Thursday, November 21, 2024
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bcom 2nd year Assessment of Individual notes

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एक व्यक्ति की कुल आय की गणना

Computation of total income of an individual

 एक व्यक्ति की कुल आय (कर-योग्य आय) की गणना करने से पूर्व सर्वप्रथम निवास-स्थान निर्धारित किया जाता है। एक निवासी व्यक्ति को अपनी समस्त आयों (भार में अर्जित, उदित एवं प्राप्त अथवा भारत के बाहर अर्जित, उदित एवं प्राप्त) पर कर देना होता है जबकि असाधारण निवासी व्यक्ति को भारत में अर्जित, उदित एवं प्राप्त समस्त आयों पर तथा भारत के बाहर अर्जित केवल उन्हीं आयों पर कर देना होता है जो भारत में स्थापित पेशे से अथवा भारत से नियन्त्रित व्यापार से उदय हुई हैं। भारत के बाहर की शेष आयों पर वह कर देने को दायी नहीं है। अ-निवासी व्यक्ति को केवल भारत में अर्जित, उदित एवं प्राप्त आयों पर ही कर देना होता है, भारत के बाहर अर्जित आयों पर नहीं। अतः सर्वप्रथम, यह निश्चित किया जाता है, कि उसकी किन-किन स्रोतों या शीर्षको की आयों पर उसे कर देना है । तदुपरान्त, उसकी उन स्रोतों एवं शीर्षको की आयों की गणना की जाती है । एक व्यक्ति की कुल आय (कर-योग्य आय) को गणना करने के निम्न चरण हैं

(1) सर्वप्रथम, उसकी आय के प्रत्येक शीर्षक (Head) की शुद्ध कर-योग्य आय की गणना की जाती है। प्रत्येक शीर्षक की समस्त कटौतियों का चार्ट इस अध्याय में आगे दिया • गया है । (प्रत्येक शीर्षक की कर-योग्य आय की गणना विधि पिछले अध्यायों में समझाई गई

‘(2) तदुपरान्त, करदाता व्यक्ति की आय में जुड़ने वाली अन्य व्यक्तियों की आयें,मानी गई आयें (deemed income), जैसे -अस्पष्ट (unexplained) रोकड़, विनियोग एंव सम्पत्ति, अवर्णित (undisclosed) रोकड़, विनियोग एवं सम्पत्ति तथा अस्पष्ट व्यय आदि का एक व्यक्ति की कर-योग्य आय में जोड़ा जाता है। ये आयें ‘अन्य साधनों से आय’ शीर्षक में कर-योग्य होती हैं। अन्य व्यक्तियों की निम्न आयें करदाता व्यक्ति की कर-योग्य आय म. जोड़ी जाती हैं– … (अ) सम्पत्ति के हस्तान्तरण के बिना आय का हस्तान्तरण।

(ब) सम्पत्ति के खण्डनीय हस्तान्तरण पर हस्तान्तरिती को प्राप्त आय । (स) जीवन-साथी को देय वेतन, कमीशन, फीस, या अन्य पारिश्रमिक के रूप में आय।। (द) जीवन साथी को हस्तान्तरित सम्पत्ति की आय। . (य) अवयस्क बच्चे की 1,500 रु.से अधिक सभी आयें। … (र) पुत्र-वधु को हस्तान्तरित सम्पत्तियों से आय।

(ल) जीवन-साथी के लाभार्थ किसी व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के संघ को हस्तान्तरित सम्पत्ति से आय।

-वध के लाभार्थ किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के संघ को हस्तान्तरित सम्पत्ति से

आय।

… (3) करदाता व्यक्ति की

दाता व्यक्ति की अन्य संस्थाओं की सदस्यता से प्राप्त आय को भी उसकी कुल ना जाता है, जैसे- व्यक्तियों के समुदाय या जनमण्डल की सदस्यता से आय,

सदस्यता से आय, सहकारी समिति की सदस्यता से आय आदि । किन्तु हिन्दू ” परिवार की सदस्यता एवं फर्म की साझेदारी से प्राप्त आय क्रमशः धारा 10(2) .

1012/A के अन्तर्गत कर-मुक्त होती है, अतः कुल आय में नहीं जोड़ी जायेगी। प्रकार एक घरेलू कम्पनी से प्राप्त लाभांश, जो कम्पनी द्वारा 31 मई, 1997 के बाद जित वितरित या भुगतान किये गये है, यूनिट ट्रस्ट ऑफ इण्डिया के यूनिटों अथवा सहयोगी गोषों Mutual Funds) के यूनिटों से आय धारा 10(33) के अन्तर्गत कर-मुक्त होते हैं और करदाता के कुल आय में नहीं जोड़े जाते। bcom 2nd year Assessment of Individual notes

(4) एक व्यक्ति करदाता की कुल आय में कुछ ऐसी आय भी शामिल की जाती हैं जिन पर आय-कर नहीं लगता किन्तु कर की गणना हेतु ‘ ही कुल आय में शामिल की जाती हैं। ये आयें निम्न हैं :- (अ) व्यक्तियों के संघ या जनमंडल में लाभ का भाग ‘व्यापार अथवा पेशे से आय’ शीर्षक के अन्तगर्त शामिल किया जाता है।

