What is Group Discussion ? – Bcom Notes
जब एक से अधिक व्यक्तियों की राय के अनुसार कोई निर्णय लेना होता है तब ऐसे सभी व्यक्तियों को आपस में बैठकर उस विषय पर वार्तालाप करना होता है। इस वार्तालाप को सामूहिक परिचर्चा का नाम दिया जा सकता है। विस्तृत अर्थ के रूप में सामूहिक परिचर्चा सामूहिक निर्णय लेने की ऐसी तकनीकी है जिससे अधिकांश अथवा सभी लोग उस निर्णय के पक्ष में हों।
सामूहिक परिचर्चा व्यक्तियों के बीच विचारों के आदान-प्रदान और सम्प्रेषण शैली की एक परीक्षा है। इसके अन्तर्गत प्रतिभागियों के समूह को एक निश्चित समय अवधि के बीच परिचर्चा के लिए एक विषय दे दिया जाता है। प्रत्येक प्रतिभागी परिचर्चा के दौरान प्रस्तुति के आधार पर उसके सम्प्रेषण कौशल की जाँच की जाती है। असल में इस परिचर्चा के माध्यम से कोई व्यक्ति सामूहिक स्थिति में किस प्रकार दूसरों से विचार विनिमय कर पाता है इसी क्षमता को आँका जाता है।
क्या होती है सामूहिक परिचर्चा (What is Group Discussion)
प्रबन्धन संस्थानों तथा नौकरियों की तलाश कर रहे विद्यार्थियों की सम्प्रेषणशीलता या कम्यूनिकेटिव स्किल की जाँच करने के लिए सामूहिक परिचर्चा एक सशक्त माध्यम है। आज के प्रतियोगितात्मक एवं प्रतिस्पर्द्धात्मक युग में विभिन्न सहयोगियों के बीच सम्प्रेषणकला के महत्त्व को समझते हुए विभिन्न प्रबन्धन संस्थान तथा चयनकर्त्ता लिखित परीक्षा और व्यक्तिगत साक्षात्कार के अलावा सामूहिक परिचर्चा परीक्षण का सहारा लेकर योग्य आवेदनकर्त्ताओं का चयन करते हैं। प्राय: देखा जाता है कि प्रबन्धन संस्थान सम्पूर्ण चयन प्रक्रिया में सामूहिक परिचर्चा तथा व्यक्तिगत साक्षात्कार को लगभग पैंतीस प्रतिशत या इससे भी अधिक अंक का महत्त्व देते हैं। आजकल की प्रतियोगी परीक्षाओं में सामूहिक परिचर्चा का योगदान और भागीदारी बढ़ती ही जा रही है।
सामूहिक निर्णय के लाभ
(Advantages of Group Discussion )
सामूहिक निर्णय के लाभों का विवेचन निम्न प्रकार से किया जा सकता है –
(1) समूह के पास एक व्यक्ति की अपेक्षा ज्ञान और सूचनाओं का विशाल भण्डार होता है।
(2) समूह से विचारों की विविधता का लाभ मिलता है ।
(3) समूह हमेशा नवीन विचारों का पक्षधर होता है।
(4) सामूहिक निर्णय किसी भी समाधान की सहमति को बढ़ाते हैं।
(5) व्यक्तिगत निर्णय स्वैच्छिक होते हैं इसलिए सर्वग्राही नहीं हो सकते।
(6) सामूहिक निर्णयों में विशेषज्ञों की राय का लाभ मिलता है।
(7) सामूहिक निर्णय कर्मचारियों के हित में होते हैं जबकि व्यक्तिगत निर्णय सबके हितों को ध्यान में नहीं रखता है।
(8) क्योंकि सामूहिक निर्णय सार्वजनिक निर्णयों को ध्यान में रखते हैं अतः प्रबन्ध एवं अधीनस्थों के मध्य सम्बन्ध मधुर बने रहते हैं। अतः सामूहिक निर्णय संगठन को शक्तिशाली बनाते हैं।
सामूहिक निर्णयन के दोष
(Disadvantages of Group Decision)
सामूहिक निर्णयन में निम्न दोष विद्यमान हैं-
(1) सामूहिक निर्णयन में समय अधिक लगता है। समूह के सभी व्यक्तियों की राय एवं विचारधाराएँ अलग-अलग होती हैं अतः एकाकी निर्णय लेने में समय अधिक लगता है।
(2)सामूहिक निर्णयन में समूह के सदस्यों पर उत्तरदायित्व को नियत करना कठिन होता है क्योंकि निर्णय किस व्यक्ति की विचारधारा के परिणाम हैं यह जानना एक कठिन कार्य है।
(3) कभी-कभी सामूहिक निर्णय भी कुछ महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों की विचारधारा को प्रदर्शित करते हैं जिससे समूह में भिन्नता पैदा हो जाती है।
(4) व्यक्तिगत निर्णयों की अपेक्षा सामूहिक निर्णय अक्सर असन्तुष्ट समझौते के परिणाम होते हैं।
(5) कभी-कभी अनावश्यक परिचर्चा समूह के उद्देश्य को धूमिल कर देती है।
(6) समय, धन एवं शक्ति के दृष्टिकोण से सामूहिक निर्णय महँगे होते हैं। सामूहिक निर्णयन के दोषों के अध्ययन के पश्चात् कहा जा सकता है कि ‘सामूहिक निर्णय सदैव अच्छे नहीं होते।’।