Bcom 1st Year Assumptions of the Law of Diminishing Returns notes

Bcom 1st Year Assumptions of the Law of Diminishing Returns notes

उत्पत्ति हास नियम की मान्यताएँ

अन्य आर्थिक नियमों की भाँति यह नियम भी कुछ मान्यताओं पर आधारित है। इस नियम की मान्यताएँ निम्नवत् हैं –

(1) उत्पादन के साधनों के मिलने के अनुपात में इच्छानुसार परिवर्तन किया जा सकता है। 

(2) इस नियम की क्रियाशीलता के लिए आवश्यक है कि यदि अन्य साधन परिवर्तनशील रहें तो एक साधन अवश्य ही स्थिर रहे अथवा यदि एक साधन परिवर्तनशील हो तो अन्य साधन स्थिर रहें। 

(3) परिवर्तनशील साधन की सब इकाइयाँ समरूप होनी चाहिए। 

(4) यह नियम तभी क्रियाशील होगा जबकि परिवर्तनशील साधन की पर्याप्त इकाइयों का प्रयोग हो चुका हो। 

(5) यह मान लिया जाता है कि नियम की क्रियाशीलता की अवधि में उत्पादन की विधि, कला तथा प्रविधि (टेक्नोलॉजी) में कोई परिवर्तन नहीं होता। 

(6) इस नियम का सम्बन्ध वस्तु की भौतिक मात्रा से होता है, उसके मूल्य से नहीं। 

(7) यदि लागत की दृष्टि से इस नियम की सत्यता पर विचार करना हो तो इस नियम अर्थात् लागत वृद्धि नियम के क्रियाशील होने के लिए आवश्यक है कि सभी साधनों (स्थिर तथा परिवर्तनशील) तथा उत्पादनों की कीमतें दी हुई हों। 

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उत्पत्ति ह्रास नियम की क्रियाशीलता के कारण

(Causes for the Application of the Law of Diminishing Returns)

इस नियम के क्रियाशील होने के लिए मुख्य रूप से अग्रलिखित कारण उत्तरदाया है- 

1. एक अथवा कुछ साधनों का स्थिर होना (One or more factors being Hotic-

जब एक अथवा कुछ साधनों को स्थिर और शेष साधनों को परिवर्तनशील रखा जाता है तो परिवर्तनशील साधनों की पूर्ण क्षमता का उपयोग नहीं हो पाता, परिणामतः उत्पादन शक्ति में ह्रास हो जाता है। अन्य शब्दों में-(i) उत्पादन के विभिन्न साधन सदा सीमित मात्रा में उपलब्ध होते हैं, किसी भी साधन की पूर्ति में असीमित वृद्धि नहीं की जा सकती तथा विभिन्न साधन एक निश्चित बिन्दु पर अनुकूलतम संयोग की दशा में होते हैं, लेकिन जब कछ साधनों की मात्रा को स्थिर रखा जाता है तो अनुकूलतम संयोग की स्थिति समाप्त हो . जाती है और उत्पादन शक्ति में ह्रास होने लगता है। 

अन्य शब्दों में, उत्पत्ति के साधनों पर मानव का पूर्ण अधिकार नहीं होता, अत: साधनों को आदर्श अनुपात में बनाए रखना सम्भव नहीं होता। इसके अतिरिक्त, साधनों की . अविभाज्यता भी उनके सर्वोत्तम उपयोग में बाधक सिद्ध होती है। 

2. उत्पादन के साधन एक-दूसरे के पूर्ण स्थानापन्न नहीं होते (Factors production not fully substituted)-

उत्पादन के एक साधन को किसी दूसरे साधन के स्थान पर एक सीमा तक ही प्रयोग किया जा सकता है। यदि विभिन्न साधनों को पूर्णतः प्रतिस्थापित किया जा सकता तब न तो किसी साधन की परिमितता का प्रश्न उठता और न ही उत्पत्ति ह्रास नियम क्रियाशील होता। श्रीमती जोन रोबिन्सन के शब्दों में—“एक साधन को दसरे के स्थान पर केवल एक सीमा तक ही प्रतिस्थापित किया जा सकता है…….” 

नियम का क्षेत्र 

(Scope of the Law)

प्रो० मार्शल ने इस नियम की क्रियाशीलता के क्षेत्र को केवल कृषि एवं भूमि से सम्बद्ध कुछ अन्य व्यवसायों (जैसे—मछली उद्योग, खनन आदि) तक ही सीमित माना था, परन्तु यह सत्य नहीं है। आधुनिक अर्थशास्त्रियों के अनुसार यह नियम उत्पादन के सभी क्षेत्रों में क्रियाशील होता है। शर्त केवल यही है कि उत्पादन प्रक्रिया दीर्घकाल तक चलती रहे। प्रो० विक्सटीड के शब्दों में—“इस नियम की क्रियाशीलता सर्वव्यापी है।” (This law is as universal as the law of life itself.)