(ब) 5,000 रु० से अधिक का कृषि आय, बशर्ते करदाता की गैर-कृषि आय (कर-मुक्त सीमा) से अधिक हो। यह आय अन्य साधनों से आय शीर्षक में शामिल की जाती है। 2,50,000 रुपये; 3,00,000 रुपये अथवा 5,00,000 रुपये जैसी भी स्थिति हो। bcom 2nd year Assessment of Individual notes

(इन आयों पर आय करकी छूट (rebate) मिलती है।) · (5) यदि करदाता को किसी शीर्षक में हानि है, अथवा पिछली निर्धारित हानि की बकाया है अथवा अशोधित ह्रास अथवा, अशोधित छूट आदि आगे लाये गये हैं तो इन्हें भी नियमानुसार (हानियों की पूर्ति एवं उनकी आगे ले जाने’) वाले अध्याय 2 में उल्लेखित) करदाता की आय से पूरित (set off) कर देते हैं। . अब जो राशि शेष बची है वह ‘सकल कुल आय ‘ (Gross total income) है।

__(6) इस सकल कुल आय’ में से धारा 80 की कटौतियाँ (जिन्हे करदाता पाने का अधिकारी ९) पटान के बाद जो भी आय है वही ‘कुल आय’ (Total income) अथवा ‘कर-योग्य आय’ ( Taxable income) है।

(7) इस कर-योग्य आय को 10 रु. के गुणन में पूर्णाकित (Rounded off) किया ह। पूर्णांकित करने के लिए यदि आय का कोई अंश 5 रु.या उससे अधिक है तो उस bcom 2nd year Assessment of Individual notes

. अक (इकाई अंक) शून्य (zero) कर देते हैं और उससे पूर्व अंक (दहाई अंक) को 1 से बढ़ा देते हैं, जैसे- 10,675 का 10,

त है, जैसे- 10,675 को 10,680 एवं 1,02,578 को 1,02,580 कर देंगे।

इकाई का अंक 5 से कम है तो वह उस अंक को छोड़ देते है और उसके स्थान म लिख देते हैं, जैसे- 10,674 को 10.670 एवं 1,02,574 को 1,02,270

कर दिया जायेगा।

(Advance Tax) यह कर पेशगी के रूप में किया जाता है, इसलिए इसे कर का अग्रिम भुगतान या चुकाओं जैसे कमाओं कहा जाता है। इसे चुकाओं जैसे कमाओं इसलिए कहा जाता है क्योंकि करदाता जैसे-जैसे आय कमाता है वैसे-वैसे उस पर कर देता जाता है । यह कर चालू वर्ष की आय पर

उसी वर्ष में दे दिया जाता है। ___अग्रिम कर की गणना-देय अग्रिम कर की रकम की गणना निम्न प्रकार की जाती है

(i) करदाता की सम्भावित कुल आय, ब्याज ज्ञात की जाएगी।

(ii) इस आय पर चालू वित्तीय वर्ष के लिए अग्रिम कर के लिए निर्धारित दरों के कर को गणना की जाएगी।

(iii) बिन्दु (ii) में निर्धारित कर की राशि से कर छूट की राशि घटाई जाएगी। (iv) बिन्दु (iii) में शेष कर अधिभार जोड़ा जाएगा।

(१) बिन्दु (iii) में शेष एवं बिन्दु (iv) में निर्धारित अधिभार के योग पर 2% की दर से शिक्षा उपकर जोड़ा जाएगा।

(vi) विन्दु (v) में निर्धारित राशि में से उद्गम स्थान पर काटे गए कर की राशि घटाई जाएगी।

(i) यदि (vi) में शेष, 10,000रु. या अधिक है तो अग्रिम कर का भुगतान करना

टि करदाता की कृषि आय है—यदि करदाता की कृषि आय है तो कुल आय पर कर । सामना करते समय इसे ध्यान में रखा जाएगा। इसका विस्तार से विवरण कृषि आय की दशा में कर की गणना विधि के अन्तर्गत दिया गया है।

कर निर्धारण अधिकारी द्वारा कर की गणना यदि किसी करदाता पर नियमित कर निधागा पहले कभी हो चुका है और उसने अग्रिम कर नहीं चुकाया है, तो कर निर्धारण अधिकारी ठसे अग्रिम कर चुकाने का आदेश दे सकता है । ऐसा आदेश सम्बन्धित गत वर्ष में 1 माचे से पहले ही दिया जा सकता है । कर निर्धारण अधिकारी अधिक होगी उस पर कर की गणना करके अग्रिम कर चुकाने का आदेश

सबसे अन्त में हुए नियमित कर निर्धारण में निर्धारित कुल आय अथवा

बाद में किसी वर्ष का करदाता ने आय का विवरण दाखिल कर दिया है तो उसमें दिखाई गई कुल आय। Cscanned witlean सीतम निर्णय कर-निर्धारण क्या है ? यह किन परिस्थितियों

तिफत करताता के पास क्या उपाय हैं?

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