Thursday, November 21, 2024
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Intrest Meaning in Hindi Notes

Intrest Meaning in Hindi Notes

प्रश्न 9–ब्याज के आधुनिक सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए। यह कीन्स द्वारा प्रतिपादित ‘ब्याज के तरलता पसन्दगी सिद्धान्त’ से किस प्रकार श्रेष्ठ है? Discuss the Modern Theory of Interest. How is it superior to Keynesian ‘Liquidity Preference Theory of Interest? Intrest Meaning in Hindi Notes

अथवा “ब्याज तरलता के परित्याग का पुरस्कार है तथा वह द्रव्य की माँग और पूर्ति द्वारा निर्धारित होता है।” विवेचना कीजिए। “Interest is the reward paid for parting with liquidity and it is determined by the demand of money and supply of money.” Discuss.

उत्तर- ब्याज की दर के निर्धारण का आधुनिक सिद्धान्त अथवा नवकीन्सवादी सिद्धान्त प्रतिष्ठित सिद्धान्त तथा केन्सियन सिद्धान्त का समन्वय है। यह सिद्धान्त ब्याज दर निर्धारण की समस्या का अध्ययन मौद्रिक तथा अमौद्रिक (वास्तविक) तत्त्वों के सन्तुलन को सम्मिलित करके करता है। ब्याज के प्रतिष्ठित सिद्धान्त के अनुसार ब्याज की दर वहाँ निश्चित होती है जहाँ बचत तथा विनियोग की मात्रा बराबर होती है। इस प्रकार प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों ने ब्याज के निर्धारण में केवल अमौद्रिक (वास्तविक) तत्त्वों की ओर ध्यान दिया है। इसके विपरीत, कीन्स के अनुसार ब्याज की दर मुद्रा की माँग (तरलता पसन्दगी) तथा मुद्रा की पूर्ति द्वारा निर्धारित होती है। दूसरे शब्दों में, कीन्स ने केवल मौद्रिक तत्त्वों को ही महत्त्व दिया था। परन्तु ब्याज के आधुनिक सिद्धान्त में मौद्रिक तथा गैर-मौद्रिक तत्त्वों को संयोजित करके ब्याज के निर्धारण की व्याख्या प्रस्तुत की गई है, अतः आधुनिक सिद्धान्त ब्याज के प्रतिष्ठित सिद्धान्त और कीन्स के तरलता पसन्दगी सिद्धान्त दोनों का ही सम्मिश्रण है।

प्रतिष्ठित सिद्धान्त तथा कीन्स के तरलता पसन्दगी सिद्धान्त का समन्वय करने में हमें निम्नलिखित चार तत्त्व प्राप्त होते हैं-

(1) विनियोग माँग वक्र या विनियोग क्रिया (Investment Function), (2) बचत रेखा या बचत क्रिया (Saving Function),

(3) तरलता पसन्दगी रेखा या तरलता पसन्दगी क्रिया (Liquidity Preference Function), ),

(4) मुद्रा की मात्रा या पूर्ति।

इस प्रकार आधुनिक अर्थशास्त्री बचत, विनियोग, तरलता पसन्दगी और मुद्रा की पूर्ति को एक साथ संयोजित करते हैं।

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इसके लिए उन्होंने दो अनुसूचियों IS व LM का उद्विकास किया। IS अनुसूची अर्थव्यवस्था के वास्तविक क्षेत्र या गैर-मौद्रिक क्षेत्र में बचत तथा विनियोग के कारकों के मध्य सन्तुलन को व्यक्त करती है तथा LM अनुसूची मौद्रिक क्षेत्र में मुद्रा की माँग व पूर्ति के मध्य सन्तुलन को व्यक्त करती है। जब हम IS अनुसूची और LM अनुसूची को रेखाचित्र-34 द्वारा व्यक्त करते हैं तो हमें IS व LM वक्र प्राप्त हो जाते हैं। (रेखाचित्र-34) जहाँ दोनों वक्र एक-दूसरे को काटते हैं, उसी बिन्दु पर हमें साम्य ब्याज की दर प्राप्त होती है, अर्थात् IS एवं LM वक्रों का कटाव बिन्दु ब्याज की सन्तुलन दर को व्यक्त करता है। इस ब्याज की दर पर-

(1) कुल बचत = कुल विनियोग (वास्तविक क्षेत्र),

(2) मुद्रा की कुल माँग मुद्रा की पूर्ति (मौद्रिक क्षेत्र), =

(3) वास्तविक क्षेत्र व मौद्रिक क्षेत्र दोनों ही सन्तुलनावस्था में होते हैं।

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IS वक्र (The IS Curve)-यह आय स्तरों तथा ब्याज-दरों के विभिन्न संयोगों पर बचत तथा विनियोग की समानता दिखाता है।