आधुनिक विचारकों की धारणा है कि यह नियम उत्पादन के सभी क्षेत्रों में लागू होता है और उत्पत्ति वृद्धि नियम तथा उत्पत्ति समता नियम, उत्पत्ति ह्रास नियम की ही अपनी अवस्थाएँ हैं। प्रो० सैलिगमैन के शब्दों में-“क्रमागत उत्पत्ति ह्रास नियम ही उत्पत्ति का सामान्य नियम है एवं क्रमागत उत्पत्ति वृद्धि तथा उत्पत्ति समता नियम ह्रास नियम के ही अस्थायी रूप हैं।” श्रीमती जोन रोबिन्सन के शब्दों में—“उत्पत्ति ह्रास नियम एक तार्किक अनिवार्यता (Logical necessity) है और उत्पत्ति वृद्धि नियम एक अनुभवसिद्ध तथ्य (Empirical fact) है।” 

उत्पत्ति हास नियम का महत्त्व

(Significance of the Law of Diminishing Returns)

 उत्पत्ति ह्रास नियम अर्थशास्त्र का एक आधारभूत नियम है, अत: इसका अर्थशास्त्र के प्रत्येक क्षेत्र में व्यापक महत्त्व है। यह नियम मूल्य-निर्धारण, उत्पादन की मात्रा-निर्धारण, जनसख्या-नियन्त्रण, लगान तथा भूमि की समस्याओं के समाधान आदि में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है, जैसा कि निम्नलिखित विवरण से स्पष्ट है 

(1) माल्थस का जनसंख्या सिद्धान्त इसी नियम पर आधारित है। इसके अतिरिक्त. जनसंख्या का एक देश से दूसरे देश को होने वाला प्रवास भी इसी नियम से प्रभावित होता है। 

(2) रिकार्डो का लगान सिद्धान्त भी इसी नियम पर आधारित है।

(3) सीमान्त उत्पादकता सिद्धान्त की रचना भी इसी सिद्धान्त के आधार पर की गई है। 

(4) यह नियम जीवन-स्तर के निर्धारण को भी प्रभावित करता है।

(5) यह नियम नित्य नए होने वाले आविष्कारों के लिए भी उत्तरदायी है। 
(6) यह नियम उत्पादन के प्रत्येक क्षेत्र (यथा-कृषि, मछली पकड़ना, खनन, भवन निर्माण आदि) पर लागू होता है। 

प्रो० केयरनीज (Cairnes) ने इस नियम के महत्त्व को स्पष्ट करते हुए लिखा है “यदि उत्पत्ति ह्रास नियम न होता तो राजनीतिक अर्थशास्त्र का रूप इतनी पूर्णता से बदल जाता जैसे मानव-प्रकृति ही परिवर्तित हो गई हो।” Bcom 1st Year Assumptions of the Law of Diminishing Returns notes

क्या नियम की क्रियाशीलता को स्थगित किया जा सकता है 

(Whether the Applicability of Law be Postponed)

प्रो० मार्शल का कथन है—“उत्पादन क्रिया में प्रकृति उत्पत्ति ह्रास नियम के अनुकूल दिशा में कार्य करती है, जबकि मनुष्य का प्रयत्न उत्पत्ति वृद्धि नियम को प्राप्त करने की दिशा में होता है।” इस प्रकार स्पष्ट है कि मनुष्य के प्रयत्न उत्पत्ति ह्रास नियम की क्रियाशीलता में बाधा डालते हैं। 

अत: कृषि, खनन उद्योग आदि के क्षेत्रों में वैज्ञानिक आविष्कारों के प्रयोग, कृषि विधि में सुधार, यातायात व संचार के साधनों में विस्तार आदि के द्वारा इस नियम की क्रियाशीलता का कुछ समय के लिए अवश्य ही स्थगित किया जा सकता है। विकसित देशों में इस दिशा में पर्याप्त सफलता भी प्राप्त की गई है। इस प्रकार मानवीय प्रयासों से इस नियम की क्रियाशाला को स्थगित अवश्य किया जा सकता है, परन्तु अन्तत: यह नियम अवश्य क्रियाशाल विक्सटीड के शब्दों में— “इसकी क्रियाशीलता विश्वव्यापी है।” 

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