Rent Meaning in Hindi Notes
प्रश्न 10-लगान के आधुनिक सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए। Analyse critically Modern Theory of Rent.
उत्तर–रिकार्डो तथा अन्य परम्परावादी अर्थशास्त्रियों का विचार था कि केवल भूमि को ही लगान प्राप्त करने का अधिकार है क्योंकि भूमि प्रकृति का निःशुल्क उपहार है और इसकी पूर्ति सीमित होती है, परन्तु आधुनिक अर्थशास्त्री इस मत को स्वीकार नहीं करते। उनका कथन है कि उत्पत्ति का प्रत्येक साधन (भूमि, श्रम, पूँजी, संगठन अथवा साहस चाहे कोई भी क्यों न हो) लगान प्राप्त कर सकता है। अतः लगान का आधुनिक सिद्धान्त एक विशिष्ट सिद्धान्त न होकर सामान्य सिद्धान्त है।
लगान का आधुनिक सिद्धान्त एक बड़ी सीमा तक ऑस्ट्रियन अर्थशास्त्री वॉन वीजर (Von Wieser) द्वारा प्रस्तुत साधनों के वर्गीकरण पर आधारित है। प्रो० वीजर (Prof. Wieser) ने उत्पत्ति के समस्त साधनों को दो वर्गों में विभाजित किया है-पूर्णत: विशिष्ट साधन (Perfectly Specific Factors) तथा पूर्णतः अविशिष्ट साधन (Perfect] Non-specific Factors)। पूर्णत: विशिष्ट साधन वे साधन हैं जिनको केवल एक प्रयोग में ही प्रयुक्त किया जा सकता है। इसके विपरीत, पूर्णतः अविशिष्ट साधन वे साधन हैं, जो विभिन्न प्रयोगों में प्रयुक्त किए जा सकते हैं। इस सम्बन्ध में दो बातें विशेष उल्लेखनीय हैं
प्रथम, यह वर्गीकरण स्थायी न होकर अस्थायी है अर्थात् जो साधन आज विशिष्ट (Specific) हैं, वे कल अविशिष्ट (Non-specific) हो सकते हैं। उदाहरणार्थ-यदि किसी भूमि के टुकड़े पर आज गेहूँ बोया गया है तो यह विशिष्ट कहलाएगा, परन्तु यदि गेहूँ काटने के बाद उसे किसी अन्य प्रयोग में लाया जा सकता है तो वह अविशिष्ट हो जाएगा।
द्वितीय, संसार में कोई साधन न तो पूर्णत: विशिष्ट ही है और न पूर्णत: अविशिष्ट ही। सत्य तो यह है कि प्रत्येक साधन अंशत: विशिष्ट तथा अंशत: अविशिष्ट होता है।
प्रो० वीजर के इसी वर्गीकरण के आधार पर आधुनिक अर्थशास्त्रियों ने, जिनमें श्रीमती जोन रोबिन्सन तथा प्रो० बोल्डिंग प्रमुख हैं, लगान के आधुनिक दृष्टिकोण (सिद्धान्त) की व्याख्या की है। इस दृष्टिकोण के अनुसार लगान विशिष्टता के लिए भुगतान है। (Rent is payment for specificity)। ये अर्थशास्त्री रिकार्डो के योगदान का स्मरण रखने की दृष्टि से विशिष्टता शब्द के स्थान पर भूमि तत्त्व (Land Element) शब्द का प्रयोग करते हैं।
परिभाषाएँ (Definitions)
(i) श्रीमती जोन रोबिन्सन के अनुसार, “लगान की धारणा का सार वह आधिक्य है जो एक साधन की इकाई उस न्यूनतम आय के ऊपर प्राप्त करती है, जो साधन को अपना कार्य करते रहने के लिए आवश्यक है। लगान की धारणा को प्रायः भूमि से सम्बद्ध किया जाता है। श्रम, साहस तथा पूँजी की तीन व्यापक श्रेणियों से सम्बद्ध अन्य उत्पादन साधनों की विभिन्न इकाइयाँ भी लगान कमा सकती हैं।”
(ii) प्रो० बोल्डिंग ने इस विचार को इस प्रकार व्यक्त किया है कि “आर्थिक लगान सन्तुलित व्यवसाय में साधन की एक इकाई के उस भुगतान को कहते हैं, जो उस साधन को तत्कालीन व्यवसाय में जुटाए रखने के लिए न्यूनतम मूल्य से अधिक है।”
