Organization and Management of the IMF
मुद्रा कोष का संगठन तथा प्रबन्ध
अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का प्रबन्ध एवं संगठन निम्न प्रकार है-
1.प्रशासक मण्डल
2.कार्यकारी संचालक
3.प्रबन्ध संचालक
1. प्रशासक मण्डल – कोष के सभी सदस्य देश अपना-अपना एक प्रतिनिधि मुद्रा कोश के प्रशासक मण्डल में नियुक्त करते हैं। प्रशासक मण्डल में एक गवर्नर तथा एक स्थानापन्न गवर्नर होता है। प्रत्येक प्रशासक का कार्यकाल 5 वर्ष होता है, इसकी पुनर्नियुक्ति भी की जा सकती है। प्रशासक मण्डल की एक वार्षिक सभा सितम्बर या अक्टूबर में होती है जिसमें कोष का 30 अप्रैल तक स्थिति विवरण और ब्योरा प्रस्तुत किया जाता है। वार्षिक सभा के अतिरिक्त मुद्रा कोष के कोई 5 सदस्य अथवा जिन सदस्यों को कुल मताधिकार का 25% प्राप्त है, प्रशासक मण्डल की सभा बुला सकते हैं। प्रशासक मण्डल मुद्रा कोष की सर्वोच्च संस्था है और कोष की सम्पूर्ण शक्तियाँ इसी मण्डल के अधीन हैं।
2. कार्यकारी संचालक मण्डल—इस मण्डल का प्रमुख कार्य सामान्य प्रशासन तथा दिन-प्रतिदिन का कार्य करना है । मुद्रा कोष के प्रबन्धक मण्डल में इस समय 22 सदस्य हैं। इनमें से 6 स्थायी सदस्य सबसे अधिक कोटा वाले देशों द्वारा, 5 सदस्य सुदूरपूर्व और प्रशान्त महासागर के देशों द्वारा, 5 सदस्य मध्यपूर्व के देशों द्वारा एवं शेष सदस्य क्रमशः अफ्रीका, लैटिन अमेरिकी और यूरोपीय देशों द्वारा मनोनीत किए जाते हैं। प्रबन्धक मण्डल का प्रत्येक मनोनीत या चुना हुआ सदस्य एक स्थानापन्न सदस्य की नियुक्ति कर सकता है। ये सदस्य कोष के नियमित कार्य संचालन के लिए उत्तरदायी होते हैं। प्रबन्धक मण्डल के सदस्यों को मुद्रा कोष से वेतन मिलता है। ★
3. प्रबन्ध संचालक – मुद्रा कोष के दैनिक कार्य संचालन के लिए एक प्रबन्ध संचालक की नियुक्ति कार्यकारी संचालक मण्डल द्वारा की जाती है। प्रबन्ध संचालक प्रबन्ध मण्डल की सभाओं की अध्यक्षता करता है, किन्तु वह अपना मत केवल निर्णायक मत के रूप में ही दे सकता है।
मताधिकार – मुद्रा कोष के सामान्य निर्णय बहुमत के आधार पर होते हैं। बहुमत सदस्य संख्या द्वारा न होकर कुल मताधिकार द्वारा निर्धारित होता है | मताधिकार के अन्तर्गत प्रत्येक सदस्य को 250 + 1 मत प्रति लाख SDRs ( अभ्यंश) का अधिकार प्राप्त होता है। भारत का मताधिकार उसके 30,555 लाख SDR अभ्यंश के अनुसार 250 + 30,555 = 30,805 (मत) था।