Meaning of Dunning Letter – Bcom Notes
तगादे के पत्र का अभिप्राय
यदि कोई व्यापारी या व्यक्ति नियत समय पर अथवा नियत अवधि के भीतर, खरीदी हुई वस्तु का मूल्य नहीं चुकाता है तो ऐसी स्थिति में उसको जो पत्र लिखा जाता है उसे ‘तगादे का पत्र’ अथवा ‘रुपया वसूली का पत्र’ कहते हैं। ऐसे पत्र बकाया राशि या अदत्त राशि वसूल करने के उद्देश्य से लिखे जाते हैं। ऐसे पत्रों को लिखते समय काफी सावधानी की आवश्यकता होती है, अत: तगादे के पत्र का लेखन पर्याप्त चातुर्य एवं सावधानी से होना चाहिए ताकि भुगतान भी प्राप्त हो जाए एवं ग्राहक भी बना रहे । सामान्यतः ऐसे व्यापारिक मामलों में पर्याप्त संयम रखा जाना चाहिए। इसमें शीघ्रता की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि अत्यधिक शीघ्रता करने पर न्यायिक विवाद की स्थिति उत्पन्न होने से श्रम एवं पैसे की हानि तो होती ही है, साथ ही व्यापारिक साख पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।
तगादे सम्बन्धी पत्र लिखते समय ध्यान देने योग्य बातें
(Points to be kept in Mind while drafting a Dunning Letter)
तगादे का पत्र लिखते समय लेखक का मूल ध्येय यह होना चाहिए कि अदत्त अथवा रुकी हुई राशि भी प्राप्त हो जाए एवं ग्राहक भी बना रहे, अत: इनका लेखन करते समय जिन महत्त्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना आवश्यक होता हैं, वे निम्नलिखित हैं-
(1) प्रत्येक दशा में भाषा-शैली पर नियन्त्रण होना आवश्यक है क्योंकि भुगतान से अधिक महत्त्वपूर्ण ग्राहक को बनाए रखना होता है।
( 2 ) प्रारम्भ में अदत्त राशि का विवरण, सम्बन्धित व्यापारी के पास भेजा जाना चाहिए तथा आशा की जानी चाहिए कि वह इस विवरण को प्राप्त करने के पश्चात् भुगतान कर देगा।
(3) यदि इसके बाद भी कोई उत्तर न आए तो व्यापारी को तगादे का प्रथम पत्र लिखना चाहिए। इस प्रथम पत्र की शैली सामान्य होनी चाहिए।
(4) इसके बाद तगादे का दूसरा पत्र पुनः कुछ अन्तराल के बाद लिखा जाना चाहिए, जिसमें तगादे के प्रथम पत्र का भी उल्लेख करना चाहिए। इस पत्र में थोड़ी गम्भीर भाषा का प्रयोग किया जाना चाहिए ।
(5) यदि दूसरी या तीसरी बार भी सम्बन्धित व्यापारी ध्यान न दे तो तगादे का अन्तिम पत्र लिखा जाना चाहिए, जिसमें वैधानिक कार्यवाही की बात कही जानी चाहिए।
(6) ऐसे पत्रों को अण्डर पोस्टल सर्टीफिकेट (U.P.C.) अथवा रजिस्टर्ड डाक से भेजा जाना चाहिए।