेखे अनुमान हैं। एक सफल व्यापारी वही है जिसके अनुमान वास्तविकताओं के निकटतम हों। अनुमानों तथा वास्तविकताओं का परीक्षण करने से यह ज्ञात हो जाता है कि अनुमान में मुख्य रूप से अन्तर किन कारणों से रहा ? इन अनुमानों का परीक्षण करके तथा इन कमियों एवं सीमाओं को देखकर यह ज्ञात किया जा सकता है कि वास्तव में अनुमानों में त्रुटि कहाँ थी और भविष्य में इन अनुमानों की वास्तविकता के निकट लाने का प्रयास किया जाता है ? ।

लागत समाधान विवरण के सम्बन्ध में कुछ प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं–

एच० जे० व्हैल्डन (H.J. Wheldon) के शब्दों में, लागत लेखाविधि एक अधूरी प्रणाली ही रहती है जब तक कि वह वित्तीय लेखों से इस प्रकार ग्रन्थित नहीं की जाती है कि लागत लेखों और वित्तीय लेखों द्वारा दर्शाए गए परिणामों का मिलान किया जा सके।”

वाल्टर डब्ल्यू० बिग (Walter W. Bigg) के अनुसार, “यद्यपि बहुत-सी दशाओं में लागत लेखे और वित्तीय लेखे पूर्णतया अलग-अलग रखे जाते हैं लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि वे एक-दूसरे के मिलान करने के योग्य बनाए जाएँ । यदि ऐसा करना सम्भव नहीं है तो लागत लेखों की गणना पर बहुत कम विश्वास किया जाएगा।”

लागत समाधान विवरण की उपर्युक्त वर्णित परिभाषाओं के विश्लेषणात्मक विवेचन के आधार पर निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि लागत समाधान विवरण से लागत लेखों एवं वित्तीय लेखों के शुद्ध लाभ अथवा शुद्ध हानि में भिन्नता होने के कारणों की विस्तृत जानकारियाँ प्राप्त हो जाती हैं। 

शब्दों में -“जब तक ला है। यदि वित्तीय लेखा किया जा सकेगा।

सभाधान विवरण तैयार करने के उद्देश्य

(Objects of Preparing Reconciliation Statement)

  1. वित्तीय लेखों तथा लागत लेखों को तैयार करने के मुख्य रूप से निम्नलिखित उद्देश्य है..

2. अन्तर के कारणों का ज्ञान प्राप्त करना-समाधान विवरण तैयार करने से दोनों लेखो के परिणाम में अन्तर होने के कारणों का पता चल जाता है । कारणों का पता होने से दीर्घकाल में लागत लेखों को और अधिक शुद्ध बनाया जा सकता है।

लागत लेखों एवं वित्तीय लेखों द्वारा प्रदर्शित परिणामों में अन्तर के कारण – Reasons of Difference Between the Results of Cost Accounts

(1) उपरिव्ययों में अन्तर (Difference in direct Expenses)–

लागत लेखों में उपरिव्ययों का अवशोषण गत अनुभव के आधार पर अनुमानित मूल्यों पर किया जाता है जबकि वित्तीय लेखों में उपरिव्ययों की वास्तविक रकमें लिखी जाती हैं।

(2) प्रत्यक्ष व्ययों में अन्तर (Difference in direct Expenses)-

प्रत्यक्ष व्ययों के कारण दोनों पुस्तकों द्वारा प्रदर्शित परिणामों में अन्तर नहीं होता क्योंकि प्रत्यक्ष व्ययों का लेखा दोनों पुस्तकों में वास्तविक राशि पर ही किया जाता है।

(3) कुछ मदों का वित्तीय लेखों में सम्मिलित न किया जाना (Items excluded from financial Accounts)-

कुछ व्यय ऐसे होते हैं जिनका लेखा,लागत लेखों में तो किया जाता है परन्तु वित्तीय लेखों में उन्हें नहीं लिखा जाता, जिस कारण दोनों के परिणामों में अन्तर हो जाता

