लॉर्ड कैनिंग, लिटन, रिपन और कर्जन की नीतियाँ ( Lord canning, Lytton, ripon and lone’s Policy )
लॉर्ड कैनिंग और 1858 लॉर्ड कैनिंग के समय की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना गदर था, जो 1857 में आरम्भ हुआ दबा दिया गया।
इतना होते हुए भी कि क्रान्तिकारी अंग्रेजी सम्पत्ति तथा प्राण-हानि के लिए उत्तरदायी थे और इस बात की माँग थी कि इसका बदला लिया जाए लेकिन लॉर्ड कैनिंग ने अपने मस्तिष्क को शान्त रखा। उसने कोई भी ऐसी कठोर कार्यवाही करने से इनकार कर दिया। वह शान्तिपूर्ण नीति का अनुसरण करता रहा। यहाँ तक कि उसने व्यक्तिगत लोकप्रियता का भी ध्यान न रखा।
लॉर्ड कैनिंग के सम्बन्ध में यह ठीक ही कहा गया है कि कोई भी गवर्नर-जनरल बौद्धिक गुणों में उससे आगे न बढ़ सका। उसने इतने परिश्रम से कार्य किया कि उसने वास्तव में अपनी हत्या ही कर डाली। उसे न शारीरिक व्यायाम का ध्यान रहता था और न ही उसे मानसिक शान्ति मिलती थी। यद्यपि वह बहुत कठोर था लेकिन उसमें कर्त्तव्यपरायणता, सौजन्य तथा उदारता की भावना थी। उसने विद्रोह को दबाने में दमन नीति तथा उत्साह से कार्य किया। वह एक ऐसा सज्जन महानुभाव था, जो बड़ी-से-बड़ी आपत्ति के समय में भी अपने निश्चय को भावों में नहीं बहने देता था। प्रतिष्ठा तथा न्याय की इस भावना में प्रतिशोध की भावना को भी प्रविष्ट नहीं होने देता था।
ट्रॉटर के कथनानुसार, “उसकी कमियों को यदि छोड़ दिया जाए, तो उसका नाम अंग्रेजों की स्मृतियों में एक ऐसे निर्भीक, सत्य हृदय वाले अंग्रेज के रूप में आदरपूर्वक स्मरण किया जाएगा, जिसने गदर जैसी महान् विपत्ति का शान्तचित्त होकर मुकाबला किया।“
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