Factors Fostering Globalization in India
भारत में विश्वव्यापीकरण को प्रभावित करने वाले घटक
भारत में विश्वव्यापीकरण को निम्नलिखित तत्त्व प्रभावित करते हैं-
1. प्रतिस्पर्द्धा – पूँजीवादी अर्थव्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण अंग प्रतिस्पर्द्धा के कारण ही कम्पनियों को विदेशों में नए बाजार ढूँढ़ने की आवश्यकता हुई इसी के परिणामस्वरूप उत्पादन तथा विक्रय की नई विधियों का विकास हुआ है। विदेशी कम्पनी की प्रतिस्पर्द्धा के डर से ही घरेलू कम्पनियाँ भी विश्व परिप्रेक्ष्य में अपने को स्थापित करने लगी हैं।
2. उदारवादी नीतियाँ – विश्वव्यापीकरण के विकास का मुख्य कारण ही पुनर्रचना की प्रक्रिया लागू होना है।
3. विभिन्न देशों में उपलब्ध उपरि ढाँचा, वितरण प्रणाली एवं विपणन दृष्टिकोण एक समान रूप वाले होते जाते हैं।
4. पूँजी बाजारों का सार्वभौमीकरण होता जा रहा है। प्रवाह करने वाली पूँजी की राशि में तेज गति से वृद्धि होती जा रही है जिसके कारण राष्ट्रीय स्तर के पूँजी बाजार विश्व स्तर के स्वरूप धारण करते जा रहे हैं।
भारत में भी विश्वव्यापीकरण की प्रक्रिया धीरे-धीरे गति पकड़ रही है। भारत में विश्वव्यापीकरण की प्रक्रिया 1991 में प्रारम्भ हुई ।
प्रश्न 18 – भूमण्डलीकरण से आप क्या समझते हैं?
What do you mean by Globalization ?
उत्तर – भूमण्डलीकरण या वैश्वीकरण का अर्थ है विश्व में चारों ओर अर्थव्यवस्थाओं का बढ़ता हुआ एकीकरण। यह एकीकरण मुख्य रूप से व्यापार तथा वित्तीय प्रवाहों के माध्यम से होता है। व्यापार तथा वित्तीय प्रभाव अर्थात् निवेश के साथ-साथ श्रमिकों तथा टेक्नोलॉजी का भी ‘आगमन अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार होता है। भूमण्डलीकरण के सांस्कृतिक, राजनीतिक एवं परिदृश्य सम्बन्धी आयाम भी हैं। किन्तु यहाँ हमने केवल आर्थिक बिन्दु पर ही केन्द्रीकरण किया है ।
अतः “विश्वव्यापीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें विश्व बाजारों के मध्य पारस्परिक निर्भरता उत्पन्न होती है और व्यापार देश की सीमाओं में प्रतिबन्धित न रहकर विश्व व्यापार में निहित तुलनात्मक लागत लाभ दशाओं का विदोहन करने की दशा में अग्रसर होता है । “