(iii) स्टोनियर तथा हेग ने विचार प्रकट करते हुए लिखा है-“लगान से अभिप्राय उन उत्पादन साधनों को किए गए भुगतानों से है, जिनकी पूर्ति पूर्णत: लोचदार नहीं होती।”
सरल शब्दों में आधुनिक विचारधारा को निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है-
लगान = वास्तविक आय – अवसर लागत
(Rent = Real Income – Opportunity Cost)
उपर्युक्त सूत्र की सहायता से किसी साधन की इकाई की आय के लगान के अंश को अग्रांकित तालिका द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) प्रथम स्थिति में लगान शून्य है क्योंकि साधन पूर्ण तथा विशिष्ट हैं।
(II) साधन पूर्णत: अविशिष्ट हैं अत: समस्त आय लगान है।
(III) साधन आंशिक रूप से विशिष्ट और आंशिक रूप से अविशिष्ट हैं। लगान ₹ 100 है।
(IV) चौथी स्थिति ऋणात्मक लगान की स्थिति को दर्शाती है, किन्तु यह गलत है। वास्तव में ऐसी दशा में प्रबन्धक पहले काम को छोड़कर दूसरे काम पर चला जाएगा और ऐसी दशा में लगान ₹ -100 होगा।
लगान उत्पन्न होने के कारण- लगान विशिष्टता का परिणाम है। जो साधन जिस अंश तक विशिष्ट होता है, उसे उस अंश तक लगान प्राप्त होता है और जो साधन पूर्णतया अविशिष्ट होते हैं, उन्हें इस अंश तक कोई लगान प्राप्त नहीं होता। दूसरे शब्दों में, एक साधन का लगान तब तक प्राप्त होता है जब तक उसकी पूर्ति बेलोचदार अथवा सीमित होती है।
जिस प्रकार पूर्णतया अविशिष्ट साधन को लगान प्राप्त नहीं होता उसी प्रकार एक साधन, जिसकी पूर्ति पूर्णतया लोचदार है, को कोई लगान प्राप्त नहीं होगा। इसलिए ऐसे साधनों की पूर्ति रेखा एक सीधी पड़ी रेखा होगी। ऐसे साधनों को कोई लगान प्राप्त नहीं होगा, क्योंकि ऐसे साधनों की अवसर लागत = OMPL है। (रेखाचित्र-38)।
यदि साधन पूर्णतया अविशिष्ट अथवा पूर्णतया बेलोचदार है, तो उसकी अवसर लागत शून्य होती है और उसे जितनी भी आय प्राप्त होती है, समस्त लगान के रूप में होती है। Rent Meaning in Hindi Notes
रेखाचित्र में साधन की प्रति इकाई कीमत PM है। ऐसे साधन की अवसर लागत शून्य है। साधन की कुल कीमत PM X OM = OMPL। अतः साधन की कुल आय लगान होगी। (रेखाचित्र-39)
यदि साधन की पूर्ति न तो पूर्णतया बेलोचदार है और न ही पूर्णतया लोचदार है, तो साधन की समस्त कीमत आय में एक भाग लगान होगा। दूसरे शब्दों में, लोचदार साधन की आय में लगान एवं हस्तान्तरण आय दोनों का समावेश रहता है।
रेखाचित्र-40 में ssरेखा ऊपर की ओर बढ़ती हुई पूर्ति है, H साम्य का बिन्दु है। इस बिन्दु पर साधन की कीमत OD या NH
निर्धारित होती है, जहाँ माँग एवं पूर्ति ON के बराबर है। OK श्रम की ऐसी इकाइयाँ हैं, जो कि OA कीमत पर भी कार्य करने के लिए तैयार हैं अर्थात् OK श्रम की इकाइयों की न्यूनतम कीमत (अवसर लागत) OA है, जबकि उनकी वास्तविक आय OD या NH है अत: AD प्रति इकाई अतिरेक की मात्रा है। इसी प्रकार KL, LM और श्रम इकाइयों को क्रमश: BD व CD प्रति इकाई अतिरेक प्राप्त होता है।
साधन की ON मात्रा की कुल लागत =ONHS, साधन की ON अवसर मात्रा की कुल कीमत ON X OD (ONHD) अत: श्रमिक की ON मात्रा का लगान = ONHD – ONHS = SHD
निष्कर्ष-(i) उत्पत्ति का प्रत्येक साधन लगान प्राप्त कर सकता है।
(ii) लगान = साधन की वास्तविक आय अवसर लागत।
(iii) लगान उत्पन्न होने का कारण साधन की विशिष्टता है।
(iv) साधन के पूर्णतया विशिष्ट होने पर लगान प्राप्त नहीं होगा।
(v) यदि साधन पूर्णतया विशिष्ट है तो उसकी कुल आय लगान होगी।
क्या मजदूरी, ब्याज व लाभ में लगान का तत्त्व समाविष्ट है (Is the Element of Rent Inherent in Wages, Interest & Profit)
आधुनिक अर्थशास्त्रियों की दृष्टि में ‘लगान’ सिद्धान्त एक सामान्य सिद्धान्त (General Theory) है। अत: उत्पत्ति के समस्त साधन लगान अर्जित करने की क्षमता रखते हैं क्योंकि आधुनिक अर्थशास्त्रियों की दृष्टि में लगान अवसर लागत के ऊपर एक अतिरेक है। अत: मजदूरी, ब्याज तथा लाभ में लगान तत्त्व का समाविष्ट होना सम्भव है।
1. मजदूरी में लगान तत्त्व (Rent Element in Wage)-यदि किसी अर्थव्यवस्था में श्रमिकों की पूर्ति उनकी माँग की तुलना में बहुत कम है तो उनकी मजदूरी दर (Wage Rate) स्वत: बहुत ऊँची हो जाएगी अर्थात् जिस दर पर मजदूर कार्य करने को तत्पर हैं (अर्थात् अवसर लागत) उससे कहीं अधिक प्रतिफल उनको मिलने लगेगा। इस प्रकार अवसर लागत से जितना अधिक प्रतिफल श्रमिकों को मिलेगा, वही ‘लगान’ है। Rent Meaning in Hindi Notes
इसका अभिप्राय यह हुआ कि मजदूरी में लगान तत्त्व का समाविष्ट होना सम्भव है। माना, किसी अत्यन्त कुशल श्रमिक को किसी व्यवस्था विशेष में rs 7000 प्राप्त हो रहे हैं, जबकि किसी अन्य सर्वश्रेष्ठ वैकल्पिक व्यवसाय में उसे rs 5000 ही प्राप्त हो सकते हैं। इस प्रकार rs 2000 अवसर लागत के ऊपर बचत हुई। यही ‘लगान’ है। इस तरह अत्यधिक कुशल व्यक्तियों की आय में लगान का तत्त्व शामिल होता है।
Rent Meaning in Hindi Notes
2. ब्याज में लगान तत्त्व (Rent Element in Interest)-बचतकर्ता अपनी बचतों को प्रत्यक्षतः अथवा परोक्षतः (बैंकों के माध्यम से) अन्य लोगों को कुछ समय के लिए उधार देते हैं और प्रतिफल (ब्याज) अर्जित करते हैं।
बचतकर्ता जिस ब्याज-दर पर अपनी बचत अन्य लोगों को देने के लिए तत्पर होते हैं यदि उन्हें उससे अधिक ब्याज दर प्राप्त होती है तो ब्याज दर का यह आधिक्य ‘लगान’ कहलाता है।
माना कि कोई बचतकर्ता अपनी बचत को 7% वार्षिक दर पर उधार देने के लिए तत्पर है, परन्तु बाजार में प्रचलित ब्याज-दर 10% है। अत: बचतकर्ता को अपनी बचत पर 10% ब्याज उपलब्ध होता है, तो ब्याज-दर का यह आधिक्य (10% – 7% = 3% ब्याज) लगान तत्त्व कहलाएगा।
3. लाभ में लगान तत्त्व (Rent Element in Profit)-व्यावहारिक जीवन में सभी साहसी समान योग्यता वाले नहीं होते और जो साहसी अन्य साहसियों की तुलना में अधिक योग्य होते हैं वे अतिरिक्त लाभ (Excess Profit) अर्जित करने में सफल हो जाते हैं। इस अतिरिक्त लाभ की मात्रा को ‘योग्यता के लगान’ की संज्ञा दी जाती है।
इस प्रकार लाभ में भी लगान तत्त्व का समावेश हो सकता है। अत: मजदूरी (Wage), ब्याज (Interest) तथा लाभ (Profit) में लगान तत्त्व समाविष्ट होता है।
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