Monday, December 30, 2024
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Amalgamation and Reconstruction

एकीकरण और पुननिर्माण

(Amalgamation and Reconstruction)

आज के प्रतिस्पर्धात्मक युग में केवल वे ही व्यवसाय प्रगति कर सकते है जो साधन सम्पन्न एवं आर्थिक दृष्टि से सक्षम हैं। परिणामस्वरूप व्यावसायिक संयोजन (Business Alliances) अधिक लोकप्रिय हो रहे हैं। व्यावसायिक संयोजन का आशय दो या दो से अधिक उपक्रमों कम्पनियों के सम्मिलित रूप में एक साथ कार्य करने से है। व्यावसायिक संयोजनों का उद्देश्य प्रतिस्पर्धात्मक शक्ति में वृद्धि करना, संसाधनों का समूहीकरण तथा बड़े आकार की बचतों का लाभ प्राप्त करना है। 1 अप्रैल, 1995 से पूर्व कम्पनियों के व्यावसायिक संयोजन (Business Alliances) हेतु एकीकरण (Amalgamation) एवं संविलयन (Absorption) दो भिन्न शब्दों का प्रयोग किया जाता था एवं इन शब्दों का निम्नलिखित अर्थ- Amalgamation and Reconstruction

1. एकीकरण (Amalgamation)—जब दो या दो से अधिक, समान प्रकृति का व्यवसाय करने वाली कम्पनियाँ अपने व्यवसायों (अपनी कम्पनियों) का समापन करके उनके स्थान पर आपस में मिलकर एक नई कम्पनी बनाती है तो उसे एकीकरण कहा जाता है। इस प्रकार के संयोजन में विद्यमान कम्पनियाँ अपना व्यवसाय नई एकीकृत कम्पनी को बेचती हैं अर्थात् विद्यमान कम्पनियाँ विक्रेता होती हैं, जबकि नई कम्पनी एकीकरण में शामिल होने वाली सभी कम्पनियो का व्यवसाय क्रय कर लेती है अर्थात् नई कम्पनी क्रेता होती है।

2. संविलयन (Absorption) जब एक विद्यमान कम्पनी दूसरी विद्यमान कम्पनी या कम्पनियों का व्यवसाय क्रय करके अपने में मिला लेती है तो इस प्रकार के संयोजन को संविलयन (अथवा अन्तर्लयन अथवा अवशोषण) कहते हैं। इसमें (1) कोई नई कम्पनी नहीं स्थापित होती है, (2) अवशोषित (Absorbed) कम्पनियों का अस्तित्व समाप्त हो जाता है तथा

(3) अवशोषक कम्पनी (Absorbing company) का अस्तित्व बना रहता है। इस प्रकार के संयोजन में अवशोषक कम्पनी एक क्रेता होती है तथा अवशोषित कम्पनी या कम्पनियों विक्रेता होती हैं।

विलय में एकीकरण एवं संविलयन दोनो हैं।

1 अप्रैल, 1995 से इन्स्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट्स द्वारा जारी किये गये लेखांकन प्रमाप-14 के द्वारा एकीकरण एवं संविलयन का अन्तर समाप्त कर दिया गया है एवं दोनों स्थितियों को एक ही शब्द ‘एकीकरण’ में समाहित कर दिया गया है।

एकीकरण के लिये लेखांकन (Accounting for Amalgamation)

the institute आफ चार्टर्ड एकाउटेन्ट्स आफ इन्डिया ने अक्टूबर, 1994 में एकीकरण के लेखांकन के लिये लेखा-प्रमाप 14 (Accounting Standard 14or AS-14) जारी किया है तथा इसे 1-4-1995 या उसके बाद प्रारम्भ होने वाली लेखावधियों के लिये प्रभावी बनाया गया है। यह प्रमाप आदेशात्मक प्रकृति (Mandatory natrure) का है। यह प्रमाप एकीकरण के लिये लेखाकरण की प्रक्रिया तथा उसके परिणास्वरूप प्राप्त किसी ख्याति अथवा संचितियों (Reserves) के व्यवहार को निर्देशित करता है। इस प्रमाप के अनुसार एकीकरण किसी एक कम्पनी के किसी दूसरी कम्पनी में विलय द्वारा किया जा सकता है अथवा दो या अधिक कम्पनियों के विलय द्वारा एक नई कम्पनी का गठन करके किया जा सकता है। परम्परागत तौर पर प्रथम स्थिति अवशोषण (Absorption) कहलाती थी तथा द्वितीय स्थिति एकीकरण (Amalgamation)। किन्तु इस प्रमाप के जारी किये जाने के पश्चात् लेखाकरण के उद्देश्य से अब अवशोषण को एकीकरण में ही शामिल कर लिया गया है। इस प्रमाप के अन्तर्गत अवशोषित (Absorbed) या समामेलित (Amalgamating) अर्थात् विक्रेता कम्पनी के लिये हस्तान्तरक कम्पनी (Transferor company) तथा अवशोषक (Absorbing) या समामेलित (Amalgamated) अर्थात् क्रेता कम्पनी के लिये हस्तान्तरी कम्पनी (Transferee company) शब्दों का प्रयोग किया गया है। अत: हस्तान्तरक कम्पनी का आशय एक ऐसी कम्पनी से है जिसे किसी दूसरी कम्पनी में समामेलित किया जाता है तथा हस्तान्तरी कम्पनी का आशय किसी ऐसी कम्पनी से होता है जिसमें कोई हस्तान्तरक कम्पनी या कम्पनियाँ समामेलित की जाती हैं। Amalgamation and Reconstruction

