Saturday, November 30, 2024

Shannan and Weaver Model

शैनन व वीवर प्रतिमान / मॉडल (Shannan and Weaver Model)

इस प्रतिमान का प्रतिपादन सन् 1949 में शैनन व डब्ल्यू० वीवर के द्वारा किया गया था। इस संचार मॉडल का प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक संचार के लिए हुआ। इस प्रतिमान में सन्देश से पहले स्रोत महत्त्वपूर्ण होता है। यदि सन्देश का स्रोत प्रामाणिक व ज्ञात है तभी इसे आगे बढ़ाया जा सकता है। इसके अन्तर्गत सन्देश को ट्रांसमीटर में पहुँचाया जाता है तथा ट्रांसमीटर से सिग्नल के माध्यम से चिह्नों में परिवर्तित कर सन्देश के रूप में प्राप्तकर्त्ता तक पहुँचाया जाता है। इस प्रतिमान में गोपनीयता बनी रहती है और यह एक वैज्ञानिक प्रतिमान है जो एक निश्चित प्रणाली के अधीन क्रियाशील रहता है, परन्तु इसमें आन्तरिक व बाह्य दोनों प्रकार से सिग्नल प्रभावित होते हैं, जैसे मौसम, बिजली, मशीन आदि से यह स्वतन्त्र नहीं है। इस मॉडल के प्रमुख तत्त्व निम्नलिखित हैं-

शैनन ने यह जाना कि संचार सदैव शोर के सामने होता है जो सन्देश के भेजने में रुकावट उत्पन्न करता है। इस शोर को ‘संकेत’ शोर के नाम से भी पुकारा जाता है। यह एक भौतिक विघ्न अथवा रुकावट है जो भौतिक संकेत के साथ होती है।

शैनन सिद्धान्त में एक मुख्य समस्या यह थी कि आप ‘शोर’ को अत्यधिक प्रभावी ढंग से कैसे दूर कर सकते हैं? कितनी व्यवस्था की आवश्यकता होगी प्राप्तकर्ता सफलतापूर्वक संकेतों में से सन्देश का पुनः निर्माण कर सके ?

वीवर (Weaver) के अनुसार इस मॉडल में संचार में तीन स्तरों पर समस्याएँ आती हैं। A स्तर की तकनीकी समस्या है अर्थात् किस प्रकार से संचार के चिह्नों को स्थानान्तरित किया जा सकता है | B स्तर की समस्या है समझने की अर्थात् किस प्रकार सारांश में चिह्नों से वांछित अर्थ प्राप्त होते हैं। C स्तर की समस्या प्रभावीकरण की है अर्थात् किस प्रकार प्रभावी ढंग से प्राप्त अर्थ वांछित तरीके में प्रभावी रूप में कार्य करता है। वीवर के अनुसार शैनन का सिद्धान्त A स्तर पर आधारित है, फिर भी B और C स्तर की बाधाएँ इसमें पायी जाती हैं।

शोर की विचारधारा इस तथ्य को प्रकट करती है कि जो जल्दी में कहा गया है, उसका क्या अर्थ है और जो जल्दी में सुना गया है उसका अर्थ उसी रूप में समझा नहीं गया। “मैं जानता हूँ, जो कुछ मैंने कहा है आपने विश्वास किया और समझा किन्तु मुझे यह सुनिश्चित नहीं कि जो कुछ आपने सुना उसे आप उस वास्तविकता में समझ गए हैं जिस वास्तविकता में मैंने कहा।”

समझने के शोर के विभिन्न प्रकार हैं। यह इस तथ्य से उत्पन्न होती है कि हम जो कुछ पहले से सोचे हुए हैं उसे धारण किए रहते हैं। हम आमतौर पर सन्देशों को असावधानी से भेजते हैं। इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि समझने का शोर उस समय भी उत्पन्न हो सकता है जब भौतिक माध्यम में सन्देश भेजने की क्रिया पूर्ण रूप में ठीक हो।

Admin
Adminhttps://dreamlife24.com
Karan Saini Content Writer & SEO AnalystI am a skilled content writer and SEO analyst with a passion for crafting engaging, high-quality content that drives organic traffic. With expertise in SEO strategies and data-driven analysis, I ensure content performs optimally in search rankings, helping businesses grow their online presence.
RELATED ARTICLES

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments