Black Money in India Hindi
प्रश्न 16-काले धन की समस्या से क्या आशय है? इस समस्या को समाप्त करने हेतु सरकारी प्रयासों को बताइए।
What is the meaning of the problem of black money ? Explain government efforts to check increasing black money.
काले धन की समस्या से आशय (Meaning of the Problem of Black Money) अथवा समानान्तर अर्थव्यवस्था से आशय(Meaning of Parallel Economy)
काला धन अथवा समानान्तर अर्थव्यवस्था से आशय ऐसी अर्थव्यवस्था से है जिसमें अस्वीकृत क्षेत्र (Unsanctioned Sector) कार्य करता है, जिसके उद्देश्य स्वीकृत सामाजिक उद्देश्यों से अन्तर्विरोध रखते हैं। इस अर्थव्यवस्था के उद्देश्य स्वीकृत सामाजिक उद्देश्यों के प्रतिकूल होते हैं। समानान्तर अर्थव्यवस्था को निम्नलिखित अन्य नामों से भी जाना जाता हैकाली अर्थव्यवस्था (Black Economy), बिना लेखे की अर्थव्यवस्था (Unaccounted Economy), अस्वीकृत अर्थव्यवस्था (Unsanctioned Economy), अवैधानिक अर्थव्यवस्था (Illegal Economy), काले अमीरों की अर्थव्यवस्था ) तथा भूमिगत अर्थव्यवस्था (Subterranean Economy)| (Economy of Black Rich नियमित (Regular) तथा समानान्तर (Parallel) अर्थव्यवस्थाएँ दो समानान्तर रेखाओं (Parallel lines) की तरह तथा एक-दूसरे के विपरीत उद्देश्यों से प्रेरित होती हैं। जहाँ नियमित अर्थव्यवस्था सामाजिक कल्याण से प्रेरित होकर कार्य करती है, वहीं समानान्तर अर्थव्यवस्था निजी स्वार्थ से प्रेरित होकर कार्य करती है। नियमित अर्थव्यवस्था की क्रियाओं का लेखा-जोखा राष्ट्रीय आय की गणना में शामिल होता है, जबकि समानान्तर अर्थव्यवस्था की क्रियाओं का कोई लेखा-जोखा राष्ट्रीय आय की गणना में शामिल नहीं किया जाता।
पेण्डसे के अनुसार, “आज देश के सामने अनेक समस्याएँ हैं, लेकिन काली मुद्रा (Black Money) की समस्या की प्रकृति अलग है। जब हम निर्धनता या बेरोजगारी की समस्या की बात करते हैं तो निर्धन या बेरोजगार लोगों पर विचार किया जाता है।…..जिन व्यक्तियों के पास काली मुद्रा रहती है उन्हें स्वयं किसी विशेष समस्या का सामना नहीं करना पड़ता, वे तो सरकार तथा ईमानदार व्यक्तियों के सामने समस्या अवश्य खड़ी करते हैं। काली मुद्रा पर आधारित अर्थव्यवस्था को अक्सर समानान्तर अर्थव्यवस्था कहा जाता है।”
रंगनेकर के शब्दों में, “कुछ वर्ष पूर्व काला बाजार, भूमिगत अर्थव्यवस्था कहलाता था। धीरे-धीरे जो अर्थव्यवस्था भूमिगत थी वह ऊपर आ गई तथा समानान्तर अर्थव्यवस्था बन गई। आज के युग में यही अर्थव्यवस्था सार्वभौम अर्थव्यवस्था (Sovereign Economy) बन गई है। इसने बाजार तन्त्र को अपने पूर्ण नियन्त्रण में ले लिया है तथा यथार्थ में औपचारिक लेन-देन (Official transactions) या नियमित आर्थिक क्रियाओं (Regular economic activities) को डुबो दिया है।” Black Money in India Hindi
बढ़ते काले धन को रोकने के सरकारी प्रयास (Government Efforts to check Increasing Black Money)
समय-समय पर सरकार ने काले धन को बाहर निकालने तथा इसकी वृद्धि को रोकने के लिए विभिन्न उपाय किए हैं। सन् 1997 ई० में ‘स्वैच्छिक आय घोषणा’ इसी नीति का एक रूप था, जिसके कारण काफी संख्या में लोगों ने काले धन को बाहर निकाला। सरकार द्वारा इस दिशा में उपाय के रूप में उठाए गए कुछ पग इस प्रकार हैं-
1. सरकारी नियन्त्रण व कर ढाँचे में सुधार (Government Control and mprovement in Tax-Structure)-देश में कर प्रणाली समझने योग्य व सरल होनी चाहिए, जिससे आम जनता उसे समझ सके। समाजवाद के नाम पर लगाए गए नियन्त्रणों को भी हटाया जाना चाहिए। पिछले दशक में सरकार ने ऐसे नियन्त्रणों को लगभग समाप्त कर दया है तथा कर ढाँचे में सुधार किया गया है।
2. प्रवासी भारतीयों के लिए विनियोग योजना (Investment Plan for Indian Migrants)-यह योजना भारत से बाहर निवास कर रहे भारतीयों को देश में विनियोग करने के लिए आकर्षित करने में सहायक सिद्ध हुई है।
3. विशिष्ट वाहक बॉण्ड (Specific Bearer Bonds)—सरकार द्वारा काले धन को सामने लाने के लिए विशिष्ट वाहक बॉण्ड योजनाएं चलाई जाती हैं; जैसे—इन्दिरा विकास पत्र तथा इसके समकक्ष अन्य योजनाएँ। इन योजनाओं में धन जमा कराने वाले से उसकी आय का स्रोत नहीं पूछा जाता। इस कारण काले धन को यहाँ प्रकट करने में किसी प्रकार का जोखिम नहीं रहता है और अवधि समाप्ति के बाद काला धन श्वेत धन में बदल जाता है।
4. विमुद्रीकरण (Demonetization)-काले धन को समाप्त करने के लिए सरकार ने सन् 1946 ई० एवं सन् 1978 ई० में नोटों को रद्द करने की योजना बनाई थी, जो विमुद्रीकरण कहलाती है। इसके अन्तर्गत सरकार ने ₹ 1,000, ₹ 5,000 एवं ₹ 10,000 के बड़े नोटों का प्रचलन बन्द कर दिया था। इसके परिणामस्वरूप बहुत-सारा काला धन, जो बड़े नोटों के रूप में संचित करके रखा गया था, समाप्त हो गया। लेकिन अब पुन: सरकार के द्वारा 8 नवम्बर, 2016 को ₹ 500 व ₹ 1,000 के नोट चलन से बाहर कर दिए गए जिनके स्थान पर ₹ 2,000 तथा ₹ 500 के नये नोट जारी किए। साथ ही बैंकों से धन निकासी की सीमा भी निर्धारित की है।
5. स्वैच्छिक आय घोषणा योजना (Voluntary Income Disclosure Scheme)-सन् 1990-91 में काला धन ₹ 30 अरब के लगभग था, जो सन् 1996-97 में बढ़कर ₹ 90 खरब के लगभग पहुँच गया। सरकार ने इस काले धन की समस्या के समाधान के लिए 1997 ई० में ‘स्वैच्छिक आय घोषणा योजना’ (VDIS) शुरू की, जिससे सरकार को ₹ 10,500 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ। इस योजना के फलस्वरूप लगभग ₹ 33,000 करोड़ का काला धन, श्वेत धन में परिवर्तित हुआ है। वर्तमान मोदी सरकार ने 1 जून, 2016 से 30 सितम्बर 2016 तक स्वैच्छिक आय घोषणा की योजना लागू की थी। जिस पर दण्ड का भुगतान 30 नवम्बर 2016 तक अवश्य कर देना था। 30 सितम्बर, 2016 तक इस योजना के तहत ₹ 65,250 करोड़ के कालेधन की घोषणा की गई। इससे कर और जुर्माने के रूप में सरकार को 45% राशि प्राप्त होगी।
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