Friday, December 20, 2024
HomeBa 3rd Year Polictical Science notesMeaning of Administration in Hindi

Meaning of Administration in Hindi

प्रशासन का अर्थ एवं उत्तरदायित्व (Meaning and Responsibilities of Administration ) in hindi

Meaning of Administration in Hindi- राजनीति और प्रशासन के बीच व्याप्त अन्तर को समझने के लिए पहले यह जानना आवश्यक है कि प्रशासक और राजनीतिज्ञ करते क्या हैं या दोनों के क्या उत्तरदायित्व हैं। प्रशासन का सम्बन्ध सार्वजनिक कानून एवं नीतियों का विस्तृत एवं व्यवस्थित क्रियान्वयन है। वस्तुत: सरकारी कार्यों की विस्तृत योजनाएँ प्रशासन के क्षेत्र में नहीं आतीं। इन योजनाओं का विस्तृत क्रियान्वयन प्रशासनिक होता है।

जहाँ तक प्रशासन के रूप एवं कार्यों का सम्बन्ध है वे प्राय: सभी देशों में एक जैसे होते हैं चाहे देश की राजनीतिक व्यवस्था तानाशाही हो या लोकतन्त्रात्मक। यदि प्रशासन को लाभदायक एवं कार्यकुशल बनाना हो तो यह आवश्यक है कि उसका ढाँचा मजबूत होना चाहिए। इस दृष्टि से लोकतन्त्र एवं अलोकतन्त्रात्मक देशों के बीच किसी प्रकार का भेद नहीं पाया जाता। प्रशासन के रूप का उसके लक्ष्यों के साथ अपरिहार्य सम्बन्ध नहीं रहता। प्रशासन तो एक प्रकार की तकनीक है जिसके माध्यम से हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त करते हैं।

प्रशासन का प्रमुख उत्तरदायित्व राजनीतिज्ञों को नीति-निर्माण में सलाह, परामर्श तथा सुझाव देना है तथा इस नीति को लागू करने का उत्तरदायित्व प्रशासकों का बन जाता है। चूंकि प्रशासक व्यावसायिक होते हैं और कुशल एवं योग्य होते हैं। प्राय: इनको तकनीकी ज्ञान भी पर्याप्त मात्रा में होता है। राजनीतिक अथवा अन्य किसी भी दृष्टि से इनको पक्षपातपूर्ण नहीं कहा जा सकता। इनका पद स्थायी होता है तथा ये ईमानदार व निष्पक्ष होते हैं। प्रशासनिक अधिकारी अपने राजनीतिक प्रमुखों के साथ तीन प्रकार से सहयोग करते हैं। प्रथम, आवश्यक तथ्य प्रदान करके नीति के निर्माण में सहायता करते हैं; द्वितीय, निर्मित नीति के व्यवहार की समस्याओं का उल्लेख करते हैं; तृतीय, उन नीतियों पर एक विशेषज्ञ की ओर से स्वतन्त्र आलोचना प्रस्तुत करते हैं।

उत्तरदायी प्रशासन की विशेषताएँ उत्तरदायी प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

1. लोकमत का सम्मान-उत्तरदायी प्रशासन जनता का सेवक होता है न कि मालिक। प्रशासन जनता के लिए होता है। इस प्रकार प्रशासन को हमेशा जनमत का सम्मान करना चाहिए।

2. उत्तरदायित्व-उत्तरदायी प्रशासन को लोकमत के प्रति उत्तरदायी रहना चाहिए। लोक प्रशासन मूल रूप से एक मानवीय क्रिया है इसलिए प्रशासक को जनता सेवा करनी चाहिए। संसदीय संस्थाओं के माध्यम से प्रशासन को उत्तरदायी बनाया जाता है। ।
3. जनसहयोग-उत्तरदायी प्रशासन में जनता की सक्रिय भागीदारी अपेक्षित है। जनसहयोग के बिना उत्तरदायी प्रशासन सम्भव नहीं है। अत: प्रशासन को प्रशासनिक कार्यों में जनता का अधिकाधिक सहयोग प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। जनता के प्रतिनिधियों को सलाहकार समितियों एवं बोर्डों में स्थान प्रदान कर संगठित हित समूहों के माध्यम से सरकारी नीतियों पर प्रभाव डालने के अवसर प्रदान किए जाते हैं। भारत में पंचायती राज संस्थाओं में जनता की भागीदारी या सहयोग यह बताता है कि प्रशासन जनता के दृष्टिकोण को समझने के लिए इच्छुक है।