नये आशय के अनुसार एकीकरण की विशेषताएँ

1. एक या एक से अधिक कम्पनियों का समापन अनिवार्य है।

2. नई कम्पनी का निर्माण हो सकता है अथवा नहीं भी हो सकता है। प्रयुक्त शब्दावली

1. हस्तान्तरक कम्पनी (Transferor Company) हस्तान्तरक कम्पनी का आशय विक्रेता कम्पनी से है।

2. हस्तान्तरी कम्पनी (Transferee Company) हस्तान्तर कम्पनी का आशय क्रेता कम्पनी से है।

एकीकरण के प्रकार (Kinds of Amalgamation)- लेखांकन के उद्देश्य से लेखा प्रमाप-14(AS-14) में एकीकरण को दो भागों में विभाजित किया गया है

1. विलय(Merger) की प्रकृति में एकीकरण,

2. क्रय की प्रकृति में एकीकरण।

विलय की प्रकृति में एकीकरण

(Amalgamation in the Nature of Merger)

विलय की प्रकृति में एकीकरण उस समय माना जाता है जब लेखांकन प्रमाप-14 (AS-14) में वर्णित निम्नलिखित पाँच शतें पूरी होती हों

(i) एकीकरण के पश्चात् हस्तान्तरक कम्पनी (विक्रेता कम्पनीकी सभी सम्पतियाँ तथा दायित्व हस्तान्तरी कम्पनी (क्रेता कम्पनी) की सम्पतियाँ एवं दायित्व बन जाते हैं। (ii) एकीकरण से पूर्व यदि हस्तान्तरी (क्रेता) कम्पनी अथवा उसकी सहायक कम्पनी अथवा उनके मनोनीतों के पास हस्तान्तरक (विक्रेता) कम्पनी के समता अंश हों तो ऐसे धारित

समता अंशों के अतिरिक्त अन्य समता अंशों के अंकित (Face) मूल्य के कम से कम 90% समता अंशधारी एकीकरण के बाद हस्तान्तरी (क्रेता) कम्पनी के समता अंशधारी बन जातें हैं।

(iii) हस्तान्तरक (विक्रेता) कम्पनी के समता अंशधारी यदि (क्रेता) कम्पनी के समता अंशधारी बनने के लिए सहमत हो जाते हैं तो हस्तान्तरी (क्रेता) कम्पनी क्रय प्रतिफल का भुगतान अपने समता अंशों के निर्गमन द्वारा करती है, सिवाय आंशिक (Fractional) अंशों के लिए दी जाने वाली नकदी के।

(iv) एकीकरण के पश्चात् हस्तान्तरी (क्रेता) कम्पनी द्वारा हस्तान्तरक विक्रेता)कम्पनी के व्यवसाय को चलाने का इरादा हो।

(v) हस्तान्तरी (क्रेता) कम्पनी के वित्तीय विवरणों में हस्तान्तरक (विक्रेता) कम्पनी की सम्पत्ति तथा दायित्वों को समामेलित किये जाने के बाद हस्तान्तरक (विक्रेता) कम्पनी की सम्पत्ति एवं दायित्वों के पुस्तक मूल्य में समायोजन न किया जाए अर्थात् उन्हें पुस्तक मूल्य पर ही दिखाया जाये (लेखांकन नीतियों में असमानता होने पर समायोजन किया जा सकता है।)

स्पष्ट है कि विलय के स्वभाव के एकीकरण में हस्तान्तरक कम्पनी एवं हस्तान्तरी कम्पनी दोनों का अस्तित्व बना रहता है और दोनों कम्पनियों का व्यवसाय भी बना रहता है। Amalgamation and Reconstruction

क्रय की प्रकृति में एकीकरण (Amalgamation in the Nature of Purchase)

यदि विलय की प्रकृति में एकीकरण में वर्णित पाँच शों में से कोई एक अथवा एक से अधिक शर्ते पूरी नहीं होती हैं तो एकीकरण क्रय की प्रकृति का माना जायेगा। इस प्रकार के एकीकरण में आपसी समझौते के अनुसार अथवा किसी उचित तरीके से निर्धारित किये गये क्रय प्रतिफल का भुगतान अंशों में या ऋणपत्रों में या नकदी में या इनमें से किसी एक या सभी रूप में किया जा सकता है। ऐसी दशा में हस्तान्तरक कम्पनी की सम्पत्तियों एवं दायित्वों को हस्तान्तरी कम्पनी द्वारा ले लिया जाता है जिसके फलस्वरूप हस्तान्तक कम्पनी का व्यवसाय बन्द हो जाता है और हस्तान्तरक कम्पनी के अंशधारी हस्तान्तरी कम्पनी की पूँजी में कोई हित नहीं रखते हैं।

एकीकरण के उद्देश्य एवं लाभ

(Objectives and Merits of Amalgamation)

एकीकरण के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं

1.प्रतिस्पर्धा में कमी-कम्पनियों के मध्य होने वाली आपसी प्रतिस्पर्धा कम हो जाती ।

2. स्थायी प्रकृति के व्ययों में कमी-प्रबन्धकीय तथा स्थापना सम्बन्धी व्ययों में कमी ॥ जाती है।

3.बड़े पैमाने के लाभ-व्यवसाय का आकार बढ़ जाने से बड़े पैमाने पर उत्पादन के शागत व्यय कम हो जाते हैं तथा लाभ अधिक होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

4. नियन्त्रण कार्य सरल-एकीकरण के द्वारा नियन्त्रण कार्य सरल हो जाता है तथा व्यवसाय की नीति में एकरूपता आ जाती है ।

5. एकाधिकार के लाभ-आपसी प्रतिस्पर्धा समाप्त हो जाने पर एकाधिकार के लाभ प्राप्त हो जाते हैं।

6. अधिक पूंजी-एकीकरण द्वारा पूँजी का आकार बढ़ जाता हैं

Amalgamation and Reconstruction

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