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रेखाचित्र-34 में बचत वक्र (IS) यह प्रकट करता है कि आय के बढ़ने के साथ बचत बढ़ती है। दूसरी ओर विनियोग ब्याज-दर तथा आय के स्तर पर निर्भर करता है। ब्याज-दर का स्तर दिया होने पर विनियोग का स्तर आय के स्तर के साथ बढ़ता है। ब्याज-दर में कमी होने पर विनियोग वक्र ऊपर को (I2) और ब्याज-दर बढ़ने पर विनियोग वक्र नीचे को (I1) सरक जाता है। रेखाचित्र के निचले भाग में आय के प्रत्येक स्तर को विभिन्न ब्याज दरों पर चिह्नित करके IS वक्र खींचा गया है। IS वक्र बाएँ से दाएँ नीचे की ओर ढालू है क्योंकि ब्याज-दर के साथ-साथ विनियोजन में वृद्धि होती है और आय में भी।

IS वक्र ब्याज बेलोच (Interest Inelastic) भी हो सकता है, जिसका अर्थ यह है कि एक बिन्दु के बाद ब्याज-दर कम होने पर विनियोजन पर नगण्य प्रभाव होगा। रेखाचित्र-35 में ब्याज-दर OR1 में कमी होने पर आय में कोई परिवर्तन नहीं होगा।

LM वक्र (The LM Curve)-LM वक्र तरलता पसन्दगी अनुसूची तथा मुद्रा की पूर्ति अनुसूची को रेखाचित्र-36 (A) तथा (B) में व्युत्पन्न किया गया है। आय के विभिन्न स्तरों पर LIY1, L2Y2 तथा LIY5 तरलता पसन्दगी वक्रों का एक समूह खींचा गया है। मुद्रा पूर्ति के बेलोच वक्र MQ के साथ मिलकर हमें LM वक्र प्रदान करते हैं। LM वक्र में KST बिन्दु ब्याज आय स्तर को व्यक्त करता है, जहाँ मुद्रा की माँग (M) मुद्रा की पूर्ति (L) के बराबर होती है। मुद्रा की पूर्ति, तरलता पसन्दगी, आय स्तर तथा ब्याज स्तर व ब्याज-दर रेखाचित्र-36 (B) में दिखाए गए LM वक्र को निर्मित करते हैं। Intrest Meaning in Hindi Notes

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LM वक्र दाएँ ऊपर की ओर ढालू होता है क्योंकि मुद्रा की मात्रा दी गई होने पर तरलता के लिए बढ़ रहा अधिमान अपने आपको ऊँची दर में अभिव्यक्त करता है। LM वक्र धीरे-धीरे पूर्णतया बेलोच हो जाता है। बिल्कुल बायीं ओर यह वक्र ब्याज-दर के साथ पूर्णतया लोचदार है।

ब्याज निर्धारण का आधुनिक सिद्धान्त (Modern Theory of Interest Determination)

ब्याज-दर का निर्धारण उस बिन्दु पर होता है, जहाँ LM व IS वक्र एक-दूसरे को काटते हैं। रेखाचित्र-37 में LM तथा IS वक्र E बिन्दु पर एक-दूसरे को काटते हैं और OY आय स्तर के अनुरूप OR ब्याज-दर निर्धारित होती है। ये आय स्तर तथा ब्याज दर वास्तविक (बचत विनियोग) बाजार (Real Market) तथा मुद्रा (माँग एवं पूर्ति) बाजार (Money Market) में साथ-साथ सन्तुलन स्थापित करते हैं।

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आधुनिक सिद्धान्त की मान्यताएँ व आलोचना (Assumptions and Criticism of Modern Theory)

आधुनिक सिद्धान्त की मान्यताएँ व आलोचनाएँ निम्नवत् हैं-

(1) यह सिद्धान्त इस मान्यता पर आधारित है कि ब्याज-दर पूर्णतया बेलोचदार है तो यह सिद्धान्त लागू नहीं होगा।

(2) यह सिद्धान्त इस मान्यता पर आधारित है कि विनियोजन ब्याज सापेक्ष है। यदि विनियोग ब्याज सापेक्ष है तो अपेक्षित विनियोजन घटित नहीं होते।

(3) डॉन पेन्टिकन और मिल्टन फ्रीडमैन के अनुसार यह सिद्धान्त अत्यधिक कृत्रिम और सरलीकृत है

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