4. सहकारी प्रयास-उत्तरदायी प्रशासन में उद्यमों का संचालन सहकारी आधार पर ‘किया जाता है जिससे सरकारी इकाइयों तथा नागरिकों के व्यावसायिक एवं अन्य प्रकार के समुदाय सामान्य लक्ष्य को प्राप्त करने में एक साथ मिलकर कार्य करते हैं। भारत में कुछ स्थानों पर सहकारी संस्थाएँ अच्छा कार्य कर रही हैं। ऐसा करने से लोक प्रशासन यथार्थ में एक सहकारी उद्यम बन जाता है।

5. स्वेच्छाचारिता पर नियन्त्रण-उत्तरदायी निरंकुश, केन्द्रीकृत एवं स्वेच्छाचारी नहीं बन सकता। उसे अनेक संवैधानिक, न्यायिक तथा संस्थागत नियन्त्रणों में रहकर कार्य करना पड़ता है। उत्तरदायी प्रशासन में केवल राजनीतिक नियन्त्रण पर्याप्त नहीं है। इसलिए उसके ऊपर दूसरे प्रकार के प्रतिबन्धों की व्यवस्था भी की गई है। ये प्रतिबन्ध कानूनी, न्यायिक, संवैधानिक, विधायी तथा लोकमत के होते हैं।

6. विकेन्द्रीकरण-उत्तरदायित्व का निर्वाह करने वाली प्रशासनिक संस्था में विकेन्द्रीकरण आवश्यक है। सत्ता निचले स्तर तक हस्तान्तरित होनी चाहिए जिससे निर्णय जनता जन-प्रतिनिधियों को साथ लिया जा सके।
7. नेतृत्व का विशेष रूप—एक संगठन के अन्तर्गत मानवीय सम्बन्धों का रूप बहुत कुछ उसके नेतृत्व की प्रकृति पर निर्भर करता है। यद्यपि एक उत्तरदायी प्रशासन में भी पदसोपान, आदेश की एकता, समन्वय आदि संगठन के सिद्धान्तों की उतनी ही आवश्यकता होती है जितनी कि एक नौकरशाही युक्त संगठन में। अन्तर यह है कि नौकरशाही संगठन उन पर पूर्ण रूप से निर्भर हो जाता है, वहाँ उत्तरदायी प्रशासन में संगठन में नेतृत्व की प्रेरणा-शक्ति बन जाते हैं। इस संगठन में प्रबन्ध करने वाले अधिकारी केवल अपने अधीनस्थों पर अधिकार ही नहीं जमाते वरन् उनको समझा-बुझाकर कार्य करा लेते हैं। एक नौकरशाही व्यवस्था में प्रबन्धक के मन में अपने उच्च पद का ध्यान रहता है तथा वह अपने अधीनस्थों पर पूरा अधिकार स्थापित करने में प्रसन्नता का अनुभव करता है। जबकि उत्तरदायी प्रशासन में प्रबन्धक अपने अधीनस्थों के साथ समानतापूर्वक एवं सहयोगियों जैसा व्यवहार करेगा जिसके फलस्वरूप उनके हृदय में हीनता एवं असमानता की भावना उत्पन्न नहीं होगी। इस प्रकार संगठन को जब लोकतन्त्रात्मक नेतृत्व प्राप्त होगा तो उसमें सक्रियता, रचनात्मकता, कुशलता एवं एकता का अनुभव हो जाता है तथा उसके सभी कर्मचारी एक रूप से संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

Admin
Adminhttps://dreamlife24.com
Karan Saini Content Writer & SEO AnalystI am a skilled content writer and SEO analyst with a passion for crafting engaging, high-quality content that drives organic traffic. With expertise in SEO strategies and data-driven analysis, I ensure content performs optimally in search rankings, helping businesses grow their online presence.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments