अंशों का मूल्यांकन (Valuation of Shares)
अंशों के मूल्यांकन का आशय
(Meaning of Valuation of Shares)
अंशो के मूल्यांकन का आशय इनके ऐसे मूल्यांकन से है जिस पर इनका क्रय, विक्रय, हस्तान्तरण या कर निर्धारण किया जाता है या जिसके अधिार पर अंशधारियों या अन्य किसी को अंश पूँजी की स्थिति का सही ज्ञान प्राप्त होता है। ‘अंशों का मूल्यांकन’ शब्द का प्रयोग प्राय: समता अंश के लिए किया जाता है।
अंशों के मूल्य निर्धारण करने की आवश्यकता
(1) एकीकरण पर (On Amalgamation)—जब दो या दो से अधिक कम्पनियों का एकीकरण होता है, तब कम्पनियों के अंशों के मूल्यांकन की आवश्यकता पड़ती है।
(2) अंशों के परिवर्तन पर (On Conversion of Shares)—कभी-कभी ऐसी भी परिस्थितियाँ आ जाती हैं, जबकि एक प्रकार के अंशों का परिवर्तन दूसरे प्रकार के अंशों में किया जाता है। ऐसी दशा में अंशों के मूल्यांकन की आवश्यकता पड़ती है।
(3) कम्पनी के संविलयन पर (On Absorption of a Company)—जब एक कम्पनी का संविलयन दूसरी कम्पनी में होता है उस समय अंशों के मूल्यांकन की आवश्यकता होती है।
(4) किसी ऐसी कम्पनी के अंश क्रय करने के लिए मूल्यांकन, जिस पर नियन्त्रण करना
(5) राष्ट्रीयकरण की दशा में सरकार द्वारा अंशों की क्षतिपूर्ति के लिए मूल्य निर्धारण। ” ऐसे अंशों की बिक्री होने पर जिनका मूल्य प्रकाशित नहीं किया जाता है।
(7) कम्पनी के पुनर्निमाण पर (On the Reconstruction of the Company) कम्पनी अधिनियम के अनुसार कम्पनी का पुनर्निर्माण होता है और इसको सहमति कुछ अंशधारी नहीं देते हैं तो इनके अंशों का मूल्यांकन कर इन्हें भुगतान कर दिया जाता है।
(8) एक प्राइवेट कम्पनी के अंशों के मूल्यांकन की आवश्यकता इस कम्पनी को बिक्री के समय या इसकी सही वित्तीय स्थिति का ज्ञान प्राप्त करने के समय पड़ती है।
(9) सम्पत्ति कर एवं उपहार कर निर्धारण करने पर यदि सम्बन्धित सम्पत्ति में अंश हैं।
(10) प्रन्यास और वित्तीय कम्पनियों के चिट्ठे की सम्पत्तियों का मूल्यांकन करने के लिए।
(11) जब बैक अंशों की प्रतिभूति पर ऋण देते हैं तो अंशों के मूल्यांकन की आवश्यकता पड़ती है।
(12) कुछ विशेष दशाओ में ऋण व दायित्वों का भुगतान करने के लिए।
(13) खान की सम्पत्तियों के विघटन होने पर, अवशिष्ट मूल्य का ज्ञान प्राप्त करने के लिए।
(14) अन्य किसी दशा में, जबकि ऐसा करने से विशेष ज्ञान प्राप्त होने की सम्भावना हो।
अंशों के मूल्य के प्रकार (Types of Value of Shares)
अंशो का मूल्य निम्नलिखित प्रकार का हो सकता है
(1) सम मूल्य (Par Value) कम्पनी के पार्षद सीमानियम में कम्पनी की पूँजी के प्रत्येक अंश का जो मूल्य अंकित रहता है उसे ही सम मूल्य कहा जाता है।
(2) पुस्तकीय मूल्य (Book Value)—अंश के पुस्तकीय मूल्य का आशय कम्पनी की पुस्तकीय पूँजी में अंशों की संख्या का भाग देने से आने वाले मूल्य से है। पुस्तकीय पूँजी का आशय अंश पूँजी + संचय एवं आधिक्य की राशि से है। इसी पुस्तकीय मूल्य को अंशधारियों की समता (Shareholders’ Equity) या स्वामियों की समता (Owners’ Equity) कहा जाता है।
(3) बाजार मूल्य (Market Value)—अंश के बाजार मूल्य का आशय उस मूल्य से है जिस पर अंश का क्रय-विक्रय अंश बाजार (Share market) में होता है।
(4) लागत मूल्य (Cost Value)—अंश के लागत मूल्य का आशय उस मूल्य से है जो एक अंशधारी को एक अंश का धारक बनने के लिए व्यय करना पड़ता है। इसमें अंश का बाजार मूल्य और दलाली, आदि के व्यय भी शामिल रहते हैं।
(5) पूँजीकृत मूल्य (Capitalised Value) कम्पनी की उपार्जन क्षमता का पूँजीकरण विनियोगों पर आय की सामान्य दर के आधार पर किया जाता है। इस पंजीकृत मूल्य में अंशों की संख्या का भाग देकर एक अंश का मूल्य निकाला जाता है।
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