औपचारिक सम्प्रेषण की सीमाएँ (Limitations of Formal Communication)
औपचारिक सम्प्रेषण की प्रमुख सीमाएँ निम्नलिखित हैं-
(1) लम्बवत् सम्प्रेषण भिन्न-भिन्न स्तरों से होता हुआ नीचे की ओर आता है, जिसमें किसी भी स्तर पर आवश्यक कारणों से सन्देश को संशोधित तथा परिवर्तित किया जा सकता है। लेकिन कई बार ऐसा करने से सन्देश का भाव तथा अर्थ बदल जाता है।
(2) लम्बवत् सम्प्रेषण के निर्णयन तथा नीतियों में अधीनस्थों की कोई महत्त्वपूर्ण भूमिका नहीं होती।
(2) इस सम्प्रेषण में आदेश तथा निर्देश विभिन्न स्तरों से होकर ऊपर से नीचे की ओर आते हैं, जिसके कारण सन्देश, आदेश तथा निर्देश के पहुँचने में देरी हो जाती है।
(4) इस सम्प्रेषण में गोपनीयता भंग होने तथा अनावश्यक विवरण के कारण सन्देश का वास्तविक स्वरूप ही बदल जाता है ।
(5) उच्चाधिकारी द्वारा पूर्ण आदेश अथवा सन्देश दिए जाने के कारण कार्यपरिणाम सन्तोषजनक नहीं रहता।
अनौपचारिक सम्प्रेषण के लाभ
(Advantages of Informal Communication)
अनौपचारिक सम्प्रेषण के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं-
- अनौपचारिक सम्प्रेषण अधिक शीघ्रता से फैलता है।
- कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान करने में सहायक है।
- रचनात्मक सुझावों को प्राप्त करने में सहायक है।
- अनौपचारिक सम्प्रेषण आसानी से किसी भी दिशा में प्रसारित हो सकता है।
- उच्च प्रबन्ध तथा अधीनस्थों के मध्य मधुर मानवीय सम्बन्धों का सृजन होता है।
- संस्था में काम करने वाले कर्मचारियों में मेल-जोल बढ़ता है।
- अनौपचारिक सम्प्रेषण द्वारा प्रतिस्पर्द्धा, ग्राहकों की अभिरुचि तथा बाजार की स्थिति पता लगती है।