(4) कुछ मदों का लागत लेखों में सम्मिलित न होना (Items excluded from cost account)-

कुछ आय ऐसी होती हैं जो व्यापारिक लेखों में तो सम्मिलित की जाती हैं लेकिन लागत-लेखों में उन्हें नहीं दर्शाया जाता जैसे- प्राप्त कमीशन, पूँजीगत लाभ, आकस्मिक लाभ, बैंक से प्राप्त ब्याज आदि । लागत लेखों में इन आयों के सम्मिलित न करने से दोनों लेखों के परिणामों में अन्तर आ जाता है।

(5) ह्रास अपलिखित करने की विधियों में अन्तर (Difference in methods of charging Depreciations) –

हास अपलिखित करने की विभिन्न विधियाँ हैं और सामान्यतः प्रत्येक विधि द्वारा चार्ज किये जाने वाले ह्रास की राशि भी अलग-अलग आती है ।

(6) स्कन्ध के मूल्यांकन में अन्तर (Difference in stock valuation)-

वित्तीय लेखों में स्कन्ध का मूल्यांकन लागत मूल्य और बाजार मूल्य दोनों में से जो भी कम हो उस पर किया जाता है जबकि लागत लेखों में अन्तिम स्कन्ध का मूल्यांकन सदैव लागत पर किया जाता लागत समाधान विवरण तैयार करने की विधि (Procedure of Preparing Cost Reconciliation Statement) लागत समाधान विवरण तैयार करने के लिए लागत लेखों के लाभ को ही आधार मानकर लना चाहिए । इसके पश्चात निम्नलिखित कार्य करने चाहिए

(11) यदि लागत लेखों में कोई व्यय वित्तीय लेखों की अपेक्षा अधिक लिखा जाता है तो के आधिक्य को लागत लेखों के लाभ में जोड देना चाहिए। इसके विपरीत स्थिति के अन्तर कोलागत लेखों के लाभ में से घटा देना चाहिये।

(12) यदि लागत लेखों में वित्तीय लेखों की अपेक्षा बिक्री की मद अधिक लिख दी गई है तो उस आधिक्य को लागत लेखों के लाभ में से घटा देना चाहिए। इसके विपरीत स्थिति में अन्तर की राशि को लागत लेखों के लाभ में जोड़ देना चाहिए।

(13) यदि लागत लेखों में प्रारम्भिक स्कन्ध का मूल्य वित्तीय लेखों की अपेक्षा अधिक है तो अन्तर की राशि को लागत लेखों के लाभ में जोड़ देना चाहिए । इसके विपरीत स्थिति में अन्तर की राशि को लागत लेखों के लाभ में से घटा देना चाहिए।

(14) यदि लागत लेखों में अन्तिम स्कन्ध का मूल्य वित्तीय लेखों की अपेक्षा अधिक है तो अन्तर की राशि को लागत लेखों के लाभ में से घटा देना चाहिए । इसके विपरीत स्थिति में अन्तर की राशि को लागत लेखों के लाभ में जोड़ देना चाहिए।

(15) यदि कोई व्यय की मद लागत लेखों में नहीं दर्शाई गई है लेकिन वित्तीय लेखों में सम्मिलित कर ली गई है,तो उसे लागत लेखों में से घटा देना चाहिए। इसके विपरीत स्थिति में उसे लागत लेखों के लाभ में जोड़ देना चाहिए।

(16) यदि कोई आय की मद लागत लेखों में नहीं दर्शाई गई है लेकिन वित्तीय लेखों में सम्मिलित कर ली गई है,तो उसे लागत लेखों के लाभ में जोड़ देना चाहिए। इसके विपरीत स्थिति Cउससे लागल लेखों के लाभ में से घटा देना चाहिए।


Admin
Adminhttps://dreamlife24.com
Karan Saini Content Writer & SEO AnalystI am a skilled content writer and SEO analyst with a passion for crafting engaging, high-quality content that drives organic traffic. With expertise in SEO strategies and data-driven analysis, I ensure content performs optimally in search rankings, helping businesses grow their online presence.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments